सनन्दन उपाध्याय/बलिया: बलिया के कृषि एक्सपर्ट डॉ. अजीत कुमार सिंह की सफल कहानी हर किसी को जाननी चाहिए. इस प्रोफेसर की कहानी यह साबित करती है कि पूरे मन से किया गया प्रयास जीवन में एक दिन निखार जरूर लाता है. किसानी से बेशुमार प्रेम ने न केवल कृषि एक्सपर्ट बना दिया, बल्कि सबसे मजे की बात यह रही की जिस महाविद्यालय से पढ़ाई की उसी में बच्चों के भविष्य को संवारने का अद्भुत संयोग बैठ गया.
डॉ. अजीत कुमार सिंह ने बताया कि वह बलिया जनपद के बांसडीह तहसील अंतर्गत बकवा गांव का निवासी हैं. श्री मुरली मनोहर टाउन स्नातकोत्तर महाविद्यालय बलिया में कृषि अर्थशास्त्र विभाग में लगभग 21 सालों से असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं.
ऐसे शुरू हुई पढ़ाई लिखाई
डॉ. अजीत कुमार सिंह ने आगे कहा कि हम लोगों का ग्रामीण परिवेश में ही प्राथमिक विद्यालय से पढ़ाई लिखाई शुरू हुई. वह बांसडीह इंटर कॉलेज से हाई स्कूल और कुंवर सिंह इंटर कॉलेज से कृषि विषय से इंटरमीडिएट किया. इसके बाद उन्होंने श्री मुरली मनोहर टाउन स्नातकोत्तर महाविद्यालय से बीएससी और एमएससी एग्रीकल्चर से किया. सन 2002 में उन्होंने डॉ. सक्सेना के नेतृत्व में पीएचडी भी कंप्लीट की.
जहां पर ली शिक्षा, वहीं पर बने अध्यापक
आगे उन्होंने बताया कि बहुत खुशी है कि जिस महाविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की, आज उसी महाविद्यालय में बच्चों को शिक्षा प्रदान कर रहे हैं. मजे की बात यह है कि आज भी इस महाविद्यालय में उनके गुरुजन हैं और उनके पढ़ाए हुए बच्चे जेएनसीयू में शिक्षक हैं. मतलब एक साथ तीन पीढ़ियां चल रही हैं.
कक्षा 10 से ही हो गया किसानी से लगाव
आगे उन्होंने कहा कि घर में किसानी का एक बड़ा महत्वपूर्ण स्थान था. उनके खेतों में जो श्रमिक काम करते थे, उनके साथ मिलकर उन्होंने भी काम किया है. कृषि से उनका लगाव कक्षा 10 से हो गया था. छुट्टी के दौरान पीएचडी तक उन्होंने खेतों में काम किया. बैल के द्वारा चलने वाले हल पर भी वह बैठे हैं. बहुत खुशी है कि आज इसी विषय (कृषि) में अध्यापक बनने का मौका मिला है.
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FIRST PUBLISHED : July 31, 2024, 12:52 IST