17.2 C
Munich
Tuesday, May 21, 2024

दिल टूटने के बाद जिम में क्यों मिलता है सुकून? मिल गया जवाब, दिलजले जरूर पढ़ें यह खबर

Must read


हाइलाइट्स

वर्कआउट के दौरान लोगों के इमोशंस रिलीज हो जाते हैं और बेहतर महसूस करते हैं.जिम में एक्सरसाइज के दौरान लोगों के आंसू निकलने से हैप्पी हॉर्मोन्स रिलीज होते हैं.

How Gym Heals Broken Heart: अब तक आपने कई लोगों को ब्रेकअप के बाद जिम में जाकर पसीना बहाते हुए देखा होगा. कुछ जानी-मानी हस्तियों ने भी माना है कि रिश्ता टूटने के बाद उन्होंने जिम जाकर इस गम को भुलाने में सफलता हासिल की. अधिकतर लोग मानते हैं कि ब्रेकअप के बाद अगर कोई जिम जॉइन कर ले, तो इस सदमे से उबरने में मदद मिलती है. सवाल है कि क्या सच में जिम जॉइन करने से ब्रेकअप के दर्द को कम किया जा सकता है और अपनी जिंदगी में आगे बढ़ा जा सकता है. हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो इस बात में काफी हद तक सच्चाई है.

न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक जिम में जाकर वर्कआउट के दौरान अक्सर लोग इमोशनल हो जाते हैं और उनके आंसू निकलने लगते हैं. ऐसा होना बिल्कुल नॉर्मल होता है और इससे सेहत को फायदा होता है. कुछ लोग अपने वर्कआउट में खूब रोते हैं, जिससे उन्हें काफी लाभ मिल सकता है. अमेरिका की ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के वेक्सनर मेडिकल सेंटर के स्पोर्ट्स साइकोलॉजिस्ट ब्रैड फोल्त्ज़ का मानना है कि अगर कोई व्यक्ति स्ट्रेस का अनुभव कर रहा है या बेहद कठिन दौर से गुजर रहा है, तो वर्कआउट के दौरान इमोशंस से मुक्ति मिल सकती है.

साइकोलॉजिस्ट की मानें तो जिम वह जगह है जहां लोग ध्यान भटकाने वाली बातों से दूर रहकर अपना ‘मी टाइम’ बिता सकते हैं. जिम में वर्कआउट करते समय आपका ध्यान भटकाने के लिए फोन या कोई काम नहीं होता है. फोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से दूरी बनाने के दौरान आपका ब्रेन अपनी भावनाओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए स्पेस बना देता है. इससे लोगों को अपने इंटरनल इमोशंस पर काबू करने में मदद मिलती है. एक्सरसाइज करने के बाद लोग काफी हल्का और बेहतर महसूस करते हैं. इससे ब्रेकअप के दर्द को कम करने में मदद मिलती है.

कई स्टडी में यह बात सामने आ चुकी है कि जिम में वर्कआउट के दौरान आंसू निकलने से हमारे ब्रेन में हैप्पी हॉर्मोन एंडोर्फिन के साथ-साथ अच्छा महसूस कराने वाला हार्मोन ऑक्सीटोसिन भी रिलीज होता है. साल 2014 के एक अध्ययन के अनुसार रोने के दौरान हमारा पैरासिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम एक्टिव हो जाता है, जो शरीर को शांत करता है. इससे दर्द का एहसास नहीं होता है और मूड बेहतर हो जाता है. भावनात्मक आंसुओं में तनाव हार्मोन होते हैं और आंसू निकलने के बाद तनाव से राहत मिल सकती है. हालांकि अगर आप डिप्रेशन या अन्य मेंटल प्रॉब्लम्स का शिकार हैं, तो डॉक्टर से मिलकर कंसल्ट करें.

यह भी पढ़ें- महिलाओं को दिल का मरीज बना सकती है यह गंदी आदत, तुरंत कर लें किनारा, वरना जान पर आएगी आफत

यह भी पढ़ें- प्रोटीन सप्लीमेंट का बाप है यह देसी चीज, सिर्फ एक कटोरी करें सेवन, अंडा-पनीर से भी 10 गुना ज्यादा ताकतवर

Tags: Health, Lifestyle, Trending news



Source link

- Advertisement -spot_img

More articles

- Advertisement -spot_img

Latest article