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Sunday, October 20, 2024

महिलाओं की छोटी-सी गलती बना सकती है इस कैंसर का शिकार, क्यों खुद की बॉडी पर ध्यान देना जरूरी?

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टीवी एक्ट्रेस हिना खान ब्रेस्ट कैंसर से जंग लड़ रही हैं. उनसे पहले बॉलीवुड एक्टर आयुष्मान खुराना की पत्नी ताहिरा कश्यप, एक्ट्रेस महिमा चौधरी भी इस बीमारी को हरा चुकी हैं. महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. हर साल भारत में करीब 162468 महिलाओं को यह डिटेक्ट होता है लेकिन अगर यह सही समय पर पकड़ में आ जाए और इसका इलाज शुरू हो जाए तो इसमें महिला की रिकवरी 90% तक संभव है. अक्टूबर ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस (Breast Cancer Awareness month) का महीना है. हर महिला को ब्रेस्ट कैंसर के बारे में पता होना जरूरी है और खुद से इसकी जांच भी करनी चाहिए.

मां को हो तो बेटी को हो सकता है
ब्रेस्ट कैंसर जेनेटिक होता है. अगर किसी महिला को ब्रेस्ट कैंसर हुआ हो तो उनकी बेटी में भी इस बीमारी का रिस्क रहता है. अगर किसी की फैमिली हिस्ट्री इस तरह की रही हो तो ज्यादा सतर्क होने की जरूरत है. 

अनमैरिड होना भी हो सकता है कारण
रिसर्चगेट की स्टडी के अनुसार, ब्रेस्ट कैंसर का खतरा अनमैरिड महिलाओं में 24% से 28% ज्यादा होता है. इसकी वजह है बच्चे को जन्म ना देना और ब्रेस्ट फीडिंग ना करवाना. दरअसल प्रेग्नेंसी और ब्रेस्टफीडिंग के दौरान कई हार्मोन्स बदलते हैं और ब्रेस्ट फीडिंग से कैंसर होने की आशंका कम हो जाती है.

2020 में दुनिया में 685000 महिलाओं की ब्रेस्ट कैंसर से मौत हुई. (Image-Canva)

हॉर्मोनल रिप्लेसमेंट थेरेपी
हॉर्मोनल रिप्लेसमेंट थेरेपी उन्हीं महिलाओं को दी जाती है जिन्हें मेनोपॉज हो चुके हैं यानी उनकी ओवरी ने काम करना बंद कर दिया हो. यह थेरेपी 6 महीने से 1 साल लेने के बाद बंद कर देनी चाहिए. गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. मसरत खान के अनुसार, जिन महिलाओं की यूट्रस नहीं होती उन्हें एस्ट्रोजन थेरेपी दी जाती हैं और जिनकी यूट्रस होती है उन्हें एस्ट्रोजन प्रोजेस्टेरोन थेरेपी दी जाती है. इस थेरेपी में आर्टिफिशियल तरीके से हॉर्मोन दिए जाते हैं लेकिन कई बार यह थेरेपी ब्रेस्ट कैंसर की वजह बन जाती है. मायो क्लिनिक में छपी सेंटर फॉर वुमन हेल्थ की रिपोर्ट के अनुसार, 50 साल के बाद यह थेरेपी नहीं लेनी चाहिए. वहीं अगर कोई महिला लगातार 5 साल तक हॉर्मोन थेरेपी ले तो उन्हें ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है.  

गर्भनिरोधक गोलियां भी बनती हैं वजह
गर्भनिरोधक गोलियां अनचाही प्रेग्नेंसी से भले ही बचाती हैं, लेकिन यह ब्रेस्ट कैंसर का कारण भी बन सकती हैं. अमेरिका में हुई एक स्टडी के मुताबिक 1 लाख महिलाओं में से 8 में इस तरह का मामला मिला. इन महिलाओं ने 16 से 20 साल की उम्र में यह पिल्स खाई थीं. गर्भनिरोधक गोलियां वैसे तो सुरक्षित होती हैं लेकिन इनका हद से ज्यादा इस्तेमाल ठीक नहीं है. इस स्टडी में यह भी कहा गया कि जो महिलाएं IUS यानी इंट्रायूट्रेन सिस्टम लगवाती है उन्हें भी इसका खतरा रहता है. पिल्स और IUS से एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन हॉर्मोन रिलीज होते हैं जो ब्रेस्ट कैंसर का कारण बन सकते हैं.   

खराब लाइफस्टाइल से रिस्क
ब्रेस्ट कैंसर की वजह खराब लाइफस्टाइल भी है. कई महिलाएं तनाव में रहती हैं, जंक फूड खाती हैं, स्मोकिंग या ड्रिंक करती हैं, इस तरह की जीवनशैली शरीर को खराब करने के साथ-साथ ब्रेस्ट कैंसर की वजह भी बन सकती है. इसके अलावा मोटापा भी इसका रिस्क बढ़ा सकता है. 

पिंक रिबन ब्रेस्ट कैंसर का प्रतीक है जो इस बीमारी से लड़ने की हिम्मत और उम्मीद को दिखाता है. (Image-Canva)

खुद करें स्तनों की जांच
अधिकतर महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर का पता स्टेज 3 या 4 पर चलता है. अगर ब्रेस्ट में दर्द महसूस हो, दबाने पर कोई गांठ लगे, निप्पल से खून आए या किसी तरल पदार्थ का डिस्चार्ज हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं. हर महिला को हर रोज खुद से अपनी ब्रेस्ट की जांच करनी चाहिए ताकि समय रहते इस बीमारी को हराया जा सके. शीशे के सामने खड़े हो जाएं और ब्रेस्ट को हाथों से ढकें और पूरी ताकत के साथ दबाएं. जांच करें कि कोई गांठ या सूजन तो नहीं. इसके बाद हाथों को सिर के ऊपर रखें और ब्रेस्ट को ध्यान से देखें कि कहीं ब्रेस्ट सख्त तो नहीं हैं, उसका आकार या रंग अलग तो नहीं है, निप्पल का रंग पहले की तरह है या नहीं.   

मैमोग्राफी जरूरी
हर महिला को 40 साल की उम्र के बाद हर साल मैमोग्राफी जरूर करानी चाहिए. ब्रेस्ट कैंसर से बचने के लिए यह बेहद जरूरी है. यह एक एक्स-रे मशीन से होने वाला टेस्ट है जिसमें ब्रेस्ट की सतह के नीचे के टिश्यूज और डक्ट्स को देखा जाता है. अगर कोई गांठ दिखती है तो उसके बाद ट्यूमर को डिटेक्ट किया जाता है. 

जैसी स्टेज वैसा इलाज
क्लीवलैंड क्लिनिक के अनुसार, ब्रेस्ट कैंसर कई तरह का होता है. कैंसर का प्रकार और इसकी स्टेज देखकर ट्रीटमेंट शुरू होता है. कई बार सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी, कभी कीमोथेरेपी तो कभी टार्गेटेड बायोलॉजिकल थेरेपी दी जाती है. नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के मुताबिक अगर इसका पहली स्टेज पर ही पता चल जाए तो ब्रेस्ट कैंसर पूरी तरह से ठीक हो सकता है.  

Tags: Breast Cancer Se Jung, Cancer Survivor, Female Health, Health, Indian women, Lifestyle



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