देश में हजारों बच्चे थैलेसीमिया से पीड़ित हैं. यह एक ऐसा घातक रोग है, जिसमें बच्चे को बार-बार बाहरी खून चढ़ाना पड़ता है. जो अभिभावक आर्थिक रूप से संपन्न होते हैं, वह तो बार-बार खून चढ़ाने का खर्च वहन कर लेते हैं, लेकिन जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होती, वे बच्चे का इलाज नहीं करा पाते. हालांकि इसे शादी का फैसला करने से पहले ही कुछ सावधानियां रखकर नियंत्रित किया जा सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि यदि शादी से पहले ही लड़का-लड़की के खून की जांच हो जाए, तो इस आनुवंशिक रोग को खत्म किया जा सकता है.
जाने-माने हिमेटोलॉजिस्ट एवं ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. संकेत शाह का कहना है कि थैलेसीमिया के कारण शरीर में खून कम बनता है. यह एक वंशानुगत (जेनेटिक) रोग है, जिसमें माता-पिता के जीन अहम भूमिका निभाते हैं. यदि माता-पिता दोनों ही थैलेसीमिया के वाहक हैं, तभी यह बीमारी होने वाली संतान में ट्रांसफर होती है. ऐसे में अगर जागरुकता फैलाई जाए और शादी का फैसला करने से पहले ही लड़के और लड़की की जांच कर ली जाए, तो इसे होने से रोका जा सकता है. माता-पिता दोनों की कुंडली मिलाएं या नहीं, लेकिन थैलेसीमिया रिपोर्ट जरूर चेक करवाएं. यदि दोनों में से किसी एक की भी रिपोर्ट नॉर्मल है, तो शादी की जा सकती है.
जागरुकता की जरूरत
डॉ संकेत शाह ने बताया कि इसको लेकर सरकार और प्रशासन भी अपने स्तर पर जागरुकता के काफी प्रयास कर रहे है. लोगो को समझना चाहिए कि वह अपनी आने वाली संतान के सुखद जीवन के लिए यह जांच करवा रहे हैं.
जानिए नेशनल हेल्थ मिनिस्ट्री की रिपोर्ट
थैलेसीमिया इंटरनेशनल फेडरेशन के द्वारा 1994 में पूरे विश्व में विश्व थैलीसीमिया दिवस मनाने का निर्णय लिया गया था. नेशनल हेल्थ मिनिस्ट्री, भारत सरकार के अनुसार करीब 15 हजार बच्चे हर वर्ष थैलेसीमिया मेजर की बीमारी से ग्रसित होते हैं या जन्म लेते हैं. पूरे विश्व में अनुमानित रूप से 5 लाख बच्चे थैलेसीमिया से ग्रसित हैं.
27 साल की उम्र से रक्तदान के लिए लोगे को कर रहे जागरूक
जोधपुर के उम्मेद अस्पताल में बड़ी संख्या में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को खून चढ़ाने का काम किया जा रहा है. लाल बूंद जिंदगी रक्षक सेवा संस्थान के अध्यक्ष रजत गौड पिछले 10 साल से रक्तदान के लिए लोगों को जागरूक कर रहे हैं. रजत गौड बताते हैं कि थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों और सड़क हादसों में घायल लोगों को रक्त की जरूरत रहती है. इसी के चलते रक्तदान शिविरों का आयोजन करवाते हैं.
रजत यह जागरुकता भी फैला रहे हैं कि शादी हो रही हो तो लड़का-लड़की दोनों की कुंडली मिलाएं या नहीं, लेकिन थैलेसीमिया की जांच जरूर कराएं. उन्होंने एक टीम बना रखी है, जो आवश्यकता पड़ने पर लोगों को प्लेटलेट्स देती है. यह ब्लड को जोधपुर के सरकारी अस्पतालों में मुहैया करवाते हैं ताकि लोगों की जिंदगी बचाई जा सके.
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FIRST PUBLISHED : May 20, 2024, 10:32 IST