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यह पहाड़ी फल कुमाऊं में घिंगारु, गढ़वाली में घिंघरु और नेपाली में घंगारू के नाम से मशहूर है. छोटे-छोटे लाल सेव जैसे दिखने वाले घिंघरु के फलों को हिमालयन रेड बेरी, फायर थोर्न एप्पल या व्हाइट थोर्न भी कहते हैं. जबकि इसका वानस्पतिक नाम पैइराकैंथा क्रेनुलाटा है. घिंघारू एक औषधीय पौधा है, जिसकी जड़ से लेकर फल, फूल, पत्तियां और टहनियां सभी हमारे लिए उपयोगी है. यह फल सिर्फ 3 माह जून, जुलाई और अगस्त के आसपास ही मिलता है. स्कूली बच्चे और गांव में जंगल जाने वाली महिलाएं इसे बड़े चाव से खाती हैं. घिंघारू के फलों को सुखाकर चूर्ण बनाकर दही के साथ खूनी दस्त का उपचार किया जाता है. इन फलों में पर्याप्त मात्रा में शुगर भी पाई जाती है, जो शरीर को तत्काल ऊर्जा प्रदान करती है. इसके अलावा इसकी टहनी का प्रयोग दातून के रूप में भी किया जाता है, जिससे दांत दर्द से निजात भी मिलती है.