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Friday, July 11, 2025

स्पेस में रहने के बाद किन बीमारियों का बढ़ता है खतरा? जानें कितने महीनों में शरीर दोबारा होगा नॉर्मल

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Space and Astronauts Health: अंतरिक्ष में कई महीनों तक रहने से एस्ट्रोनॉट्स की सेहत पर बुरा असर पड़ता है. अंतरिक्ष में धरती के मुकाबले कई गुना ज्यादा रेडिएशन होता है और माइक्रोग्रैविटी होती है. इसकी वजह से हड्ड…और पढ़ें

स्पेस में रहने से अंतरिक्ष यात्रियों को कई परेशानियां हो जाती हैं.

हाइलाइट्स

  • अंतरिक्ष में रहने से हड्डियां और मांसपेशियां कमजोर होती हैं.
  • स्पेस में रहने से त्वचा पतली और आंखों पर असर पड़ता है.
  • अंतरिक्ष से लौटने पर रिकवरी में महीनों का समय लगता है.

How Space Changes Body: अंतरिक्ष में 9 महीने बिताने के बाद NASA के एस्ट्रोनॉट्स सुनीता विलियम्स और बैरी विल्मोर धरती पर सकुशल वापस लौट आए हैं. ये अंतरिक्ष यात्री स्पेस में सिर्फ 8 दिनों के मिशन पर गए थे, लेकिन बोइंग स्टारलिनर कैलिप्सो के थ्रस्टर्स में खराबी आने की वजह से वहीं फंस गए. इसके बाद एस्ट्रोनॉट्स ने 288 दिन इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में बिताए. अब उनकी धरती पर वापसी हो गई है. स्पेस में रहना शरीर के लिए काफी चुनौतीपूर्ण होता है और इससे शरीर पर कई गंभीर असर पड़ते हैं. धरती पर लौटने के बाद एस्ट्रोनॉट्स को रिकवरी में महीनों का वक्त लग जाता है.

अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक अंतरिक्ष में माइक्रोग्रैविटी यानी गुरुत्वाकर्षण के बिना रहना शरीर के लिए बेहद कठिन होता है. धरती पर हमारी मांसपेशियां और हड्डियां ग्रैविटी के असर से मजबूती रहती हैं, लेकिन अंतरिक्ष में बिना गुरुत्वाकर्षण के शरीर में कई बदलाव आते हैं. स्पेस में अंतरिक्ष यात्रियों की मांसपेशियां सिकुड़ने लगती हैं और हड्डियां कमजोर हो जाती हैं. इसके अलावा शरीर का फ्लूड बैलेंस भी गड़बड़ होने लगता है. धरती पर लौटने के बाद शरीर कई चीजें तो नॉर्मल कर लेता है, लेकिन कुछ अंगों पर इसका परमानेंट असर पड़ता है.

स्पेस में रहने पर शरीर में हो सकते हैं ये बदलाव

मसल्स – अंतरिक्ष में रहते हुए एस्ट्रोनॉट्स की मसल्स यानी मांसपेशियों की ताकत कम हो जाती है, क्योंकि उन्हें शरीर का वजन उठाने के लिए अपनी टांगों का इस्तेमाल नहीं करना पड़ता है. इसकी वजह से हर महीने 1 पर्सेंट मसल लॉस हो जाता है.

हड्डियां – अंतरिक्ष में रहने से अंतरिक्ष यात्रियों की हड्डियां भी कमजोर हो जाती हैं. हर महीने उनकी हड्डियों का घनत्व यानी बोन डेंसिटी 1 प्रतिशत घट जाती है. इससे हड्डियों की बीमारी का खतरा बढ़ सकता है. बोन डेंसिटी की रिकवरी भी नहीं होती है.

तरल पदार्थ और शरीर का वजन – एस्ट्रोनॉट्स अंतरिक्ष में 20 प्रतिशत शरीर के तरल पदार्थ और 5 प्रतिशत शरीर के वजन को खो देते हैं. आसान भाषा में कहें, तो उनके शरीर का फ्लूड और वजन कम हो जाता है.

त्वचा और आंखें – स्पेस में रहने से अंतरिक्ष यात्रियों की त्वचा पतली हो जाती है. इससे स्किन फटने लगती है और ठीक होने में ज्यादा समय लेती है. इसके अलावा माइक्रोग्रैविटी विजन पर असर डालती है. स्पेस में रेडिएशन के कारण मोतियाबिंद का खतरा बढ़ता है.

क्या लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहना खतरनाक?

एक्सपर्ट्स की मानें तो अंतरिक्ष यात्रा के दौरान रेडिएशन एक बड़ा खतरा होता है. हालांकि ISS पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से संरक्षित है, लेकिन 6 महीने से अधिक समय तक अंतरिक्ष में रहने पर एस्ट्रोनॉट्स को पृथ्वी पर होने वाली प्राकृतिक रेडिएशन से 10 गुना ज्यादा रेडिएशन मिलता है. लंबे समय तक इस रेडिएशन के संपर्क में रहने से कैंसर का खतरा बढ़ सकता है और मस्तिष्क के विकास में गिरावट आ सकती है.

अंतरिक्ष से लौटने पर कितने दिनों में होती है रिकवरी?

अंतरिक्ष से लौटने के बाद एस्ट्रोनॉट्स के शरीर को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में फिर से समायोजित होने में काफी समय लगता है. इस दौरान उन्हें संतुलन की समस्या, चक्कर आना और दिल की धड़कन धीमी होने जैसी समस्याओं का सामना हो सकता है. हालांकि समय के साथ शरीर में सुधार होने लगता है, लेकिन कई शारीरिक और मानसिक समस्याएं लंबे समय तक बनी रहती हैं.

ऐसे नॉर्मल होने लगता है अंतरिक्ष यात्रियों का शरीर?

पहला सप्ताह – जैसे ही एस्ट्रोनॉट्स पृथ्वी पर लौटते हैं, उनके शरीर का आकार वापस सामान्य हो जाता है और ब्लड प्रेशर सामान्य हो जाता है. पहले हफ्ते में उन्हें अक्सर गति की बीमारी, दिशा में उलझन और संतुलन की समस्या का सामना करना पड़ता है, लेकिन ये समस्याएँ धीरे-धीरे ठीक हो जाती हैं.

दूसरा सप्ताह – दूसरे सप्ताह में एस्ट्रोनॉट्स की इम्यूनिटी फिर से काम करने लगती है और शरीर में खोए हुए तरल पदार्थ वापस आ जाते हैं. लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन सामान्य हो जाता है और मांसपेशियाँ फिर से बनना शुरू हो जाती हैं.

तीसरे महीने तक – स्पेस से लौटने के बाद तीसरे महीने तक अंतरिक्ष यात्रियों की त्वचा पूरी तरह से ठीक हो जाती है और शरीर का वजन सामान्य हो जाता है. आंखों की समस्याएं भी दूर हो जाती हैं.

छह महीने बाद – हड्डियों का खोया हुआ द्रव्यमान फिर से नहीं बन पाता और हड्डियां टूटने का खतरा बना रहता है. 6 महीने बाद अंतरिक्ष यात्रियों के 93 प्रतिशत जीन सामान्य हो जाते हैं, लेकिन 7 प्रतिशत जीन में अब भी परिवर्तन बना रहता है.

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स्पेस में रहने के बाद किन बीमारियों का बढ़ता है खतरा? जानें कैसे होगी रिकवरी



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