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Sunday, January 12, 2025

तांत्रिक से झाड़-फूंक कर हो गए हैं परेशान, डॉक्टर ने बताया बीमारी का समाधान

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श्रीनगर गढ़वाल: अगर आप उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में रहते हैं और आपका कोई परिचित या परिवार का सदस्य सामान्य से अलग हरकतें कर रहा है और आप किसी तांत्रिक या ओझा से झाड़, फूंक या पूजा पाठ करवा रहे हैं, लेकिन वह ठीक होने के बजाय और अधिक बीमार पड़ रहा है या अजीबोगरीब हरकत कर रहा है, तो उसे एक बार जरूर नजदीकी अस्पताल ले जाकर मनोरोग विशेषज्ञ को दिखाएं. क्योंकि ये लक्षण स्किजोफ्रेनिया या उसके अपग्रेड वर्जन साइकोसिस के हो सकते हैं.

बेस अस्पताल की डॉक्टर ने बताया
बेस अस्पताल श्रीनगर में मनोरोग विभाग की डॉक्टर श्वेता कृष्णा ने लोकल 18 को बताया कि किसी को लगता है कि कोई आपसे बात कर रहा है, उसे कुछ अजीब आवाजें सुनाई दे रही हैं. ऐसा होने पर ज्यादातर लोग सोचते हैं. ये सब किसी भूत-प्रेत या दैवीय शक्ति का प्रकोप है, लेकिन ऐसा नहीं है. ये स्किजोफ्रेनिया के साइकोसिस के लक्षण हो सकते हैं. उन्होंने बताया कि भारत में लगभग 2 करोड़ से अधिक लोग साइकोसिस से पीड़ित हैं और कई लोगों को तो इसकी जानकारी तक नही हैं.

जानें साइकोसिस के लक्षण
साइकोसिस के लक्षण को लेकर डॉ.श्वेता कृष्णा ने बताया कि इस बीमारी के शुरूआती लक्षण में नींद न आना, चिड़चिड़ापन होना, बेतुकी बातें करना, समाज से अलग रहना, काम में मन न लगना और बीमारी अधिक गंभीर होने पर अजीब आवाज सुनाई देना , मन में भ्रम, मर जाने की बात करना जैसे लक्षण होते हैं. यहां तक कि व्यक्ति गंभीर स्थिति में पहुंच जाता है. वह मर जाने की बात करता है और खुद के अंगों तक को काट लेता है.

जानें साइकोसिस होने के कारण
साइकोसिस होने के अलग-अलग कारण हो सकते हैं. जिनमें लंबे समय से मानसिक तनाव से परेशान, शराब पीना, गांजा और चरस का सेवन करने से दिमाग की नशों का ब्लॉक होना, दिमाग पर चोट लगना और टॉक्सिन जैसे अन्य नशीले पदार्थों के सेवन शामिल हैं.

ऐसे करें साइकोसिस का इलाज एवं बचाव
इस बीमारी का इलाज तांत्रिक,ओझा से झाड़ फूंक कर नहीं, डॉक्टरों से कराना चाहिए. शुरुआती लक्षण जैसे नींद न आना, चिड़चिड़ापन होना, बेतुकी बातें करना, समाज से अलग रहना, काम में मन न लगना, व्यवहार में कटापन,कोई आवाज सुनाई देना अगर किसी मरीज में दिखते हैं तो उसे तत्काल डॉक्टर को दिखाना चाहिए. इलाज के कई उपाय हैं जिनमें दवाइयों, इंजेक्शन और शौक ट्रीटमेंट के जरिये मरीज को लगभग 2 साल के अंदर ठीक किया जा सकता है.

Tags: Local18, Srinagar News



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