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Monday, December 23, 2024

इसे कहते हैं चमत्‍कार! गर्भ में मरने वाला था बच्‍चा, अचानक जापान से आया खून और फिर AIIMS में हो गया कमाल

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ऑल इंडिया इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेडिकल सांइसेज (AIIMS) नई दिल्‍ली ऐसे ही देश का सबसे अच्‍छा अस्‍पताल नहीं है. यहां के डॉक्‍टर्स मरीजों के लिए भगवान हैं. तभी जिस महिला के 7 बच्‍चे गर्भ में ही मर चुके थे और आठवां बच्‍चा भी मौत के मुंह में समाने जा रहा था, एम्‍स उसके लिए किसी देव स्‍थान की तरह सामने आया और फिर जो चमत्‍कार हुआ, वह आश्‍चर्यचकित करने वाला है.

हरियाणा के एक गांव की गरीब महिला जब एम्‍स में आई तो उसके 7 बच्‍चे गर्भ में ही मर चुके थे. आसपास के दर्जनों डॉक्‍टर उसे कह चुके थे कि वह मां नहीं बन पाएगी, हालांकि पांच साल की शादी में उसने एक बार फिर गर्भवती होने का फैसला किया. इस बार वह आठवीं बार मां बनने जा रही थी लेकिन उसके साथ फिर वही होने वाला था कि उसके शरीर में बनी एंटीबॉडीज उसके बच्‍चे को पेट के अंदर-अंदर ही खत्‍म किए दे रही थीं.

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एम्‍स के गायनेकोलॉजी एंड ओबीएस विभाग की एचओडी डॉ. नीना मल्‍होत्रा New18hindi से बातचीत में बताती हैं कि हिस्‍ट्री देखने के बाद एम्‍स में आई इस महिला की सभी जांचें की गईं. हालांकि इस ब्‍लड ग्रुप को ही डायग्‍नोस करना काफी क्रिटिकल था लेकिन एम्‍स के हेमेटोलॉजी विभाग ने सिर्फ ब्‍लड ही नहीं बल्कि जीन की भी जांच की, जिसमें पता चला कि इस महिला का आर-एच नेगेटिव ब्‍लड ग्रुप था, जो बच्‍चे को नहीं चढ़ पा रहा था. साथ ही इस महिला में एंटीबॉडीज थीं जो इस बच्‍चे को भी खत्‍म कर देंगी, ऐसे में इस बच्‍चे को बचाने का एक ही तरीका था कि मां के पेट के अंदर ही बच्‍चे को ये ब्‍लड चढ़ाया जाए.

भारत में नहीं मिला ब्‍लड
डॉ. नीना कहती हैं कि आरएच नेगेटिव ब्‍लड ग्रुप रेयर ऑफ द रेयरेस्‍ट है और एक लाख लोगों में किसी एक का ही होता है. ऐसे में बच्‍चे को बचाने के लिए भारत के सभी बड़े अस्‍पतालों और ब्‍लड बैंकों में इस ब्‍लड का पता लगाया गया तो यहां यह ब्‍लड नहीं मिला. हालांकि अंतर्राष्‍ट्रीय दुर्लभ ब्‍लड पैनल में एक भारतीय व्‍यक्ति इस ब्‍लड ब्‍लड ग्रुप का मिल गया लेकिन उसने खून देने से मना कर दिया. इसके बाद इस रेयर ब्‍लड की मांग इंटरनेशनल ब्‍लड रजिस्‍ट्री के सामने की गई, जिसमें जापान की रेड क्रॉस सोसायटी ने इस खून के उपलब्‍ध होने की बात कही.

48 घंटे में भारत पहुंचा खून
उसके बाद जापान से इस ब्‍लड की 4 यूनिट तत्‍काल भारत भेजी गईं. 48 घंटे में यह ब्‍लड भारत के एम्‍स पहुंच गया और महिला के पेट के अंदर ही बच्‍चे को चढ़ाया गया. इसके बाद महिला की डिलिवरी हुई और स्‍वस्‍थ बच्‍ची पैदा हुई.

एम्‍स में आए कई केस, लेकिन ये पहली तरह का
डॉ. नीना बताती हैं कि आमतौर पर खून की जरूरत किसी एक्‍सीडेंटल केस, सर्जरी या गर्भावस्‍था के दौरान ही पड़ती है. एम्‍स में हफ्ते में 5 या 6 केस ऐसे आते हैं जिनमें मां से बच्‍चे को खून नहीं चढ़ता और महिला व बच्‍चे को ब्‍लड ट्रांसफ्यूजन की जरूरत पड़ती है, लेकिन यह पहला मामला था जब आरएच नेगेटिव मदर और बच्‍चे के अलग जीन की पहचान कर, बाहर से रेयर ब्‍लड मंगवाकर, पेट में बच्‍चे को चढ़ाकर बचाया गया.

डॉक्‍टर्स ही नहीं सोशल सपोर्ट सिस्‍टम भी जरूरी
डॉ. नीना कहती हैं कि इस केस में जितनी मेहनत एम्‍स के डॉक्‍टरों ने की, उतनी ही एम्‍स के ब्‍लड बैंक, एनजीओ, सोशल सपोर्ट सिस्‍टम ने भी की, यही वजह थी कि भारत में कई जगह अनुमति लेने के बाद अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर ब्‍लड की मांग किए जाने के बाद इतनी जल्‍दी जापान से खून मंगाया जा सका और बच्‍चे की जान बच गई.

पिछले साल का है मामला, अब जर्नल में छपा
डॉ. नीना कहती हैं कि दरअसल ये मामला पिछले साल का है, जब एम्‍स में यह महिला आई थी. चूंकि यह भारत का पहला मामला था जब जीन की पहचान कर, रेयरेस्‍ट ब्‍लड विदेश से मंगाकर बच्‍चे को बचाया जा सका. इसलिए इसे इंटरनेशनल जर्नल में भेजा गया. जहां यह अभी पब्लिश हुआ है.

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Tags: Aiims delhi, Aiims doctor, Delhi news



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