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Tuesday, April 8, 2025

मोबाइल का इस्तेमाल बच्चों के लिए हो रहा घातक, मानसिक और शारीरिक विकास में आ रही है ये दिक्कत

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virtual autism: बच्चों का चिड़चिड़ापन या फिर माता पिता के प्रति गलत व्यवहार भी हो सकता है. जिससे निजाद पाने के लिए बच्चे की कुछ थेरेपीज करानी होती है जिसमें वे बच्चों…

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बरेली जिला अस्पताल मनकक्ष प्रभारी डॉक्टर आशीष.

बरेली: लोग बच्चों के संभालने के लिए सबसे आसान तरीका ये पाते हैं कि मोबाइल में कार्टून या बच्चों के संगीत लगाकर उन्हें मोबाइल दे देते हैं. इससे धीरे-धीरे बच्चा मोबाइल का आदी हो जाता है. इससे उसके बर्ताव और व्यवहार में भी काफी बदलाव आ जाता है. उसकी एक अलग दुनिया हो जाती है. इससे वह अपने साथ वाले बच्चों के साथ घुलमिल नहीं पाता. इससे उसका मानसिक और शारीरिक विकास भी रुक जाता है. अगर आपके साथ भी कुछ ऐसा है तो यह खबर आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है.

इन दिनों जो कम उम्र के बच्चे ज्यादा समय तक फोन का इस्तेमाल रील देखने में करते हैं. इससे उनमे ऑटिज्म जैसे लक्षण नजर आने लगते है. इसे वर्चुअल ऑटिज्म कहा जाता है. ऐसे में बच्चे स्क्रीन देखने के आदी हो जाते हैं. उनका मानसिक और शारीरिक विकास भी प्रभावित होता है. वर्चुअल ऑटिज्म को अगर समय चलते नहीं ठीक किया गया तो यह सेहत के लिए हानिकारक साबित हो सकता है. इसका अंदाजा बच्चों की कुछ असामान्य गतिविधियों से लगाया जा सकता है.

वर्चुअल ऑटिज्म के शिकार बच्चों में चिड़चिड़ापन या फिर माता-पिता के प्रति गलत व्यवहार देखने को मिल सकता है. इससे निजात पाने के लिए बच्चे की कुछ थेरेपीज करानी होती है जिसमें, बच्चों की काउंसलिंग की जाती है. उन्हें इस तरह ट्रीट किया जाता है जिससे कुछ ही समय में इस बीमारी का प्रभाव खत्म हो जाता है. वैसे भी वर्चुअल ऑटिज्म को बीमारी नहीं माना जाता बल्कि यह एक मानसिक स्थिति होती है. और जब यह स्थिति बिगड़ जाती है तो उसके लिए फिर बच्चों को दवाइयां दी जाती हैं.

इस पर डॉ आशीष ने लोकल 18 से एक खास बातचीत के दौरान बताया कि पहले उनके पास बहुत कम बच्चे आते थे लेकिन जैसे-जैसे मां-बाप सक्रिय होते जा रहे हैं वैसे-वैसे बच्चों की तादात बढ़ती जा रही है. जो बच्चे आखिरी स्टेज में होते हैं उनका इलाज करना काफी कठिन हो जाता है. इसके लिए पहले से सक्रिय होना जरूरी है. हालांकि, इस बीमारी के लिए थेरेपी की जाती है.

इस बीमारी का अंदाजा ऐसा लगाया जा सकता है कि यदि कोई बच्चा अपने मां-बाप से सही ढंग से बात नहीं करता तो उसमें भी ऐसे लक्षण होने की संभावना है. इससे बचाने के लिए बच्चों को मोबाइल से दूर रखें. इससे निजात पाने के लिए बच्चों की काउंसलिंग और थेरेपी कराई जाती है.

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मोबाइल का इस्तेमाल बच्चों के लिए घातक, पैदा कर रहा है ये दिक्कत



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