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GB Syndrome Prevention Tips: जीबी सिंड्रोम संक्रामक बीमारी है और इसके फैलने के कई कारण हो सकते हैं. इसमें मरीज को लकवा मार सकता है और इसका असर पैरों से लेकर फेफड़े तक पर पड़ता है. इसका असर एकसे सात दिनों में दिखा…और पढ़ें
सवाई मानसिंह अस्पताल में जीबी सिंड्रोम के 4 मरीज मामले मौजूद हैं.
हाइलाइट्स
- जयपुर में जीबी सिंड्रोम के 4 मामले सामने आए.
- जीबी सिंड्रोम गंदे पानी और संक्रमित भोजन से फैलता है.
- इम्यूनोग्लोबुलिन और प्लाज्मा फेरिसिस थैरेपी प्रभावी इलाज हैं.
जयपुर. राजस्थान में लगातार नए-नए वायरस फैल रहें हैं. अब यहां गुलियन बैरी जीबी सिंड्रोम का खतरा बढ़ रहा है. प्रशासन के आंकड़ों के अनुसार राजस्थान में हर महीने 30 से अधिक जीबी सिंड्रोम के मामले सामने आ रहे हैं. राजस्थान के सबसे बड़े अस्पताल सवाई मानसिंह अस्पताल में अब तक 4 केस सामने आए हैं. सवाई मानसिंह अस्पताल के चिकित्सक डॉ. सुनील बताते हैं कि गुलियन बैरी जीबी सिंड्रोम के मल्टीपल कारण होते हैं. इसमें खासतौर पर मरीजों में लक़वे की समस्या शुरू होती है, जिसका असर पैरों से फेफड़ों तक होता है. लेकिन, समय पर इलाज मिलने पर जीबी सिंड्रोम से बचा जा सकता हैं.
आपको बता दें पिछले दिनों गुलियन बैरी जीबी सिंड्रोम के सबसे ज्यादा केस महाराष्ट्र में सक्रिय थे और हाल ही में जयपुर से भी जीबी सिंड्रोम से पीड़ित एक बच्चे की मौत का मामला सामने आया है. इसके बाद राजस्थान में अब सावधानी बरती जा रही है. हालांकि डॉक्टर्स का कहना है कि राजस्थान में अभी खतरे वाली बात नहीं है, बस सावधानी बरतने की जरूरत है. डाक्टरों के अनुसार यह बीमारी संक्रमित पानी से फैल सकती है, लेकिन संक्रमित व्यक्ति से किसी अन्य में नहीं फैलती. इसलिए, इसके फैलने का खतरा अन्य वायरस के मुकाबले कम है.
नसों और मांसपेशियों पर हमला करता है जीबी सिंड्रोम
राजस्थान में चर्चाओं में बना गुलियन बैरी जीबी सिंड्रोम एक संक्रमित बीमारी है, जो गंदे पानी या संक्रमित भोजन से फैलती है. पानी में मिलने वाले कैम्पाइलोबैक्टर जेजुनी बैक्टीरिया शरीर में इन्फेक्शन से लड़ने वाली एंटीबॉडीज और कुछ मामलों में नसों और मांसपेशियों पर हमला कर देते हैं, जिसमें जीबी सिंड्रोम का खतरा बना रहता है. सवाई मानसिंह अस्पताल के चिकित्सक डॉ. सुनील बताते हैं कि जीबी सिंड्रोम गंदे पानी के अलावा पोल्ट्री फार्म प्रोडक्ट्स जैसे चिकन, अंडे से भी फैलता है. साथ ही बिना पके इन प्रोडक्ट्स के आहार से जीबी सिंड्रोम का खतरा बना रहता है. जीबी सिंड्रोम का असर 1 से 7 दिनों में दिखाई देता है. जीबी सिंड्रोम में विशेष रूप से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली यानी नसों की ऊपरी परत पर हमला करती है, जिससे नसें कमजोर होने लगती है. साथ ही जीबी सिंड्रोम में झनझनाहट और कुछ मामलों में सांस लेने और निगलने में कठिनाई होती है.
ये है जीबी सिंड्रोम से बचाव का तरीका
डॉ. सुनील बताते हैं कि जीबी सिंड्रोम के संक्रमण से मरीजों में कई सारे लक्षण देखने को मिलते हैं. जिसमें मुख्य रूप से दस्त लगना, चक्कर आना, डिहाइड्रेशन जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, लेकिन हर व्यक्ति में इसका असर अलग-अलग रूप में दिखाई देता है. सामान्य लक्षणों के अलावा जीबी सिंड्रोम में अगर यह बीमारी गले की निगलने वाली मांसपेशियों और रेस्पिरेटरी मांसपेशियों को प्रभावित करने लगे, तो मरीज को वेंटिलेटर पर ले जाना पड़ सकता है. जीबी सिंड्रोम के इलाज के लिए सबसे पहले जागरूकता जरूरी है. डाक्टर्स के अनुसार जीबी सिंड्रोम के इलाज में इम्यूनोग्लोबुलिन और प्लाज्मा फेरिसिस थैरेपी सबसे प्रभावी मानी जाती है. शुरुआत में ही जीबी सिंड्रोम का पता चल जाए और उपचार शुरू हो जाए तो मरीज को ठीक किया जा सकता है.
Jaipur,Rajasthan
January 30, 2025, 15:59 IST
कैसे फैलती है जीबी सिंड्रोम बीमारी? एक्सपर्ट से जानें लक्षण और बचाव के तरीके