6.4 C
Munich
Thursday, November 7, 2024

क्या होती है टाइप 1 डायबिटीज? यह टाइप 2 डायबिटीज से कितनी अलग, डॉक्टर से जानें

Must read


All About Type 1 Diabetes: आज के दौर में डायबिटीज पूरी दुनिया में कहर बरपा रही है. करोड़ों की तादाद में लोग इस गंभीर बीमारी का शिकार हो रहे हैं. एक अनुमान के मुताबिक भारत में 10 करोड़ से ज्यादा लोग डायबिटीज से जूझ रहे हैं, जबकि 15 करोड़ लोगों को इसका सबसे ज्यादा खतरा है. इसे शुगर की बीमारी भी कहा जाता है. डायबिटीज एक खतरनाक बीमारी है, जिसमें व्यक्ति का ब्लड शुगर अनकंट्रोल हो जाता है और शरीर के सभी अंगों को डैमेज करना शुरू कर देता है. डायबिटीज को इलाज से केवल कंट्रोल किया जा सकता है. एक बार डायबिटीज हो जाए, तो रिवर्स नहीं किया जा सकता.

नई दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल के प्रिवेंटिव हेल्थ एंड वेलनेस डिपार्टमेंट की डायरेक्टर डॉ. सोनिया रावत ने News18 को बताया कि डायबिटीज मुख्य तौर पर 2 तरह की होती है. पहली टाइप 1 डायबिटीज और दूसरी टाइप 2 डायबिटीज. इन दोनों ही कंडीशन में लोगों का ब्लड शुगर अनकंट्रोल होने लगता है और शुगर लेवल को मेंटेन करने के लिए जिंदगीभर दवाओं या इंसुलिन का सहारा लेना पड़ता है. यह बीमारी शरीर को बेहद कमजोर बना देती है और हार्ट डिजीज का जोखिम पैदा कर सकती है. टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज होने की वजह अलग-अलग होती है और इनके ट्रीटमेंट में भी थोड़ा अंतर है.

क्या होती है टाइप 1 डायबिटीज?

डॉक्टर सोनिया रावत ने बताया कि टाइप 1 डायबिटीज ऑटोइम्यून डिजीज है. जेनेटिक कारणों की वजह से यह बीमारी हो सकती है. टाइप 1 डायबिटीज के मरीजों के शरीर में इंसुलिन बेहद कम बनता है या बिल्कुल इंसुलिन नहीं बनता है. ऐसी कंडीशन में ब्लड शुगर काबू से बाहर हो जाता है. दरअसल इंसुलिन एक हॉर्मोन होता है, जो हमारे शरीर में ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है. जब शरीर में इसकी कमी हो जाती है, तब शुगर लेवल बढ़ने लगता है. यह बीमारी अक्सर कम उम्र के लोगों को होती है और इसे कंट्रोल करने के लिए इंसुलिन की डोज लेनी पड़ती है. यह डायबिटीज जन्मजात भी हो सकती है.

क्या होती है टाइप 2 डायबिटीज?

हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो टाइप 2 डायबिटीज लाइफस्टाइल और अन्य फैक्टर्स की वजह से होती है. इस बीमारी के मरीजों के शरीर में इंसुलिन तो पर्याप्त मात्रा में बनता है, लेकिन रजिस्टेंस पैदा होने की वजह से इंसुलिन सही तरीके से काम नहीं कर पाता है. ऐसे में इंसुलिन बनने के बावजूद ब्लड शुगर बढ़ जाता है और उसे कंट्रोल करने के लिए दवाओं का सहारा लेना पड़ता है. टाइप 2 डायबिटीज का खतरा 30 साल से ज्यादा के लोगों को अधिक होता है. मोटापा, अनहेल्दी लाइफस्टाइल, बिना फिजिकल एक्टिविटी वाली लाइफ भी इस बीमारी की वजह बन सकती है. इसकी कई दवाएं होती हैं.

दोनों तरह की डायबिटीज का क्या है ट्रीटमेंट?

डॉ. सोनिया रावत का कहना है कि टाइप 1 डायबिटीज के मरीजों को उनकी कंडीशन के अनुसार इंसुलिन की डोज दी जाती है और खान-पान व नियमित एक्सरसाइज करने की सलाह दी जाती है. जबकि टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों को ब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिए दवाएं दी जाती हैं. जब दवा लेने के बाद भी शुगर लेवल कंट्रोल नहीं होता है, तब इस कंडीशन में T2D के मरीजों को भी इंसुलिन की डोज देते हैं. टाइप 2 डायबिटीज से बचाव किया जा सकता है. लोगों को दोनों ही तरह की डायबिटीज का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट कराना पड़ता है.

यह भी पढ़ें- क्या कभी अल्जाइमर की वैक्सीन बन पाएगी? हार्वर्ड के वैज्ञानिकों ने कही चौंकाने वाली बात, आप भी जान लें

Tags: Blood Sugar, Health, Lifestyle, Trending news



Source link

- Advertisement -spot_img

More articles

- Advertisement -spot_img

Latest article