दरभंगा: मिथिला की सभ्यता और संस्कृति में पान के पत्ते का विशेष स्थान है. यहां हर धार्मिक अनुष्ठान में पान के पत्ते का होना अनिवार्य माना जाता है. लेकिन पान के पत्ते में सिर्फ धार्मिक महत्व ही नहीं है, बल्कि इसमें कई औषधीय गुण भी हैं, पान के पत्ते के औषधीय गुणोंं के बारे में डॉक्टर राजीव शर्मा ने बताया कि पान के पत्ते में टैनिन, प्रोपेन, एल्कलॉयड जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व पाए जाते हैं. ये तत्व मनुष्य शरीर के लिए काफी लाभदायक हैं. पान के पत्ते चबाने से शरीर में दर्द और सूजन से लेकर यूरिक एसिड तक कंट्रोल होता है .
आयुर्वेद में पान के पत्ते का अध्ययन किया गया है और इसके फायदों को बताया गया है. पान के पत्ते का उपयोग चोट लगने पर भी किया जाता था और इससे दर्द में राहत मिलती थी. मिथिला में पान की खेती वृहद पैमाने पर की जाती थी, लेकिन अब बहुत कम संख्या में किसान पान की खेती करते हैं. उत्तर बिहार में पान के कई किस्म आपको बाजारों में मिल जाएंगे, जिनमें मिथिला का देसी पान, मीठा पत्ता, सदा पत्ता पान और मसालेदार पान शामिल हैं .
पान की खेती की चुनौतियां
पान की खेती करना बहुत मुश्किलों का काम होता है क्योंकि इस फसल को बरसात, ठंड और गर्मी तीनों चीजों से बचा कर रखना होता है. इन तीनों मौसम में इसे संतुलन बनाए रखना होता है, नहीं तो फसल बर्बाद होने का चांस ज्यादा होता है. मिथिला में पान का पत्ता धार्मिक आस्था और औषधीय गुणों का संगम है. इसके अलावा पान की खेती करना भी एक महत्वपूर्ण काम है. हमें पान के पत्ते के महत्व को समझना चाहिए और इसका सही तरीके से उपयोग करना चाहिए.
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FIRST PUBLISHED : October 17, 2024, 10:19 IST
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