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Wednesday, February 5, 2025

हर 10 में से 9 लोगों के शरीर में छिपा बैठा है घातक बैक्टीरिया ! जैसे ही चूके कर देगा अटैक, हो जाएं अलर्ट

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Facts About Tuberculosis Disease: भारत में ट्यूबरकुलोसिस यानी टीबी की बीमारी पिछले कई दशकों से तबाही मचा रही है. देश में टीबी से लाखों लोग जूझ रहे हैं और हजारों लोगों की जान हर साल इस घातक बीमारी की वजह से चली जाती है. सरकारें लंबे समय से टीबी मुक्त भारत बनाने की कोशिशें कर रही हैं, लेकिन अभी तक हालात सुधरे नहीं हैं. रिपोर्ट्स की मानें तो दुनिया में सबसे ज्यादा मरीज भारत में हैं. हाल ही में केंद्र सरकार की ओर से एक बयान जारी कर कहा गया है कि इस साल जनवरी से अक्टूबर के बीच लगभग 21.69 लाख टीबी के मामले सामने आए हैं.

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में कहा कि 2020 में टीबी के मामले 18.05 लाख थे, जो साल 2023 में 25.52 लाख हो गए. साल 2024 में जनवरी से अक्टूबर के बीच लगभग 21.69 लाख टीबी के मामले रिकॉर्ड किए गए हैं. सरकार का लक्ष्य 2030 के वैश्विक लक्ष्य से पांच साल पहले यानी 2025 तक टीबी को खत्म करना है. हालांकि जिस हिसाब से टीबी के मरीज मिल रहे हैं, उससे अगले साल तक इस बीमारी को खत्म करने की बात दूर की कौड़ी नजर आती है. हेल्थ एक्सपर्ट्स भी मानते हैं कि टीबी को इतनी जल्दी खत्म करना संभव नहीं है.

नई दिल्ली के साकेत स्थित मंत्री रेस्पिरेटरी क्लीनिक के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. भगवान मंत्री ने News18 को बताया कि टीबी की बीमारी मायोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक बैक्टीरिया की वजह से होती है. यह बैक्टीरिया वातावरण में मौजूद होता है और यह करीब 90% लोगों के शरीर में पहुंच चुका है. हालांकि जब तक लोगों की इम्यूनिटी मजबूत रहती है, तब तक टीबी का बैक्टीरिया दबा हुआ रहता है. जैसे ही लोगों की इम्यूनिटी कमजोर होती है, वैसे ही यह बैक्टीरिया शरीर पर अटैक कर देता है. इसके बाद लोगों को टीबी की बीमारी पैदा हो जाती है. टीबी शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है.

पल्मोनोलॉजिस्ट ने बताया कि इस बीमारी के सबसे ज्यादा मरीज पल्मोनरी टीबी के होते हैं. फेफड़ों की टीबी का पता लगाना आसान होता है और इसके लिए कई तरह के टेस्ट अवेलेबल हैं, लेकिन शरीर के अन्य हिस्सों की टीबी को डायग्नोज करना मुश्किल होता है. टीबी की बीमारी को खत्म करने के लिए लंबे समय तक एंटीबायोटिक्स लेने की जरूरत होती है. टीबी के एंटीबायोटिक्स अलग से मिलते हैं, जो करीब 6 से 9 महीने तक लेने पड़ते हैं. टीबी की बीमारी का पता अगर अर्ली स्टेज में चल जाए, तो इलाज के जरिए इसे बीमारी से छुटकारा मिल सकता है. अगर यह ज्यादा फैल जाए, तो जानलेवा हो सकती है.

डॉक्टर भगवान मंत्री ने बताया कि अगर किसी व्यक्ति को लंबे समय तक खांसी हो रही हो या कोई अबनॉर्मल लक्षण नजर आ रहा हो, तो डॉक्टर से मिलकर ट्रीटमेंट करवाना चाहिए. अगर फिजीशियन की दी गई दवा से भी राहत न मिले, तो लोगों को पल्मोनोलॉजिस्ट से मिलकर कंसल्ट करना चाहिए. भारत में टीबी खत्म न होने की एक बड़ी वजह मल्टीड्रग-रेसिस्टेंट टीबी (एमडीआर-टीबी) है. इसमें लोगों पर नॉर्मल ट्रीटमेंट काम नहीं करता है और इसके लिए अलग से ट्रीटमेंट देना पड़ता है. टीबी को लेकर लोग लापरवाही बरतते हैं और सही समय पर डायग्नोज न होने की वजह से टीबी के मामले लाखों में हैं.

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Tags: Health, Trending news



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