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Tuesday, November 26, 2024

इन 4 कॉमन इंफेक्शन से हर हाल में बच के रहें, वरना शरीर में कैंसर पलने का हो सकता है खतरा, समय पर टीका लगाना रहेगा फायदेमंद

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Infection cause of cancer: शरीर में जब इम्यूनिटी कम होती है तब इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है. इंफेक्शन दवा से ठीक तो हो जाता है लेकिन इसका बाद में कभी-कभी घातक असर होता है. हम सब जानते हैं कि पेट का अधिकांश इंफेक्शन बैक्टीरियल होता है. लेकिन यहीं जब ज्यादा दिन तक रह जाए तो इससे पेट का कैंसर हो सकता है. इसी तरह महिलाओं में सर्विकल कैंसर, जेनाइटल कैंसर या ओरल कैंसर वायरल इंफेक्शन के कारण होते हैं. अमेरिकन एसोसिएशन फॉर कैंसर रिसर्च के आंकड़ों के मुताबिक करीब 13 प्रतिशत कैंसर इंफेक्शन से जुड़े होते हैं. इसलिए यदि समय रहते इस इंफेक्शन पर कंट्रोल कर लिया जाए तो कैंसर के जोखिम से बचा जा सकता है.

इन कैंसर के लिए इंफेक्शन जिम्मेदार

ह्यूमन पेपिलोमावायरस
इसे एचपीवी वायरस कहते है. करीब 200 तक के एचपीवी वायरस होते हैं. इनमें से कई हमारे शरीर में पहले से मौजूद रहते हैं. अधिकांश वायरस नुकसान नहीं पहुंचाते लेकिन कुछ वायरस जान लेने पर तुले होते हैं. न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक करीब दर्जन भर एचपीवी वायरस हमारे लिए खतरनाक है जिसके कारण सर्विकल कैंसर, जेनाइटल कैंसर और ओरल कैंसर होता है.एचपीवी वायरस इंफेक्शन फैलाने से बहुत पहले शरीर में मौजूद रहते हैं लेकिन अगर इसकी जांच कर ली जाए तो इंफेक्शन तक की नौबत ही नहीं आएगी और इससे कैंसर भी नहीं होगा. एचपीवी की वैक्सीन अगर कम उम्र में लग जाए तो इसका खतरा लगभग नगण्य हो जाता है. वहीं सुरक्षित यौन संबंध भी इससे बचने का बेहतर तरीका है. सरकार 9 से 13 साल की बच्चियों को एचपीवी टीका मुफ्त देने की योजना बनाई है.

हेपटाइटिस बी और सी
टेक्सास में एंडरसन कैंसर सेंटर में गैस्ट्रोइंटेस्टिनल मेडिकल ओंकोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. सुनयोंग ली कहती हैं कि हेपटाइटिस लिवर की बीमारी है. हेपटाइटिस लगने के बाद इंफ्लामेशन होता है और इंफ्लामेशन जब लंबे समय तक रहे तो इससे लिवर में घाव बनने लगता है. यही घाव लिवर सिरोसिस में बदल जाता है और लिवर सिरोसिस लिवर कैंसर का बहुत बड़ा कारण हो सकता है. कुछ मामलों में हेपटाइटिस बी सीधा कैंसर सेल में बदल जाता है. हेपटाइटिस बी और सी दोनों ब्लड, सीमेन और बॉडी फ्लूड के माध्यम से एक से दूसरे में फैल सकता है. अगर संक्रमित व्यक्ति को दिए गए नीडल से दूसरे व्यक्ति को इंजेक्शन दिया जाए तो इससे भी हेपटाइटिस सी हो सकता है.एंटी-वायरल मेडिसीन से हेपटाइटिस को कंट्रोल किया जा सकता है. लेकिन अगर यह सही से ठीक न हुआ हो तो कैंसर का खतरा बाद में भी बरकरार रहता है. इसलिए कोशिश करें कि हेपटाइटिस बी या सी हो ही नहीं. यदि हो तो उसका पूरी तरह इलाज कराना जरूरी है.

हेलीकोबेक्टर पायलोरी बैक्टीरिया
दुनिया की आधी आबादी के शरीर में ए.पाइलोरी यानी हेलीकोबेक्टर पायलोरी बैक्टीरिया है. लेकिन इससे नुकसान नहीं होता लेकिन 1 से 3 प्रतिशत व्यक्ति में यही बैक्टीरिया कैंसर का कारण बन सकता है. एच पाइलोरी पर रिसर्च करने वाली फ्रेड हच कैंसर सेंटर के सीनियर वाइस प्रेसीडेंट नीना सलमा ने बताया कि यह बैक्टीरिया कैंसर का कारण क्यों बन जाता है, इसका अब तक कोई सटीक वजह को वैज्ञानिक खोज नहीं पाया है लेकिन बचपन में इस बैक्टीरिया से इंफेक्शन का खतरा रहता है. यह आंत में इंफेक्शन फैला देता है. इससे पेप्टिक अल्सर हो सकता है.सामान्य एंटीबायोटिक से इसका इलाज हो जाता है लेकिन इसका कोई लक्षण नहीं दिखता. इसलिए अधिकांश लोग इसे बिना इलाज किए छोड़ देते हैं. यही कैंसर का कारण बन जाता है. इस बैक्टीरिया में टॉक्सिक प्रोटीन रहता है जो सेल को म्यूटेट कर देता है इससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए इस बीमारी का मुकम्मल तरीके से कराना जरूरी है.

Tags: Health, Health tips, Lifestyle



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