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Saturday, October 19, 2024

नारायण साईं को पिता आसाराम से मिलने की इजाजत, 11 साल बाद होगी 4 घंटे की मुलाकात; कोर्ट की क्या शर्तें

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गुजरात हाई कोर्ट ने सूरत जेल में बंद नारायण साईं को जोधपुर जेल में बंद पिता आसाराम से मिलने की इजाजत दे दी है। कोर्ट ने सिर्फ 4 घंटे के लिए मिलने की इजाजत दी है। साथ ही कुछ शर्तें भी लगाई है। दोनों के बीच 11 साल के बाद मुलाकात होगी।

Subodh Kumar Mishra पीटीआई, अहमदाबादFri, 18 Oct 2024 05:17 PM
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गुजरात हाई कोर्ट ने सूरत जेल में बंद नारायण साईं को जोधपुर जेल में बंद पिता आसाराम से मिलने की इजाजत दे दी है। कोर्ट ने सिर्फ 4 घंटे के लिए मिलने की इजाजत दी है। साथ ही कुछ शर्तें भी लगाई है। कोर्ट ने आसाराम के गिरते स्वास्थ्य के कारण मानवीय आधार पर मिलने की अनुमति दी है। दोनों के बीच 11 साल के बाद मुलाकात होगी।

गुजरात हाई कोर्ट ने शुक्रवार को बलात्कार के दोषी नारायण साईं को राजस्थान की जोधपुर जेल में बंद अपने पिता आसाराम के गिरते स्वास्थ्य के कारण मानवीय आधार पर चार घंटे के लिए मिलने की अनुमति दी। नारायण साईं वर्तमान में 2002 और 2005 के बीच अपने पिता के आश्रम में एक महिला का बार-बार यौन उत्पीड़न करने के आरोप में सूरत जेल में बंद हैं। उनके पिता आसाराम भी नाबालिग के यौन शोषण के आरोप में जोधपुर सेंट्रल जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं।

जस्टिस इलेश वोरा और एसवी पिंटो की खंडपीठ ने अपने पिता से मिलने के लिए 30 दिन की अस्थायी जमानत के लिए साईं के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया। कोर्ट ने उसे पुलिस सुरक्षा के तहत और अपने खर्च पर मानवीय आधार पर जोधपुर जेल में आसाराम से चार घंटे के लिए मिलने की अनुमति दी।

साईं के लिए 30 दिनों की जमानत की मांग करते हुए उनके वकील ने दावा किया था कि आसाराम 86 वर्ष के हैं और कई जानलेवा बीमारियों से पीड़ित हैं। आवेदक के पिता की स्वास्थ्य स्थिति बहुत चिंताजनक है। जेल में रहने के दौरान उन्हें कई बार दिल के दौरे पड़ चुके हैं। हर गुजरते पल के साथ उनकी स्थिति बिगड़ रही है। राहत की गुहार लगाते हुए वकील ने कहा कि साईं आसाराम का इकलौता बेटा है। वह 11 साल से ज्यादा समय से अपने पिता से नहीं मिल पाया है। साईं के आवेदन में दलील दी गई है कि पिता की बेहद गंभीर स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए उनके बेहतर इलाज के लिए उचित व्यवस्था करने के लिए उनकी शारीरिक उपस्थिति आवश्यक है।

साई के वकील ने आगे कहा कि यदि कोर्ट आवेदक को अस्थायी जमानत पर रिहा करने के लिए इच्छुक नहीं है, तो आवेदक के खर्च पर उसके पिता से व्यक्तिगत रूप से मिलने की व्यवस्था करने का आदेश दिया जाए। याचिका में कहा गया है कि आवेदक सभी खर्च वहन करने के लिए तैयार है। यहां तक ​​कि पुलिस सुरक्षा के साथ उसे राजस्थान की जोधपुर जेल तक हवाई मार्ग से भी ले जाया जाएगा। याचिका में कहा गया है कि वह अदालत के सभी नियमों और शर्तों का पालन करेगा।

हाई कोर्ट ने आदेश में कहा कि मानवीय आधार और इस तथ्य पर विचार करते हुए कि आवेदक पिछले 11 वर्षों से अपने पिता से नहीं मिला है, हम यह निर्देश देना उचित समझते हैं कि साईं को पुलिस के साथ हवाई मार्ग से जोधपुर जेल ले जाया जाए। इसमें कहा गया है कि उस एस्कॉर्ट में आवेदक की लागत और खर्च पर एक सहायक पुलिस आयुक्त, एक पुलिस निरीक्षक, दो हेड कांस्टेबल और दो कांस्टेबल शामिल होंगे।

हाई कोर्ट की पीठ ने साईं को उक्त खर्च के लिए सरकारी खजाने में 5 लाख रुपये जमा करने को कहा। आदेश में कहा गया है कि आवेदक द्वारा राशि जमा करने के बाद उसे ले जाने की व्यवस्था सात दिनों के भीतर की जाएगी। आवेदक को सूरत की लाजपोर सेंट्रल जेल से सीधे जोधपुर की जेल ले जाया जाएगा, जहां उसे चार घंटे की मुलाकात के दौरान रखा जाएगा। जोधपुर जेल प्राधिकरण इस अवधि के दौरान किसी अन्य व्यक्ति जैसे बहन, मां या अन्य को आवेदक से मिलने की अनुमति नहीं देगा। पीठ ने निर्देश दिया कि पिता-पुत्र की मुलाकात के दौरान आवेदक के अलावा कोई अन्य व्यक्ति मौजूद नहीं रहेगा।



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