गाजीपुर: वीर अब्दुल हमीद गाज़ीपुर के एक महान योद्धा थे, जिन्होंने 1965 के भारत-पाक युद्ध में अपने अद्वितीय साहस और पराक्रम से भारतीय सेना को विजय की ओर अग्रसर किया. उन्होंने अपने प्राणों की आहुति देते हुए चार पाकिस्तानी पैटन टैंकों को नष्ट कर भारतीय सेना को निर्णायक बढ़त दिलाई. उनकी बहादुरी ने न केवल गाज़ीपुर, बल्कि पूरे देश को गर्व से भर दिया.
प्रेरणा स्थल है ये शहीद पार्क
गाज़ीपुर के धामूपुर गांव में उनकी स्मृति में शहीद पार्क का निर्माण किया गया है. यहां उनकी प्रतिमा स्थापित है, जो उनके बलिदान की अमर गाथा सुनाती है. इस पार्क में उनकी पत्नी की प्रतिमा भी स्थापित है, जो परिवार और संघर्ष का प्रतीक है. इसके अतिरिक्त, पार्क में एक युद्ध स्मारक भी है, जिसमें उन टैंकों और हथियारों का प्रदर्शन किया गया है, जिनका इस्तेमाल वीर अब्दुल हमीद ने युद्ध के दौरान किया था.
समारोह और आयोजन
हर साल अब्दुल हमीद के जन्मदिन और पुण्यतिथि पर विशेष समारोह आयोजित किए जाते हैं, जिनमें भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी और अन्य गणमान्य व्यक्ति हिस्सा लेते हैं. इन आयोजनों के माध्यम से उनकी वीरता को याद किया जाता है और शहीद परिवारों का सम्मान किया जाता है. यह समारोह वीरता और देशप्रेम की भावना को नए सिरे से जागृत करता है.
प्रभाव और शिक्षा में समावेश
अब्दुल हमीद की शहादत ने गाज़ीपुर के युवाओं में भारतीय सेना में जाने की प्रेरणा दी है. उनकी बहादुरी की कहानी आज भी घर-घर में सुनाई जाती है, जिससे नई पीढ़ी को देशभक्ति और साहस की प्रेरणा मिलती है. हाल ही में, NCERT पाठ्यक्रम में उनके जीवन और वीरता पर एक अध्याय जोड़ा गया है, ताकि बच्चों को उनकी शौर्य गाथा से सीखने का अवसर मिले.
ताड़ीघाट पुल है वीरता का प्रतीक
गाज़ीपुर और बिहार को जोड़ने वाला ताड़ीघाट पुल, जिसे 1975 में बनाया गया था, अब्दुल हमीद की याद में समर्पित है. यह पुल उनकी वीरता का स्थायी प्रतीक है, जो हर दिन हजारों लोगों को उनकी शौर्य गाथा की याद दिलाता है.
Tags: Ghazipur news, Local18
FIRST PUBLISHED : October 17, 2024, 14:40 IST