नई दिल्ली. न्यूजीलैंड के जॉन राइट (John Wright) और दक्षिण अफ्रीका के गैरी कर्स्टन (Gary Kirsten), इन दोनों पूर्व क्रिकेटरों से जुड़ी कुछ समानताएं हैरान करने वाली हैं. दोनों ही बाएं हाथ के बैटर रहे और अपनी टीम के लिए ओपनर की हैसियत से खेले. 69 साल के जॉन ज्योफ्री राइट का इंटरनेशनल करियर 1978 से 1993 तक चला जबकि 56 साल के गैरी कर्स्टन ने 1993 से लेकर 2004 तक इंटरनेशनल क्रिकेट खेला.
इन दोनों का भारतीय टीम से नाता रहा है. दोनों ही टीम इंडिया के कोच रह चुके हैं. नजर डालते हैं, इन दोनों की क्रिकेट सफर से जुड़ी समानताओं पर..
दोनों ने अपने 17वें टेस्ट में लगाया शतक
राइट और कर्स्टन के क्रिकेटर करियर में वैसे तो करीब 15 साल का अंतर रहा. मार्च 1993 में जॉन राइट ने करियर का आखिरी इंटरनेशनल मैच खेला. इसके करीब 8 माह बाद कर्स्टन ने दिसंबर 1993 में अपने करियर का आगाज किया. इन दोनों क्रिकेटरों ने अपना पहला टेस्ट शतक 17वें टेस्ट में लगाया था. राइट ने पहला टेस्ट शतक मार्च 1981 में भारत के खिलाफ ऑकलैंड में बनाया, यह उनका 17वां टेस्ट था. इसी तरह कर्स्टन का शतक भी उनके 17वें टेस्ट में आया. उन्होंने नवंबर 1995 में इंग्लैंड के खिलाफ जोहानिसबर्ग में अपना पहला टेस्ट शतक बनाया.
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दोनों ने बनाया एक जैसा स्कोर
यही नहीं, राइट और कर्स्टन ने अपने पहले शतक के दौरान एक समान बनाया था. दोनों ने अपने पहले टेस्ट शतक के दौरान 110 रन बनाए थे और दोनों ही कैच आउट हुए थे. दोनों ने अपने करियर का आखिरी टेस्ट मार्च माह में न्यूजीलैंड में खेला. राइट ने अपना आखिरी टेस्ट 1993 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ऑकलैंड में खेला था जबकि कर्स्टन ने अपना आखिरी टेस्ट न्यूजीलैंड के खिलाफ वेलिंगटन में खेला था. संयोग से यही इन दोनों के करियर का अंतिम इंटरनेशनल मैच रहा.
राइट ने 82 टेस्ट और 149 वनडे खेले. इस दौरान उन्होंने टेस्ट में 37.82 के औसत से 12 शतकों की मदद से 5334 रन बनाए. वनडे में 26.46 के औसत से 3891 इस कीवी बैटर के नाम पर दर्ज हैं. ODI में 101 रन उनका सर्वोच्च स्कोर रहा. कर्स्टन का करियर राइट की तुलना में ज्यादा सफल रहा. 101 टेस्ट में उन्होंने 45.27 के औसत से 7289 रन बनाए जिसमें 21 शतक शामिल रहे. 185 वनडे में दक्षिण अफ्रीका के इस खब्बू बैटर के नाम 40.95 के औसत से 6798 रन दर्ज हैं जिसमें 13 शतक हैं.
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दोनों ने भारतीय टीम का कोच पद संभाला
क्रिकेट खेलने के बाद दोनों ने कोचिंग में करियर बनाया. दोनों ने भारतीय टीम के कोच का पद संभाला. राइट को टीम इंडिया के पहले विदेशी कोच बनने का श्रेय हासिल है. वे 2000 से 2005 तक टीम इंडिया के कोच रहे. वर्ष 2000 के मैच फिक्सिंग कांड के बाद भारतीय टीम को विश्व क्रिकेट में पुनर्स्थापित करने का श्रेय राइट और सौरव गांगुली की जोडी को जाता है. दूसरी ओर, कर्स्टन ने 2008 में भारतीय टीम के कोच की जिम्मेदारी संभाली और 2011 के वर्ल्डकप में टीम इंडिया को चैंपियन बनाने में अहम भूमिका निभाते हुए विदाई ली. राइट और कर्स्टन, दोनों ही के कोचिंग कार्यकाल के दौरान भारतीय टीम ने विश्व क्रिकेट में खुद को बेहतरीन टीम के तौर पर स्थापित किया और विदेशी मैदानों पर जीत हासिल कीं. बाद में ये दोनों अपने देश की टीम के भी कोच बने. राइट ने 2010 से 2012 तक न्यूजीलैंड टीम के जबकि कर्स्टन 2011 से 2013 तक दक्षिण अफ्रीकी टीम के कोच की जिम्मेदारी संभाली.
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दोनों ने आईसीसी टूर्नामेंट में टीम इंडिया को जीत दिलाई
राइट और कर्स्टन, दोनों ने ही भारतीय टीम को एक-एक आईसीसी टूर्नामेंट में चैंपियन बनाने में योगदान दिया. राइट के कार्यकाल के दौरान भारतीय टीम 2002 की आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में संयुक्त रूप से श्रीलंका के साथ चैंपियन बनी थी. न्यूजीलैंड के इस पूर्व क्रिकेटर के कार्यकाल के दौरान भारतीय टीम ने 2003 के वर्ल्डकप के फाइनल में भी स्थान बनाया था लेकिन उसे ऑस्ट्रेलिया से हार का सामना करना पड़ा था. दूसरी ओर कर्स्टन ने अपनी कोचिंग में भारतीय टीम को 2011 के वर्ल्डकप में चैंपियन बनाने में अहम रोल निभाया.
कर्स्टन की मार्गदर्शन में टीम इंडिया ने पहली बार टेस्ट में नंबर वन रैंकिंग हासिल की. राइट की तुलना में वे लाइम लाइट में रहना कम पसंद करते थे. आईसीसी टी20 वर्ल्डकप 2024 से ठीक पहले कर्स्टन को पाकिस्तान की वनडे और टी20 टीम के कोच की जिम्मेदारी सौंपी गई है. हालांकि टी20 वर्ल्डकप में पाकिस्तान टीम अच्छा प्रदर्शन करने में नाकाम रही और पहले ही राउंड में बाहर हो गई.
Tags: Gary Kirsten, Icc T20 world cup, T20 World Cup, Team india
FIRST PUBLISHED : June 19, 2024, 10:51 IST