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Monday, July 8, 2024

किसानों के लिए अमृत है ये देसी कीटनाशक, खेत को हरा-भरा रखने के अलावा बंपर…

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सत्यम कटियार/फर्रुखाबाद: एक आइडिया ने बदल दिया खेती किसानी का तरीका. जिस मौसम में महंगी दवाओं के छिड़काव के बावजूद फसल झुलसकर नष्ट हो जाती हैं. ऐसे मौसम के बीच फर्रुखाबाद के किसान ने एक ऐसा चमत्कारी रसायन तैयार किया है, जिसके छिड़काव करते ही फसल तंदुरुस्त हो जाती है. किसान ने अपनी आलू की फसल में इसका इस्तेमाल करके हरी भरी और बंपर पैदावर की है.

फर्रुखाबाद के ताजपुर गांव के निवासी प्रगतिशील किसान राघवेंद्र सिंह राठौर मूल रूप से खेती किसानी करते हैं. जिस प्रकार लगातार मौसम में बदलाव के चलते हर वर्ष फसलों में नुकसान हो रहा है. इसको लेकर परेशान राघवेंद्र सिंह राठौड़ ने इस नुक्से को खुद ही आजमाया और आज उनका यह कहना है कि जब से इस केमिकल का फसलों पर छिड़काव करना शुरू किया है. तब से फसले तो हरी भरी रहती ही है इसके साथ ही उत्पादन भी शानदार हो रहा है.

लोकल 18 की टीम से बातचीत के दौरान किसान राघवेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि वह हर वर्ष लगभग 45 बीघा में से 30 बीघा में आलू की फसल करते हैं. जिसमें वह खुद के बनाए जैविक घोल का इस्तेमाल करते हैं. वहीं इस बार इन्होंने चार बीघा खेत में 15 जनवरी को पछेती आलू की बुआई की थी. इस समय फसल तैयार होने को है. ऐसे समय पर अगर फसल खराब हो जाए, तो उनको बड़ा नुकसान होता. लेकिन अब चिंता की कोई बात नहीं है. वह अपने जैविक घोल का इस्तेमाल सिंचाई के दौरान करते हैं.

फसलों के लिए अमृत है ये रसायन
इस समय जहां क्षेत्र में भीषण गर्मी, लपेट और तपन के बीच फसल झुलस कर नष्ट हो रही है. ऐसे समय पर इस जैविक रसायन के छिड़काव करने से पत्तियों में पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व बने रहते हैं. जिसके कारण विपरीत मौसम का कोई भी फर्क नहीं पड़ता है. इसके साथ ही मिट्टी की सेहत भी दुरुस्त रहती है.

ऐसे तैयार होता है ये केमिकल
किसान राघवेंद्र सिंह राठौर ने बताया की इस रसायन को बनाने में 15 दिन का समय लगता है. इसमें फफूंदनाशक और पोषक तत्वों से भरपूर पदार्थ को मिलाकर बनाते हैं. वही इसे बनने के लिए वह 200 लीटर के ड्रम में 100 लीटर पानी का इस्तेमाल करते हैं.  इसके साथ ही 10 लीटर मट्ठा, घर पर पाली गई  देशी गाय के एक लीटर गोबर को फिल्टर करके उसका रस व 10 लीटर गोमूत्र मिलाते हैं. इसके साथ ही इसके अलावा 2 किलो बेसन, 5 किलो गुड़ या सीरा, 500 ग्राम नमक, तांबे की धातु का टुकड़ा, लोहे की कील या सरिया का टुकड़ा भी घोल में डाल देते हैं. वही तीन किलो यूरिया और 5 किलो डीएपी खाद भी मिला देते है. इसके बाद करीब 15 दिन में जैविक घोल तैयार हो जाता है. यह कीटों से बचाव वाला फफूंदी नाशक व पोषक तत्वों से भरपूर होता है. इसे 16 लीटर की टंकी में 2 लीटर घोल डालकर फसल में छिड़काव करते हैं.

Tags: Farrukhabad news, Local18



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