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अजीत सिंह यादव का सफर बेहद प्रेरणादायक है. इटावा जिले के एक छोटे गांव से निकलकर उन्होंने विश्वभर में भारत का नाम रौशन किया है. 5 सितंबर 1993 को जन्मे अजीत, 2017 तक एक सामान्य जीवन जी रहे थे, लेकिन एक हादसे में अपने दोस्त…और पढ़ें
इटावा : अर्जुन एवार्ड से सम्मानित होंगे पैरा लिंपियन खिलाड़ी अजीत यादव
इटावा: उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के पैरालिंपियन खिलाड़ी अजीत यादव को केंद्र सरकार अर्जुन अवार्ड से सम्मानित करेगी .इटावा के इतिहास में यह दूसरा मौका है जब किसी खिलाड़ी को अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया जा रहा है. इससे पहले भारतीय हॉकी गोलकीपर देवेश चौहान को अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है.
राष्ट्रपति करेंगी अर्जुन अवार्ड से सम्मानित
इटावा जिले के भरथना तहसील क्षेत्र के ग्राम नगला विधी (साम्हों) के मूल निवासी भालाफेंक के पैरालिंपियन खिलाडी अजीत सिंह यादव को 17 जनवरी 2025 को नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति, खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए अर्जुन पुरूस्कार से सम्मानित करेंगी.
पैरालिंपियन खिलाड़ी अजीत सिंह यादव ने लोकल 18 को टेलीफोन पर बताया कि युवा मामले एवं खेल मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय खेल पुरुस्कार की घोषणा की गई है. 17 जनवरी, 2025 को नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में देश की महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू उन्हें अर्जुन पुरूस्कार से सम्मानित करेंगी. उन्होंने बताया कि समारोह में विभिन्न खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले कुल 47 खिलाडियों को विभिन्न पुरूस्कारों से सम्मानित किया जायेगा.
अपनी मेहनत और प्रतिभा के दम पर हासिल की कामयाबी
अजीत सिंह यादव का सफर बेहद प्रेरणादायक है. इटावा जिले के एक छोटे गांव से निकलकर उन्होंने विश्वभर में भारत का नाम रौशन किया है. 5 सितंबर 1993 को जन्मे अजीत, 2017 तक एक सामान्य जीवन जी रहे थे, लेकिन एक हादसे में अपने दोस्त की जान बचाने के प्रयास में उन्होंने अपना बायां हाथ खो दिया. खिलाड़ी अजीत यादव ने अपना बायां हाथ एक रेल दुर्घटना में खो दिया था. इसके बावजूद उन्होंने अपनी मेहनत और प्रतिभा के दम पर यह कामयाबी हासिल की.
अजीत की इस उपलब्धि पर पूरा क्षेत्र गौरवान्वित महसूस कर रहा है. किसान सुभाष चंद्र यादव के बेटे अजीत सिंह यादव भाला फेंक भारतीय पैरा एथलीट खिलाड़ी हैं. वो पुरुषों की भाला फेंक, एफ-46 श्रेणी में प्रतिस्पर्धा में भाग लेते हैं.
दोस्त को बचाने में गंवाया हाथ
अजीत यादव मध्यप्रदेश के ग्वालियर की लक्ष्मीबाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन से अजीत सिंह पीएचडी कर रहे हैं. पैरा एथलेटिक्स खिलाड़ी अजीत सिंह की कहानी हार ना मानने की दास्तां को बयां करती हैं. साल 2017 में दोस्त को बचाने की जद्दोजहद में अजीत अपना एक हाथ गंवा बैठे अजीत ने एक साल तक स्वास्थ्य लाभ लिया, लेकिन फिर ये आराम बैचैनी में बदल गई. अंशूमन की जान बचाने की कोशिश में ही अजीत यादव को अपना हाथ खोना खड़ा. आज एक ही हाथ से जैवलिन थ्रो करके उन्होंने पैरालंपिक के पोडियम तक का सफर तय किया.
अजीत के सफर की शुरुआत 2017 में हुई. वह ग्वालियर के लक्ष्मीबाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन में रिसर्च असिस्टेंट थे. चार दिसंबर 2017 को वह अपने जूनियर अंशुमन के साथ जबलपुर में एक शादी में शामिल होने पहुंचे. शादी से लौटते हुए वह कामयाबी एक्सप्रेस में सफर कर रहे थे. दोनों मेहर स्टेशन पर पानी भरने उतरे. वह लौटते इससे पहले ही ट्रेन चल पड़ी.
यादव पहले बोगी में चढ़ गए. हालांकि, अंशुमन चढ़ते हुए फिसल गए. वह गिरते इससे पहले ही अजीत ने उन्हें एक हाथ से पकड़ लिया. हालांकि, वह ज्यादा समय तक ऐसा नहीं कर सके. उनका संतुलन बिगड़ा और दोनों गिर गए. अंशुमन प्लेटफॉर्म पर गिरे तो वहीं अजीत ट्रैक पर गिरे. उनके हाथ पर ट्रेन गुजरी.
अंशुमन आज भी वह दिन नहीं भूले हैं. उन्हें लगता है कि उनकी जिंदगी केवल अजीत के कारण बची. उन्होंने कहा कि अजीत सर ने मुझे बचाने की कोशिश की. उन्होंने मुझे पकड़ा. वह अपना संतुलन खो बैठे और हम दोनों गिर गए. हम पहले सतना में एक लोकल अस्पताल में गए जिसके बाद हमें जबलपुर में रेफर किया गया. वहां हमारा इलाज हुआ.
अंशुमन का कहना है कि वह जब भी कहते हैं कि अजीत के कारण उनकी जिंदगी बची तो वह उनसे गले लगा लेते हैं. अजीत नहीं चाहते अंशुमन ऐसा सोचें.
पैरा ओलंपिक एथलीट के तौर पर खुद को साबित करने का संकल्प लिया. उन्होंने अपनी इच्छा सीनियर्स से सांझा की. पहले तो सभी उनकी बात पर हैरान हुए, फिर सब उनकी जिद्द के आगे हार मान गए.
मेहनत लाई रंग
सबने मदद करने की ठानी और अजीत के संघर्ष में साथ हो लिए. अजीत जैवलिन थ्रो की खूब प्रैक्टिस की और उनकी मेहनत रंग ले आई और 2019 में हुए बीजिंग पैरा एथलेटिक्स ग्रैंड प्रिक्स प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल हासिल कर सूबे का ही नहीं बल्कि देश का नाम ऊंचा कर दिया.
अजीत सिंह की कामयाबी का सिलसिला थमा नहीं. मई 2019 में चीन के बीजिंग में गोल्ड मेडल के बाद दुबई में भी अपना परचम लहराया. दुबई वर्ल्ड पैरा एथलीट चौंपियनशिप में उन्होंने कांस्य पदक हासिल किया और इस तरह अजीत प्रदेश के ऐसे इकलौते खिलाड़ी बन गए जिसने पैरालंपिक्स में गोल्ड और फिर ब्रांज मेडल हासिल किया.
लक्ष्मण पुरस्कार से सम्मानित
अजीत ने 2023 में पेरिस में आयोजित विश्व चैंपियनशिप में पहला स्थान हासिल कर 65.41 मीटर का शानदार प्रदर्शन किया. इसके अलावा, उन्होंने 2024 में कोबे, जापान में आयोजित विश्व चैंपियनशिप में तीसरा स्थान (62.11 मीटर) प्राप्त किया. 2022 के एशियन पैरा गेम्स में भी उन्होंने 63.52 मीटर के साथ कांस्य पदक जीता. अजीत को उनकी उत्कृष्टता के लिए जनवरी 2024 में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल द्वारा लक्ष्मण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
अजीत सिंह की कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा है जो जीवन की कठिनाइयों से लड़कर अपने सपनों को साकार करना चाहते हैं. उनका संघर्ष और समर्पण हमें सिखाता है कि आत्मविश्वास और दृढ़ निश्चय के साथ किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है.