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Tuesday, July 1, 2025

इटावा में कृषि विभाग ने किया जागरूक, किसानों ने ली पराली न जलाने की शपथ

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रजत कुमार/इटावा: आम जनमानस के लिए मुसीबत का सबब बन चुकी पराली को अपने-अपने खेतों में किसान ना जलाएं, इसलिए जिला प्रशासन किसानों को जागरूक करने में जुट गया है. किसानों को जागरूक करने के लिए कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ-साथ जिला प्रशासन के अधिकारी व्यापक रूप से सक्रिय हो गए हैं.

कृषि विभाग की संगोष्ठी
उत्तर प्रदेश के इटावा मुख्यालय स्थित विकास भवन के प्रेरणा सभागार में आयोजित कृषि विभाग की संगोष्ठी में एकजुट हुए किसानों को पराली ना जलाने के लिए जागरूक किया गया. कृषि विभाग की ओर से आयोजित इस संगोष्ठी में कृषि विभाग के अधिकारियों के अलावा जिले के प्रमुख अधिकारी भी शामिल हुए. जिलाधिकारी अवनीश राय भी प्रमुख रूप से मौजूद रहे.

पराली जलाने पर कानूनी कार्रवाई
बताते चलें कि लाख कोशिशों के बावजूद किसान किसी भी सूरत में पराली जलाने से बाज नहीं आते हैं. इसी वजह से जिला प्रशासन और कृषि विभाग को संयुक्त रूप से हर साल किसानों को जागरूक करने के लिए इस तरह की संगोष्ठियों का आयोजन करना पड़ता है. कृषि विभाग की ओर से ऐसी व्यवस्था की गई है कि पराली प्रबंधन के मद्देनजर अगर कोई किसान अपने-अपने खेतों में पराली जलाता है तो उस किसान के खिलाफ कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाती है.

पिछले साल के मामले
इटावा जिले में पिछले साल पराली जलाने के मामले को लेकर करीब तीन सैकड़ा से अधिक किसानों के खिलाफ मामले दर्ज कराए गए थे. कृषि विभाग के उपनिदेशक आर.एन. सिंह बताते हैं कि इस संगोष्ठी के माध्यम से इटावा के किसानों को अपने-अपने खेतों में पराली ना जलाने के लिए जागरूक किया गया है. किसानों को इस बात की सलाह दी गई है कि पराली जलाने से किस तरह का नुकसान उनकी फसलों को होता है और खुद को भी नुकसान होता है. संगोष्ठी में शामिल आधिकारिक किसानों ने इस बात का भरोसा दिया है कि वे अपने खेतों में ना तो पराली जलाएंगे और ना ही अपने आसपास किसी और को पराली जलाने देंगे.

किसानों का प्रण
उन्होंने बताया कि संगोष्ठी में एकजुट सभी किसानों से इस बात का प्रण लिया गया है कि इस सत्र में किसी भी सूरत में इटावा जनपद में पराली जलाने का कोई भी मामला सामने नहीं आने दिया जाएगा और यह तभी संभव हो सकेगा जब किसान लोग जागरूक होंगे. इटावा के जिलाधिकारी अवनीश राय ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि अमूमन ऐसा देखा जाता है कि चंद रुपए के फायदे के लिए किसान अपने-अपने खेतों में पराली को जलाकर वातावरण को दूषित करते हैं और अपने खेतों की उपजाऊ मिट्टी को भी बर्बाद कर देते हैं. यह सब तभी संभव होगा जब किसान एकजुट होकर पराली ना जलाने को लेकर जागरूक होंगे.

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प्रगतिशील किसानों की राय
पराली संगोष्ठी में शामिल हुए प्रगतिशील किसान सुरेंद्र सिंह ने बताया कि इस संगोष्ठी के जरिए जो संदेश कृषि विभाग की ओर से किसानों को दिया गया है, अगर उसका वाकई में पालन किया गया तो इटावा जनपद में कोई भी मामला पराली जलाने का सामने नहीं आएगा. प्रगतिशील किसान मंत्रबती ने लोकल 18 को बताया कि किसानों को कृषि विभाग की ओर से दी गई सलाह को मानना चाहिए क्योंकि पराली जलाने से किसानों को तो नुकसान होता ही है, वातावरण को भी खासा नुकसान होता है.

Tags: Special Project



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