डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि कानून बनाना संसद का काम है लेकिन उसे लागू करने का अधिकार पूरी तरह से न्यायपालिका के हाथों में है. न सिर्फ यह अधिकार है बल्कि यह हमारी जिम्मेदारी भी है. कानून की वैधता हमारी जिम्मेदारी है.
कॉलेजियम सिस्टम को लेकर चंद्रचूड़ ने कहा कि इसे लेकर कई तरह की भ्रांतियां हैं. यह संघीय व्यवस्था में बहुत अच्छी व्यवस्था है. इसमें नियुक्ति की प्रक्रिया कई चरणों से होकर गुजरती है. सभी वर्गों को इसके अतंर्गत प्रतिनिधित्व मिलते रहे हैं.
पूर्व सीजेआई ने कहा कि जज के लिए कोई भी मुद्दा छोटा या बड़ा नहीं होता है. हमें कानून के अनुसार कदम उठाने पड़ते हैं. किसी भी निर्णय में समाज की भावना सबसे ऊपर होती है. हम समाज में कैसे बदलाव लाएंगे यह अहम होता है. CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जज को हमेशा धैर्य से काम करना चाहिए.
डीवाई चंद्रचूड़ ने राजनीति में आने के मुद्दे पर कहा कि मेरे किसी भी जवाब को इतिहास में जजों के द्वारा उठाए गए कदम से जोड़कर नहीं देखा जाए. साथ ही उन्होंने कहा कि जजों के पदमुक्त होने के बाद भी आम लोग उन्हें एक जज के तौर पर ही देखते हैं.
डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सेपरेशन ऑफ पॉवर बेहद जरूरी है. साथ ही उन्होंने कहा कि जज अपनी भावनाओं को खत्म नहीं कर सकता है.
डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सोशल मीडिया का समाज पर बहुत गहरा प्रभाव है. इंटरनेट और मीडिया से भी राय बनती है.
डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि संविधान में मानवीय गरिमा का विषय प्रमुख है. साथ ही उन्होंने कहा कि रातों रात बदलाव नहीं आते हैं. धीरे-धीरे नए सिद्धांत आए हैं. बदलाव भी धीरे-धीरे आते हैं.
जज का कार्य पूरी तरह से समाज से जुड़ा हुआ है. समाज में बदलाव के लिए वो काम करता है. लेकिन बदलाव में समय लगते हैं.
वर्क लोड पर बात करते हुए पूर्व सीजेआई ने बताया कि किस तरह से चीफ जस्टिस को वर्क रोस्टर बनाना होता है. नए मामलों का निपटान कैसे हो ये भी उसे ही देखना होता है.
डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जजों को यह जरूर सोचना चाहिए कि हमारा फैसला कैसे बदलाव लाएगा. साथ ही उन्होंने कहा कि जज को जोन ऑफ कॉनफ्लिक्ट से कैसे बाहर आना चाहिए.