नई दिल्ली
पिछले 5 साल में देश में डेबिट कार्ड्स की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। फरवरी 2019 तक देश में 94 करोड़ डेबिट कार्ड हो गए, जबकि अगस्त 2014 में जनधन योजना की शुरुआत के समय इनकी संख्या 42 करोड़ थी। हालांकि एटीएम की संख्या में मात्र 20 फीसदी इजाफे के साथ 1.70 लाख से बढ़कर 2.02 लाख हुई है। बैंक, एटीएम कंपनीज और कैश लॉजिस्टिक्स फर्म्स के बीच खर्च साझा करने को लेकर खींचतान की वजह से वजह से निवेश रुक गया है। चलन में नकदी बढ़कर 21.36 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गई है तो बैंकों का एटीएम नेटवर्क पिछले साल के 2.06 लाख से घटकर 2.02 लाख रह गया है। खींचतान इस बात को लेकर है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की ओर से जारी सुरक्षा मानकों के लिए अतिरिक्त खर्च का वहन कौन करेगा। एक बड़े सरकारी बैंक ने नई मशीनों के लिए खरीद प्रक्रिया शुरू की थी लेकिन ट्रांजैक्शन पूरा नहीं हुआ क्योंकि इस बात पर सहमति नहीं बन पाई कि बढ़ खर्च का वहन कौन करेगा।
पिछले साल आरबीआई ने नकदी ले जाने वाले वाहनों की सुरक्षा को लेकर कुछ दिशा निर्देश जारी किए थे। इसके तहत कहा गया था कि ‘नकदी वाहनों’ में जीपीएस और हथियारबंद गार्ड्स जैसे कई सुरक्षा इंतजाम किए जाएं। वाहन में नकदी ले जाने की सीमा भी तय कर दी गई। यह भी कहा गया था कि बैंक ‘कैसेट स्वैप’ सिस्टम को अपनाएं, जिसमें नकदी मैटल के कनस्तरों होगी और इसे एटीएम में डायरेक्ट लोड कर दिया जाएगा। कैश लोडर्स के पास नकदी तक पहुंच नहीं होगी। बैंकों को 2021 तक सभी मशीनों को अपग्रेड करने को कहा गया है। एक बैंकर ने कहा, ‘रिजर्व बैंक ने कई नए बैंकों को लाइसेंस दिए हैं लेकिन उनमें से कई मौजूदा नेटवर्क के ही भरोसे हैं क्योंकि इंटरचेंज चुकाना अपना नेटवर्क बनाने से सस्ता है।’ रिजर्व बैंक इंटरचेंज के मुद्दे को देख रहा है। हाल ही में नैशनल पेंमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया ने बैठक भी बुलाई थी। इंटरचेंज को प्रति ट्रांजैक्शन 15 रुपए से बढ़ाकर 18 रुपए किया जा सकता है।