कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने राज्य में सीबीआई जांच के लिए अपनी सहमति को वापस ले लिया है। इस मामले पर मीडिया से बात करते हुए राज्य के उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार ने कहा है कि हमारी सरकार ने सीबीआई से यह परमीशन वापस ली है क्योंकि हम नहीं चाहते कि इस एजेंसी के जरिए राज्य में शक्तियों का दुरुपयोग हो। उपमुख्यमंत्री ने एएनआई से बात करते हुए कहा कि कर्नाटक ही नहीं बल्कि पूरे देश में सभी विपक्षी दलों ने यह फैसला लिया है। उसी को देखते हुए हमारी सरकार ने भी यह फैसला लिया हम नहीं चाहते कि सीबीआई हमारे राज्य में अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करे।
कांग्रेस के नेता और पूर्व मंत्री टीबी जयचंद्र ने राज्य में सीबीआई जांच के लिए खुली सहमति वापस लेने के कर्नाटक सरकार के फैसले की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह एक अच्छा निर्णय है, केंद्रीय एजेंसियां बीजेपी की एजेंसी बन गई हैं। यह पक्षपात पूर्ण काम करती हैं इसलिए सरकार द्वारा लिया गया यह फैसला बिल्कुल सही है।
केसों पर आरोप पत्र ही दायर नहीं करती सीबीआई- कानून मंत्री
कर्नाटक के कानून मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने जो फैसला लिया है वह बिल्कुल सही है। क्योंकि हमने जितने भी मामले सीबीआई को सौंपे हैं उनमें उन्होंने आरोप पत्र तक दाखिल नहीं किया, जिसके कारण कई मामले लटके पड़े हैं। हमनें सहमति बनाने की कोशिश की लेकिन उन्होंने कई बार हमारे द्वारा भेजे गए मामलों की जांच करने से भी इंकार कर दिया। वह पक्षपाती हैं। विपक्ष की ओर से जो आरोप लगाया जा रहा है कि मुदा मामले के कारण हमने इसे हटाया ऐसा नहीं है।
CBI से अनुमति लेने का फैसला मुद्दा केस से जुड़ा नहीं- पाटिल
कर्नाटक सरकार के कानून मंत्री पाटिल ने कहा कि जमीन से जुड़े मामले में सीबीआई को लेकर बात करना कोई मतलब नहीं है क्योंकि विशेष अदालत पहले ही लोकायुक्त जांच का आदेश दे चुकी है। उन्होंने कहा कि हमने जो महत्वपूर्ण निर्णय लिया है उसके बारे में हम कोई भी स्पष्टीकरण राज्यपाल के पास नहीं भेजा जाएगा। हमारी सलाह के बाद मुख्य सचिव इसे राज्यपाल के पास भेज सकते हैं।
बुधवार को बेंगलुरु की एक विशेष अदालत ने एक आदेश पारित कर कर्नाटक लोकायुक्त को मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण(MUDA) मामले की जांच के लिए मुख्यमंत्री सिद्दारमैया के खिलाफ जांच करने का निर्देश दिया था। इस पर विपक्ष ने मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग की।