शाहजहांपुर: मृदा स्वास्थ्य बिगड़ना एक गंभीर समस्या है जो पूरी दुनिया को प्रभावित कर रही है. लगातार तरह की फसलें उगाने से मिट्टी की उर्वरकता कम हो जाती है. उर्वरकों और कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग मिट्टी के सूक्ष्मजीवों को नुकसान पहुंचाता है. कई जगह पर मिट्टी में ऑर्गेनिक कार्बन की मात्रा में गिरावट आ रही है तो कई जगह फास्फेट, पोटाश, सल्फर, जिंक, लोहा, कॉपर और मैंगनीज जैसे जरूरी तत्व मिट्टी से गायब हो रहे हैं. जिसकी वजह से रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है. ऐसे में जरूरी है कि किसान हर 6 महीने में एक बार मिट्टी की जांच करा लें. उसके बाद अगली फसल की बुवाई करें.
राजकीय मृदा परीक्षण प्रयोगशाला के अध्यक्ष राहुल कुमार ने लोकल 18 को बताया कि धान की फसल काटने के बाद जरूरी है कि मिट्टी की जांच कराई जाए ताकि मिट्टी में मौजूद तत्वों के बारे में पता चल सके. बिना जांच करें किसान कई बार वह उर्वरक मिट्टी में डाल देते हैं. जिनकी मिट्टी को आवश्यकता ही नहीं होती या फिर वह मिट्टी में पहले से ही मौजूद होते हैं. बेवजह रासायनिक उर्वरक इस्तेमाल करने से मृदा स्वास्थ्य पर तो फर्क पड़ता ही है. उसके अलावा किसानों को आर्थिक तौर पर भारी नुकसान होता है. फसल से उत्पादन भी कम मिलता है.
कैसे लिया जाता है मिट्टी का नमूना?
राहुल कुमार ने लोकल 18 को बताया कि जिस खेत से मिट्टी का सैंपल इकट्ठा करना है, वहां 8 से 10 जगह पर 6 इंच लंबा, 4 इंच चौड़ा और 6 इंच गहरा गड्ढा कर लें. उसके बाद खुरपी की मदद से गड्ढे की दीवार से लगभग 2.5 सेंटीमीटर की परत ऊपर से नीचे तक काट कर अलग कर लें. फिर अलग-अलग जगह से इकट्ठी की गई मिट्टी को साफ कपड़े में अच्छी तरह से मिला लें. उसके बाद इस मिट्टी का ढेर बनाकर उसकी चार भागों में बांट लें. आमने-सामने के दो भाग की मिट्टी अलग निकालकर फिर अच्छी तरह से मिलाएं और फिर से ढेर बनाकर उसी प्रक्रिया को दोहराएं. यह प्रक्रिया तब तक करते रहें जब तक मिटटी आधा किलो रह जाए. उसके बाद मिट्टी को साफ थैली में भरकर प्रयोगशाला में भेज दें.
नमूना लेते समय रखें इन बातों ध्यान
राहुल कुमार ने लोकल 18 को बताया कि वैज्ञानिकों का कहना है कि मिट्टी का सैंपल लेते समय ध्यान रखें की खेत में ज्यादा नमी न हो, फिर भी अगर मिट्टी में नमी है तो उसको छाया में रखकर सुखा लें. जल्द से जल्द प्रयोगशाला भेज दें ताकि सटीक नतीजे लिए जा सकें. नमूना लेते वक्त यह भी ध्यान रखें की जहां से आप सैंपल ले रहे हैं वहां आसपास में पेड़, सिंचाई वाली नाली, खाद के गड्ढे या फिर फसल ना हो.
थैले पर करें इन बातों का जिक्र
प्रयोगशाला भेजते वक्त मिट्टी की थैली के ऊपर कृषक अपना नाम, गांव का नाम, खेत की पहचान, खसरा संख्या, विकासखंड और तहसील का नाम अवश्य लिख दें. इसके अलावा किसान इस थैली पर यह भी लिखकर बता दें कि अब खेत में अगली फसल कौन सी ली जानी है ताकि उसी आधार पर अगली फसल के लिए उर्वरक की आवश्यक मात्रा बताई जा सके.
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FIRST PUBLISHED : September 27, 2024, 18:41 IST