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Friday, September 13, 2024

जीजा जी भी बिगाड़ सकते हैं जमीन-जायदाद का खेल, मुंह ताकते रह जाएंगे बेटा और भाई, समझें बंटवारे का कानून

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झांसी. संपत्ति और जमीन का बंटवारा अक्सर विवाद की वजह बन जाती है. परिवार में संपत्ति का बंटवारा एक बड़ा मुद्दा बन जाता है. एक सवाल यह भी उठता रहता है की बेटियों का संपत्ति पर अधिकार होता है या नहीं. अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाए और उसकी कोई वसीयत ना ही तो उसके बेटे और बेटी में संपत्ति का बंटवारा कैसे होगा. अगर बेटी विवाहित है उस स्थिति में प्रक्रिया क्या होती है.

बेटी का बराबर का हिस्सा

इसका जवाब जानने के लिए हमने बुंदेलखंड औद्योगिक विकास प्राधिकरण के ओएसडी डॉ. लालकृष्ण से बात की. उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता के अनुसार विरासत में अविवाहित बेटी और बेटों में संपत्ति बराबर बांट दी जाती है. बेटी अपने विवाह के बाद अगर चाहे तो अपने हिस्से की संपत्ति को छोड़ सकती है. इसके लिए बेटी पर दबाव नहीं बनाया जा सकता है.

रजामंदी बेहद जरूरी

डॉ. लालकृष्ण ने बताया कि अगर बंटवारे से जुड़ा विवाद उपजिलाधिकारी यानी एसडीम कोर्ट में पहुंचता है तो वहां सरकारी दस्तावेज में जितने भी हिस्सेदारों का नाम लिखा होता है, उन सबकी रजामंदी जरुरी होती है. इसमें बेटी और बहन की रजामंदी लेना भी जरुरी होता है. इसके बाद ही प्रक्रिया आगे पहुंच पाती है. कोर्ट के भी कई फैसलों में इस बात को साफ कर दिया गया है कि संपत्ति में बेटी का बराबर का अधिकार होता है. किसी भी बंटवारे से पहले उनकी रजामंदी जरुरी होती है.

FIRST PUBLISHED : July 10, 2024, 11:05 IST



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