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Friday, July 5, 2024

जुलाई में धान नहीं, करें इस दलहन की खेती…बिना पानी होगा बंपर उत्पादन, मुनाफा होगा लाख के पार

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शाहजहांपुर : आमतौर पर बरसात के दिनों में किसान धान की खेती करते हैं लेकिन अगर किसान सिंचाई के अभाव वाले क्षेत्रों में दलहन की फसल कर लें तो किसानों को बेहद कम लागत में धान के मुकाबले करीब 3 गुना मुनाफा मिलेगा. किसानों के लिए अरहर की फसल बेहद ही फायदेमंद हो सकती है. जिसमें कम लागत में किसानों को अच्छा मुनाफा मिलता है.

कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर के एक्सपर्ट डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि किसान अगर अपने खेत में अरहर की खेती करें तो किसानों को अच्छा मुनाफा मिलेगा. इसके अलावा किसान इसके साथ सोयाबीन, उड़द और तुअर की सहफसली भी कर सकते हैं. अरहर की खेती करने पर करीब 10 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से उपज मिलती है. 1 क्विंटल अरहर की कीमत करीब 12000 तक रहती है. अरहर करीब 120 दिनों में तैयार हो जाती है. ऐसे में किसान बहुत कम खर्चे पर अपनी आमदनी को दो से तीन गुना तक कर सकते हैं.

इन बातों का रखें ध्यान
डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि अरहर की बुवाई वर्षा शुरू होने के साथ ही कर देना चाहिए. अरहर की बुवाई जुलाई के पहले सप्ताह तक बुवाई करें. लाइनों के बीच की दूरी शीघ्र पकने वाली किस्मों के लिए 60 से.मी. व मध्यम और देर से पकने वाली किस्मों के लिए 70 से 90 से.मी. रखना चाहिए. कम अवधि की किस्मों के लिए पौधे से पौधे की दूरी 15-20 से.मी. और मध्यम तथा देर से पकने वाली किस्मों के लिए 25-30 से.मी. होनी चाहिए. जल्दी पकने वाली किस्मों का 20-25 किलोग्राम और मध्यम पकने वाली किस्मों का 15 से 20 कि.ग्रा. बीज प्रति हेक्टेयर के हिसाब से बुवाई करनी चाहिए.

बुवाई के समय जरूर करें ये काम
डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि अरहर की फसल से अच्छा उत्पादन लेने के लिए बीज उपचार करना बेहद जरूरी है. बुवाई के पहले फफूंदनाशक दवा 2 ग्राम थीरम, 1 ग्राम कार्बेन्डेजिम प्रति किलो बीज के हिसाब से उपचारित करें. ऐसा करने से अरहर की फसल में कीट नहीं लगेंगे.

निराई गुड़ाई भी है बेहद जरूरी
डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि अरहर से अच्छा उत्पादन लेने के लिए खरपतवार नियंत्रण करना भी बेहद जरूरी है. खरपतवार नियंत्रण के लिए 20-25 दिन में पहली निराई गुड़ाई करे दें. फूल आने से पहले फिर से निराई गुड़ाई कर दें. निराई गुड़ाई करने से खरपतवार तो नष्ट होते ही हैं. इसके अलावा मिट्टी में वायु संचार होता है. मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों का पौधा आसानी से ग्रहण भी करते हैं.

सिंचाई कब और कितनी करें?
डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि जहां किसानों के पास सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो वहां वहां एक हल्की सिंचाई फूल आने पर व दूसरी फलियां बनने की अवस्था पर करने से पैदावार में बढोतरी होती है. अगर हल्की बारिश हो जाए, तब भी अरहर की खेती से अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है.

Tags: Agriculture, Local18, Shahjahanpur News, Uttar Pradesh News Hindi



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