नई दिल्ली: दुश्मनों से लड़ते-लड़ते कैप्टन अंशुमान शहीद हो गए. पिछले साल 19 जुलाई 2023 को सियाचिन में अपने साथियों को बचाते-बचाते अंशुमान इस देश के लिए अपनी जान न्योछावर कर गए. बहादुरी, वीरता और अदम्य साहस के लिए शहीद अंशुमान के परिवार को राष्ट्रपति ने 5 जुलाई को कीर्ति चक्र से सम्मानित किया. मगर अब उनकी शहादत पर विरासत को लेकर घमासान शुरू हो गया है. शहीद अंशुमान के घर में विरासत को लेकर सास और बहू के बीच खटपट जारी है. अंशुमान के माता-पिता का न्यूज18 के कैमरे पर दर्द छलका है. उन्होंने अपनी ही बहू स्मृति पर गंभीर आरोप लगाए हैं.
शहीद के माता-पिता का आरोप है, ‘मेरी बहू शहीद बेटे की वर्दी और अन्य सामान को लेकर अपने घर चली गई. वह बीते 5 जुलाई को मिले कीर्ति चक्र को भी अपने साथ ले गई. मुझे शहीद बेटे को मिले कीर्ति चक्र को छूने का भी मौका नहीं दिया. कीर्ति चक्र मिलने से पहले ही शहीद की मां को कीर्ति चक्र न पकड़ने की हिदायत दी थी. न तो बेटा मिला, न बहू, शहादत से जुड़ा कोई सामान भी नहीं है मेरे पास.’
अंशुमान के माता-पिता का कहना है कि बेटा शहीद हो गया, मगर सबकुछ बहू लेकर चली गई. उन्होंने कहा कि उनकी बहू को कीर्ति चक्र को हाथ लगाने पर भी आपत्ति थी. अंशुमान के पिता राम प्रताप सिंह ने कहा, ‘देखिए, मेरे बेटे ने जो शहादत दी, जिस जाबांजी के साथ लोगों की जिंदगी को बचाते हुए शहादत को गले लगाया, इसे देख पूरा देश उसके साथ खड़ा है. भारत और राज्य सरकार ने जो सहयोग दिया वह आदरणीय है. राज्य सरकार के मुखिया से जब मिला तो उनकी भी आंखें नम थीं.’
शहीद के पिता ने क्या कहा
कीर्ति चक्र छूने का मौका नहीं मिला, धनराशि बहू लेकर चली गई? इस सवाल के जवाब में राम प्रताप सिंह ने कहा, ‘यूपी सरकार ने जो 50 लाख की धनराशि दी थी, 35 लाख मेरी बहू को और 15 लाख मेरे परिवार को उसी वक्त 21 जुलाई 2023 को ही मिल गए थे. राज्य सरकार ने एक सड़क के नामकरण को कहा था, वह भी वादा पूरा हो गया. एक परिवार के सदस्य को नौकरी की बात थी, वह प्रक्रिया भी सीएम योगी ने आगे बढ़ा दिया है. रही बात सम्मान की राशि की बात की तो आर्मी ग्रूप का जो पैसा था वह फिफ्टी-फिप्टी में बंटा. पैसे को लेकर हमारा कोई मतभेद नहीं है. दर्द तो मेरा केवल कीर्ति चक्र को लेकर छलका है.’ उन्होंने कहा कि बहू को मेरी पत्नी के कीर्ति चक्र छूने से आपत्ति थी. इसलिए मेरी पत्नी ने उसे बहुत ही सिंबॉलिक तरीके से उसे छुआ था. जैसा की आपने वीडियो में भी देखा होगा. बहू ने रिहर्शल के दौरान ही आपत्ति जता दी थी.
शहीद की मां का छलका दर्द
वहीं, इस पूरे विवाद पर शहीद की अंशुमान की मां ने कहा, ‘चक्र मिलने की फीलिंग बहुत अच्छी थी, मगर एक मां का दर्द भी था. एक मैं ही मां नहीं थी वहां, बहुत मां थी. सम्मान तो गर्व की बात है. मेरा बेटा वहां होता तो और गर्व की बात होती. कीर्ति चक्र जब मिला तब मुझे लगा कि बेटे को गए एक साल हो गया. मैं उस दर्द को लेकर एक साल तक बैठी रही. मेरे लिए अभी भी 21 जुलाई ही है. मैं ऐसे ही जिऊंगी, मैं तो जीना नहीं चाहती, मगर मैं इस सम्मान के लिए जीना चाहती हूं.’
बहू ने इसे मुद्दा बनाया
कीर्ति चक्र छूने में आपकी बहू को तकलीफ थी? इस पर अंशुमान की मां ने कहा, ‘जब रिहर्शल हुआ तो उनको तकलीफ हुई होगी. उन्होंने छोड़ दिया होगा, तभी मेरे हाथ में आया, क्योंकि हम दोनों ने उसे पकड़ा था. उन्होंने सीओ साहब से इसे मुद्दा बनाई. मेरी चक्र को छूने में कोई जबरदस्ती नहीं थी. मेरी बहू नहीं थी, वो बेटी की तरह थी. न्यू18 इंडिया से बात करते वक्त कई बार अंशुमान की मां के आंख से आंसू छलक आए.
कब मिला था कीर्ति चक्र
बता दें कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 5 जुलाई 2024 को दिल्ली में रक्षा अलंकरण समारोह में दिवंगत अधिकारी की पत्नी स्मृति और मां मंजू सिंह को कैप्टन अंशुमान सिंह की शहादत पर कीर्ति चक्र प्रदान किया था. यह शांतिकाल में वीरता के लिए दिया जाने वाला दूसरा सबसे बड़ा पुरस्कार है. कैप्टन अंशुमान सिंह पिछले वर्ष जुलाई में भीषण आग से लोगों को बचाते समय शहीद हो गये थे.
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FIRST PUBLISHED : July 12, 2024, 12:37 IST