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Friday, January 10, 2025

भारी बारिश के बाद भूल कर भी इस विधि से न करें धान की खेती, होगा भारी नुकसान, एक्सपर्ट ने दी चेतावनी

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शाहजहांपुर: परंपरागत तरीके से की जाने वाली धान की खेती से पानी की खपत ज्यादा होती है. जिसके बाद अब वैज्ञानिक किसानों को धान की सीधी बुवाई करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. जिससे कम लागत में अच्छा उत्पादन मिलता है. लेकिन धान की सीधी बुवाई करने के लिए यह समय उपयुक्त नहीं है. अब अगर किसान धान की सीधी बुवाई करते हैं तो उनको फायदे के बजाय नुकसान हो सकता है.

कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर में तैनात कृषि एक्सपर्ट डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि वैज्ञानिक तरीके से की जाने वाली धान की सीधी बुवाई से 30% से 35% पानी की बचत होती है. साथ ही परंपरागत तरीके से की जाने वाली खेती के मुकाबले ग्रीन गैस उत्सर्जन में भी 30% से 35% गिरावट आती है. जिससे पर्यावरण सुरक्षित रहता है. धान की सीधी बुवाई 25 मई से 10 जून तक मानसून से पहले की जानी चाहिए. लेकिन अगर अब धान की सीधी बुवाई करते हैं तो किसानों को नुकसान हो सकता है. उत्पादन में भारी गिरावट होगी.

धान की सीधी बुवाई करने के नुकसान
डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि अगर जुलाई के महीने में आप धान की फसल लगाना चाहते हैं तो आप सीधी बुवाई करने की बजाय नर्सरी से धान की रोपाई करें क्योंकि अब अगर धान की सीधी बुवाई करते हैं तो बीज जमाव होने और उसके बाद पौधे तैयार होने में कम समय मिलेगा और धान के पौधे में कल्लों की संख्या कम रहेगी जैसा सीधा असर उत्पादन पर पड़ेगा.

धान की सीधी बुवाई की विधि
डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि धान की सीधी बुवाई करने के लिए गेहूं की कटाई के बाद खेत को अच्छे से जोत कर समतल किया जाता है. उसके बाद खेत में पानी डालकर पलेवा कर पर्याप्त नमी रहते खेत को दोबारा से जोत कर तैयार किया जाता है. खेत तैयार होने के बाद डीएसआर मशीन (direct seeded rice) से धान की बुवाई की जाती है. सीधी बुवाई में 8 से 10 किलो ग्राम बीज प्रति एकड़ के हिसाब इस्तेमाल किया जाता है. ध्यान रखें लाइन से लाइन की दूरी 9 इंच और गहराई 1.5 से 2 इंच तक होनी चाहिए. बुवाई करने के बाद तुरंत पेंडिमैथलीन (Pendimethalin) दवा 1200 से 1500 ml प्रति एकड़ के हिसाब से 200 लीटर पानी का घोल बनाकर छिड़काव किया जाता है. जिससे खेत में खरपतवार नहीं उगते.

FIRST PUBLISHED : July 10, 2024, 15:24 IST



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