Last Updated:
Sharmila Tagore Upcoming Movie: शर्मिला टैगोर 15 साल बाद पर्दे पर वापसी करने वाली हैं. बंगाली फिल्म में एक्ट्रेस नजर आने वाली हैं. हाल ही में मूवी की स्क्रीनिंग रखी गई.
शर्मिला टैगोर
हाइलाइट्स
- शर्मिला टैगोर 15 साल बाद सिनेमा में वापसी करेंगी.
- फिल्म ‘पुरात्वन- द एंशिएंट’ की दिल्ली में स्क्रीनिंग हुई.
- फिल्म मां-बेटी के अनोखे रिश्ते पर आधारित है.
Sharmila Tagore Upcoming Movie: शर्मिला टैगोर बॉलीवुड की सबसे पापुलर एक्ट्रेस में से एक हैं. 15 साल बाद एक्ट्रेस बंगाली इंडस्ट्री में वापसी करने के लिए तैयार हैं. मां बेटी के एक अनोखे रिश्ते पर फिल्म बनाई गई है, जिसकी स्क्रीनिंग दिल्ली में आयोजित हुए फिल्म फेस्टिवल में रखी गई थी. आइए जानते हैं इस मूवी में शर्मिला टैगोर की भूमिका के बारे में.
15 साल बाद वापसी करेंगी शर्मिला टैगोर
दिल्ली में आयोजित व्यू वर्ल्ड फिल्म फेस्टिवल में शर्मिला टैगोर की फिल्म पुरात्वन- द एंशिएंट की स्क्रीनिंग रखी गई थी. फिल्म को निर्देशित ऋतुपर्णा सेनगुप्ता ने किया, जो बंगाली इंडस्ट्री का बड़ा नाम हैं. उन्होंने लोकल 18 की टीम से बात करते हुए बताया दिग्गज अभिनेत्री शर्मिला टैगोर काफी लंबे अंतराल के बाद बंगाली भाषा के सिनेमा में वापसी कर रही हैं. वह भी हमारे इस फिल्म के जरिए, जो की बहुत खुशी की बात है. वही उन्होंने आगे बताया कि वह फिल्म को निर्देशित करने के साथ इसमें वह एक कलाकार की भूमिका भी निभा रही हैं, जिस वजह से यह फिल्म उनके लिए और खास है.
जानें इस फिल्म की कहानी
ऋतुपर्णा सेनगुप्ता ने इस फिल्म पर बात करते हुए बताया कि यह फिल्म मां बेटी के अनोखे रिश्ते को दर्शाते हुए बनाया गया है, जिसमें रितिका अपनी मां का 80वां जन्मदिन मनाने के लिए अपने पति राजीव के साथ अपने पैतृक घर लौटती हैं. अपने घर पहुंचने के बाद उसे पता चलता है कि उसकी मां वैसी नहीं हैं.
इसे भी पढ़ें – इस हसीना ने दिया 10 साल बड़े मुस्लिम एक्टर को दिल…44 की उम्र में भी बॉलीवुड Queen, कई ब्लॉकबस्टर मूवी कर चुकी रिजेक्ट
शुरू में इस एहसास से झटका लगने के बाद, वह धीरे-धीरे अपनी स्थिति और इसकी अपरिवर्तनीयता को स्वीकार करने लगती है. अपनी मां के माध्यम से वह जीवन और अस्तित्व के प्रति अपना नजरिया बदलने लगती है. जो एक नियमित और अनुष्ठानिक घटना लगती थी, वह मानव अस्तित्व और कैसे अतीत हमारी वर्तमान स्थिति को निर्धारित करता है, की एक बड़ी आध्यात्मिक जांच में बदल जाती है फिल्म ने कमजोर होती याददाश्त, अतीत को संजोने, अप्रचलन के डर और सामंजस्य जैसे सवालों को बड़ी ही चतुराई से एक भयावह, मार्मिक कहानी में पिरोया है.