संदीप दीक्षित ने कहा कि अगर केजरीवाल चाहते हैं कि जल्द चुनाव हो तो, इनको कैबिनेट की बैठक बुलानी चाहिए और विधानसभा भंग करने का प्रस्ताव राज्यपाल के पास भेजना चाहिए। अगर केजरीवाल चाहते हैं कि जल्द चुनाव हो, तो उन्हें नाटक करने की बजाय यह कदम उठाना चाहिए।
बीजेपी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार मौजूदा कार्यकाल में ही ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ नीति को लागू करने की तैयारी कर रही है। इसको लेकर सवाल भी खड़े होने शुरू हो गए हैं। ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ पर ताजा चर्चाओं के बीच कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने आज कहा कि बीजेपी का कोई उसूल नहीं है। वे ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ महाराष्ट्र में लागू कर नहीं पाए।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संदीप दीक्षित ने इस मुद्दे पर कहा कि, वन नेशन वन इलेक्शन तो महाराष्ट्र और हरियाणा में लागू कर नहीं पाए, क्योंकि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी को बहुत कम सीटें मिलेंगी। उन्होंने कहा कि जहां इनको सूट करता है, वहां ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ की बात करने लगते हैं और जहां सूट नहीं करता, वहां शांत हो जाते हैं।
संदीप दीक्षित ने आरक्षण को लेकर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की ओर से दिये गए बयान पर उन्होंने कहा कि, वह उपराष्ट्रपति हैं, संवैधानिक पद पर हैं। इसलिए ज़्यादा कुछ नहीं कहना चाहिए, लेकिन वह एक ऐसे उपराष्ट्रपति हैं, जिनको मैं कभी गंभीरता से नहीं लेता हूं। एक उपराष्ट्रपति के तौर पर मैं उनका सम्मान करता हूं, लेकिन व्यक्तिगत रूप से उनके प्रति मेरे अंदर कोई गंभीरता का भाव नहीं है।
कांग्रेस नेता ने दिल्ली में नई सरकार के गठन को लेकर कहा कि मुख्यमंत्री या काबीना के इस्तीफे से चुनाव जल्दी नहीं होते, क्योंकि उसके बाद राज्यपाल के पास यह मौका रहता है कि वह नई सरकार की संभावनाएं तलाश करें। अगर संभावनाएं तलाश करेंगे, तो वो विधानसभा को भंग किये बिना राष्ट्रपति शासन भी लगा सकते हैं। जनवरी-फरवरी में विधानसभा भंग होना ही है। अगर केजरीवाल चाहते हैं कि जल्दी चुनाव हो तो, इनको कैबिनेट की बैठक बुलानी चाहिए और विधानसभा भंग करने का प्रस्ताव राज्यपाल के पास भेजना चाहिए। अगर केजरीवाल चाहते हैं कि जल्द चुनाव हो, तो उन्हें नाटक करने की बजाय यह कदम उठाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि, आम आदमी पार्टी में केवल केजरीवाल हैं, बाकी सब उनके घरेलू नौकर है। किसी का कोई वजूद नहीं है। मेरे हिसाब से वह इस हिसाब से निर्णय लेंगे कि कौन ऐसा व्यक्ति आएगा, जो इनके भरोसे का हो, जो फाइल न निकलने दे। इनके खिलाफ भ्रष्टाचार के जो सबूत हैं, उसको दबा के रखे, जो इनके कहने पर काम करे, जिस कांट्रेक्ट पर हस्ताक्षर करना है, उस पर हस्ताक्षर कर दे। एक तरीके से इनका पिट्ठू बनकर वहां रहे। वो दिखाने के लिए तमाम औपचारिकता करेंगे। लेकिन यह सब नाटक है, इसका कोई अर्थ नहीं है। केवल समय खराब करने वाली बात है।