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Saturday, July 6, 2024

किसी जलयान से कम नहीं UP का ये दिव्यांग, बना चुका है कई रिकॉर्ड, अब ये है सपना

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सनन्दन उपाध्याय/बलिया:- आपने सफलता की कहानी तो बहुत सुनी और देखी होगी, जिसमें कोई गरीब का बच्चा, विषम परिस्थिति, बिना माता – पिता या खुद मजदूरी करते हुए अपने सपने को साकार करता है. लेकिन आज हम एक ऐसी सफलता की कहानी बताने वाले हैं, जिसको सुनकर आपके भी होश उड़ जाएंगे. एक ऐसा शख्स, जो दोनों पैरों से दिव्यांग है, लेकिन हौसले कितने बुलंद हैं, ये देखकर आसपास के युवाओं में जोश, उत्साह और उमंग भर गया है.

इस दिव्यांग ने उस दिशा में अपना परचम लहराया, जो कठिन ही नहीं, बल्कि नामुमकिन है. हम जिले के हालपुर निवासी राष्ट्रीय तैराक 75% दिव्यांग लक्ष्मी साहनी की बात कर रहे हैं, जिसने वाराणसी के अस्सी घाट से बलिया तक का सफर गंगा नदी से साढ़े 17 घंटे में तैरकर रिकॉर्ड बनाया था. यही नहीं, एक मिनट में 50 मीटर तैराकी का मिसाल भी कायम किया.

बचपन से ही दिव्यांग
बलिया के बांसडीह तहसील अंतर्गत हालपुर गांव निवासी राष्ट्रीय तैराक दिव्यांग लक्ष्मी साहनी ने लोकल 18 से कहा कि मैं बचपन से ही दिव्यांग हूं. अभी तक मुझे ओलंपिक में पांच से अधिक स्वर्ण पदक के साथ रजत पदक भी मिले हैं. मेरे पिता भी 2021 में मेरा साथ छोड़कर भगवान को प्यारे हो गए.

नहीं थे दोनों पैर, लेकिन सपना था आसमान छूने का
दिव्यांग साहनी ने Local18 को बताया कि मैं बहुत साधारण परिवार का रहने वाला हूं. बचपन से दोनों पैर तो नहीं थे, लेकिन सपना था कि मैं वह काम करूं, जो ऐसी स्थिति में करना असंभव माना जाता है. मैंने पहले अपने गांव की छोटी बड़ी नदियों में प्रयास किया. मेरे कुछ मित्रों ने साथ दिया और मैं तैरना सीखा. उन्होंने बताया कि सपनों की उड़ान भरने के लिए मैंने दिन-रात एक कर दिया और हकीकत में अब मुझे कदम – कदम पर सफलता दिखाई दे रही है. मैंने स्नातक तक पढ़ाई भी की है.

अभी तक मिल चुकी है कई सफलता
उन्होंने बताया कि कई तैराकी में रिकॉर्ड तोड़ने के कारण कई गोल्ड मेडल और रजत पदक के साथ तमाम राष्ट्रीय पुरस्कार तक भी मैं पहुंच गया हूं. दोनों पैर न रहते हुए भी मैंने देश-विदेश में अपना परचम लहराया. दिव्यांगता केवल दिमाग में होती है, अगर जिस दिन यह सोच लिया कि मैं दिव्यांग नहीं हूं, हर काम संभव है.

तैरने वाले इन खेलों में भी उस्ताद
मुझे पता नहीं था कि तैरने के क्षेत्र में भी कई खेल प्रतियोगिता होती है. जब मुझे पता चला, तो बलिया जिले के क्रीड़ाधिकारी सोनकर जी के द्वारा मैंने तैरने से सम्बंधित कई खेल सीखा और उस क्षेत्र में भी मुझे काफी सफलता मिली. जैसे तैरने के क्षेत्र में होने वाले खेल – बैक स्ट्रोक, फ्री स्टाइल, बटर फ्लाई और ब्रेक स्ट्रोक इत्यादि मैं खेलता हूं.

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तोड़ा है कई बड़ा रिकॉर्ड
साहनी ने बताया कि तैराकी के क्षेत्र में सबसे कठिन साहसिक तैराकी होता है. इसमें मैं 100 किलोमीटर से अधिक भी तैरने की क्षमता रखता हूं. उन्होंने कहा की पिछले साल वाराणसी के अस्सी घाट से बलिया 17 घंटा 34 मिनट में तैरकर एक बड़ा रिकॉर्ड मैंने कायम किया था. अब मेरा एक ही सपना है कि 42 और 36 किलोमीटर इंग्लैंड का इंग्लिश चैनल और आयरलैंड में नॉर्थ चैनल समुद्र है, जिसको पार करना चाहता हूं.

Tags: Ballia news, Local18, Motivational Story, Success Story, UP news



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