सनन्दन उपाध्याय/बलिया: जिले के बालेश्वर रोड में स्थित ऐतिहासिक पौराणिक बाबा बालेश्वर नाथ मंदिर पर लगा 51 किलो का त्रिशूल न केवल आस्था का बड़ा केंद्र है, बल्कि यह लोगों को अपनी तरफ खूब आकर्षित कर रहा है. भक्त इस भव्य त्रिशूल को काशी विश्वनाथ का आशीर्वाद मान रहे हैं और सेल्फी प्वाइंट के रूप में खूब पसंद कर रहे हैं. पूजा अर्चना होने के बाद इस भव्य त्रिशूल के पास भक्तों की भीड़ उमड़ रही है. कोई सेल्फी ले रहा, तो कोई बाबा भोलेनाथ के इस त्रिशूल को निहारता हुआ नजर आ रहा है. आइए जानते हैं किसने लगवाया, क्यों लगवाया और क्या है इस भोलेनाथ के भव्य त्रिशूल की खासियत.
जिला अस्पताल बलिया के चिकित्सक डॉ. रितेश सोनी ने बताया कि मेरे पिता राजेश कु. सोनी वाराणसी घूमने के लिए गए थे, जहां उन्होंने काशी विश्वनाथ दर्शन के दौरान त्रिशूल देखा. उसके बाद उनके दिमाग में यही चलता रहा कि ऐसा त्रिशूल हमारे प्रसिद्ध बाबा बालेश्वर नाथ मंदिर पर भी होना चाहिए.
सपने में आए बाबा बालेश्वर नाथ…
हर समय मेरे पिताजी इस बात को लेकर चिंता करते थे की विश्वनाथ बाबा जैसा यहां भी त्रिशूल लगवाया जाए. शायद यही कारण रहा कि अंत में इनको सपना भी दिख गया कि मैं बालेश्वर नाथ मंदिर पर वैसा ही त्रिशूल लगवा रहा हूं. इसके बाद मैंने पिता के इस सपने को पूरा करने का प्रयास किया.
मध्य प्रदेश में बनवाया गया यह त्रिशूल
डॉ. रितेश सोनी ने आगे बताया कि इसके लिए लोकल मिस्त्री को बुलाया गया, तो उन्होंने साफ मना कर दिया कि इस प्रकार का त्रिशूल यहां नहीं बन सकता है. इसके बाद वाराणसी पता किया गया तो वहां भी संभव नहीं था. अंत में लखनऊ में बात करने पर पता चला कि ऐसा भव्य त्रिशूल मध्य प्रदेश में बनाया जाता है, तो मध्य प्रदेश के भोपाल में एक जगह है, जहां केवल इसी का काम होता है, वहीं से इसको बनवाया गया.
यह है इस त्रिशुल में खासियत…
मध्य प्रदेश से बनकर तैयार होने के बाद पूरे परिवार के साथ इसको बाबा बालेश्वर नाथ मंदिर के गेट पर स्थापित कर दिया गया है. इसकी लंबाई लगभग 14 फीट और वजन 51 किलो है.
क्या बोले भक्त
मंदिर पर पूजा पाठ करने आए सुजीत कुमार तिवारी और जयप्रकाश गुप्ता ने बताया कि इस त्रिशूल ने इस मंदिर की सुंदरता को बढ़ा दिया है. हर कोई बाबा के दर्शन करने के बाद इस त्रिशूल को प्रणाम कर सेल्फी जरूर ले रहा है. एक महिला तो ऐसी मिली, जो छत्तीसगढ़ से पहली बार बाबा बालेश्वर नाथ मंदिर का दर्शन करने आई थी.
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FIRST PUBLISHED : May 13, 2024, 12:03 IST