बहराइच जिले के सराय जागना गांव में तहसील प्रशासन के बुलडोजर एक्शन से दहशत बुधवार को कोर्ट के आदेश के बाद पहले चरण में 23 मकानों को जमींदोज किया गया है
रिपोर्ट: ताहिर हुसैन
बहराइच. उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के कैसरगंज तहसील का सराय जगना गांव में बुधवार की बुलडोजर की कार्रवाई से लोग दहशत में आ गए. हाईकोर्ट के आदेश के बाद तहसील प्रशासन की तरफ से 23 घरों को बुलडोजर से जमींदोज कर सरकारी जमीन से कब्जा हटाया गया. सभी घर 40 साल पहले बने थे, जिनमें 100 से अधिक लोगों का परिवार रहता था.
बताया जा रहा है कि आज पहले चरण में 23 घरों को गिराया गया है. जबकि कुल 129 घरों और दुकानों को नोटिस थमाया गया हैं. जिसके बाद लगभग 3000 की आबादी दहशत में है और तहसील प्रशासन पर गंभीर आरोप भी लग रहे हैं. आखिर विवाद था क्या? 40 साल तक प्रशासन को कब्जे की भनक कैसे नहीं लगी? आखिर कब्ज़ा करने वाला ही जिम्मेदार कैसे, उन अधिकारीयों का क्या जो अंधे बने रहे?
इस विवाद से कब्जे का मामला आया सामने
दरअसल, दो पक्षों में रास्ते की जमीन को लेकर विवाद हुआ. गुड़िया उर्फ हदीसुन को रास्ता ज्यादा मिलना था और पड़ोसी जावेद तीन फुट रास्ता दे रहे थे. इस बात का विवाद इतना बढ़ा कि मामला हाईकोर्ट तक जा पहुंचा और डेढ़ साल की पैरवी के बाद गुड़िया को इंसाफ मिला और रास्ते की नपाई शुरू हुई. इसी दौरान जिला प्रशासन को जानकारी मिली कि जिस जमीन को लेकर दो पक्ष आपस कानून लड़ाई लड़ रहे थे, वो जमीन ग्राम समाज वा रास्ते की सरकारी जमीन है. इसके बाद इलाके के सभी 129 परिवार को नोटिस भेजा गया और सभी से सरकारी जमीन से अपना अतिक्रमण हटा लेने को कहा गया. कब्ज़ा न हटाने की स्थिति में प्रशासन द्वारा ध्वस्त किया जाएगा. इसी कड़ी में बुधवार को पहले चरण में 23 मकानों को गिराया गया.
लोग खुद ही तोड़ रहे अपना आशियाना
बुलडोजर एक्शन की दहशत ऐसी है कि अब इस पूरे इलाके में हर कोई अपनी दुकान और मकान तोड़ता नजर आ रहा हैं. कोई दीवार तोड़ रहा है तो कोई घर का सामान निकाल रहा है. तो कहीं छोटे बच्चे अपने टूटे हुए घर की ईंट लाते दिखाई दे रहे हैं. एक महिला तो अपना दर्द बयां करते करते जमीन पर गिर गई, जिसे कुछ लोगो ने सहारा दिया और अपने साथ ले गए. पूरे इलाके में कोहराम मचा हुआ है. तीन हजार की आबादी सिर्फ तीन फुट जमीन के रास्ते को लेकर बेघर हो रही है.
95 फीसदी आबादी मुस्लिम है
स्थानीय लोग जिला प्रशासन पर भी गंभीर आरोप लगा रहे हैं. उनका कहना है कि कई घर 50 से ज्यादा साल पुराने हैं. एक समुदाय विशेष से होने की वजह से उन्हें परेशान किया जा रहा है. स्थानीय लोगों का दावा है कि प्रशासन सभी 129 घरों पर बुलडोजर चलाने की तैयारी में है. उधर प्रशासन का कहना है कि आज 23 घरों को तोड़ा गया है, जो कि खलिहान और रास्ते की सरकारी जमीन पर बने थे.
फूस की झोपड़ी से बन गए पक्के मकान
प्रशासन पर भी सवाल उठना लाजमी है, क्योंकि इन जमीनों पर कब्ज़ा 40 साल पहले शुरू हुआ. तब लोगों ने फूस की झोपड़ी डाली थी. लेकिन वक्त के साथ झोपड़ी की जगह पक्के मकान बनते चले गए. इस दौरान किसी भी अफसर की नजर इस अतिक्रमण की तरफ नहीं गई. अगर रास्ते का विवाद कोर्ट न पहुंचता, और कब्ज़ा हटाने का आदेश न आता तो शायद ही तहसील प्रशासन को इसकी भनक लगती की सरकारी जमीन पर कब्जा किया गया है. अगर शुरुआत में कब्जे को रोका गया होता तो आज 40 साल बाद बेस बसाये आशियाने को इस तरह उजाड़ने की आवश्यकता न पड़ती. इस ‘अंधे सिस्टम’ की वजह से आज कई परिवार बेघर हो रहे हैं.
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FIRST PUBLISHED : September 25, 2024, 13:56 IST