रजनीश यादव / प्रयागराज: महाकुंभ 2025 की तैयारियां चरम पर हैं, और संगम की पावन धरती पर दुनिया का सबसे बड़ा अस्थायी शहर आकार ले रहा है. हर 12 वर्षों में आयोजित होने वाले इस भव्य मेले में दुनियाभर से करोड़ों श्रद्धालु शामिल होंगे. गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती के पवित्र संगम में स्नान कर श्रद्धालु अपने पापों से मुक्ति प्राप्त करेंगे. इस आयोजन की महिमा और महत्व को लेकर लोग उत्साहित हैं.
दंडी स्वामी के लोकल 18 से बातचीत के दौरान बताया कि महाकुंभ का आरंभ समुद्र मंथन से जुड़ी पौराणिक कथा से हुआ. समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश से चार स्थानों – हरिद्वार, नासिक, उज्जैन और प्रयागराज पर अमृत की बूंदें गिरी थीं. इन्हीं स्थानों पर कुंभ मेले का आयोजन होता है. लेकिन प्रयागराज का महत्व सबसे अधिक है, क्योंकि यह तीन नदियों के संगम की एकमात्र पवित्र भूमि है. यही कारण है कि महाकुंभ का आयोजन यहां विशेष भव्यता से किया जाता है.
महाकुंभ 2025 की विशेष तैयारियां
महाकुंभ 13 जनवरी से 25 फरवरी 2025 तक, लगभग 45 दिनों तक चलेगा. यह आयोजन 4000 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला होगा, जो कई देशों के कुल क्षेत्रफल से भी बड़ा है. श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए गंगा पर 30 पीपा पुल बनाए जा रहे हैं. इसके अतिरिक्त, सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा रहा है, जैसे एआई आधारित कैमरे, रोबोटिक नावें, और हजारों सुरक्षाकर्मी. 58 घोड़े और चार विशाल पार्किंग क्षेत्र भी तैयार किए जा रहे हैं.
संगम की रेत पर टेंट सिटी का निर्माण
महाकुंभ की भव्यता को देखते हुए संगम की रेती पर टेंट सिटी का निर्माण तेजी से हो रहा है. दंडी स्वामी महंत ने बताया कि यह आयोजन भारत की अमूल्य धरोहर है, जिसका विश्व में कोई समानांतर नहीं है. प्रयागराज के इस आयोजन को देखने और अनुभव करने के लिए दुनियाभर से करोड़ों श्रद्धालु पहुंचेंगे, जो भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का वैश्विक मंच पर प्रदर्शन करेंगे.
महाकुंभ 2025 न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक भी है. इस अद्भुत मेले में शामिल होकर श्रद्धालु पवित्रता और आस्था का अनुभव करेंगे, जो जीवन में अमूल्य स्मृति बन जाएगा.
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FIRST PUBLISHED : December 9, 2024, 11:14 IST