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Thursday, December 5, 2024

सर्दी आते ही बढ़ गई मछलियों की डिमांड, 500 से 800 रुपये प्रति किलो तक हो रही बिक्री

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अलीगढ़: सर्दी का मौसम शुरू होते ही अलीगढ़ जिले में मछली की बिक्री बढ़ गई है. इस साल करीब 150 करोड़ के कारोबार की उम्मीद है. मार्केट में दस किस्म की मछलियां हैं, जिनमें मिठास के कारण रोहू और कम कांटे के कारण पंगेशियस मछली की डिमांड ज्यादा है. शोल और सिंघी महंगी मछलियां हैं, जिनकी डिमांड खास वर्ग में है. इनकी कीमत 500 रुपये से 800 रुपये प्रतिकिलो तक है. मछली पालकों ने मछली का आहार बनाने और बीज उत्पादन के केंद्र भी स्थापित किए हैं.

अलीगढ़ के अतरौली में मत्स्य आहार मिल स्थापित है, जहां मछलियों के खाने के लिए दाना तैयार किया जाता है. यहां प्रतिदिन 12 क्विंटल तक दाना बनता है. इसी तरह टप्पल के गांव भोजाका और गोंडा रोड स्थित शहरी मदनगढ़ी में हैचरी स्थापित हैं, जहां मछलियों का बीज तैयार किया जाता है.

मत्सय पालन को दिया जा रहा बढ़ावा
इस बारे में जानकारी देते हुए मत्स्य विभाग की सहायक निदेशक प्रियंका आर्य ने बताया कि मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने विभिन्न योजनाएं तैयार की हैं, जिनका लाभ मछली पालक ले रहे हैं. इसके अलावा प्रतिबंधित मछलियों को बाजार में आने से रोकने के लिए लगातार निरीक्षण किया जाता है. काफी समय से इस संबंध में कोई शिकायत नहीं मिली है.

वे आगे कहती हैं कि बिगहेड शाकाहारी मछली है, लेकिन ये तालाब में पल रहीं अन्य मछलियों का आहार खा जाती है. जिससे अन्य किस्मों की मछलियां तालाब में जिंदा नहीं रह पातीं. ज्यादा आहार खाने का कारण इसका सिर बड़ा होना बताया जाता है. इसके चलते मछली पालक बिगहेड के उत्पादन से बचते हैं. हालांकि यह मछली दिल्ली तथा आसपास के जिलों से अलीगढ़ पहुंचती है और बाजार में बेची जाती है.

यहां होता है जमकर उत्पादन
प्रियंका आर्य ने कहा कि जिले में 645 हेक्टेयर क्षेत्र में मछली पालन होता है, जिसमें 8500 टन उत्पादन होता है. खैर तहसील मछली उत्पादन के लिए बड़ा क्षेत्र है. यहां से दिल्ली और नोएडा तक मछलियां जाती हैं. इसके अलावा बरौली, अकराबाद, गंगीरी, गभाना, अतरौली में मछली का बड़ा उत्पादन हैं. इन क्षेत्रों में कुछ तालाबों का क्षेत्रफल 200 बीघा तक है.

जिले में एक दर्जन से ज्यादा किस्म की मछलियाें का उत्पादन है, जिनमें पंगेशियस, रोहू, कतला, ग्रास कार्प, सिल्वर कार्प, मृगल, कॉमन कार्प, तिलापिया, शोल, सिंघी शामिल हैं. करई और सिंघाड़ा मछली आसपास के जिलों से आती हैं.

इसकी डिमांड सबसे ज्यादा
अलीगढ़ के रसलगंज में मछली मार्किट के मछली दुकानदार दिलशाद ने बताया कि बाजार में रोहू की डिमांड सबसे ज्यादा रहती है, जिसकी कीमत 200 रुपये प्रति किलो है. कम कीमत की बात करें तो करई मछली 140 रुपये प्रति किलो है. दरअसल केंद्र और प्रदेश की सरकारों ने मछली पालकों के लिए कई योजनाएं चलाई हैं, जिससे मत्स्य उत्पादन को बढ़ावा मिले. इन योजनाओं के तहत मत्स्य पालन करने पर सरकार 40 से 60 प्रतिशत धनराशि पर सब्सिडी देती है.

सर्दी आते ही 70 फीसदी तक बढ़ जाती है डिमांड
मछली विक्रेता दिलशाद का कहना है कि गर्मी के सीजन में मछली की मांग कम रहती है, लेकिन जैसे-जैसे मौसम में ठंडक बढ़ती है मछली का बाजार गरमाने लगता है. रसलगंज मछली बाजार के दुकानदार दिलशाद ने बताया कि हर साल अक्बटूर के बाद से ही मछली की मांग बढ़ जाती है. दिसंबर तक 70 फीसदी तक बाजार उछाल लेता है. उस समय मांग के अनुसार बाजार में माल नहीं होता.

Tags: Aligarh news, Local18, News18 uttar pradesh



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