अहमदाबाद
देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब कच्छ के रेगिस्तान को पर्यटन स्थल के रुप में विकसित किया गया। इसकी जानकारी देश-विदेश तक पहुंचाने के लिए बड़े पैमाने पर विज्ञापन का अभियान भी चलाया गया। तत्कालीन राज्य सरकार को इसमें सफलता भी मिली। कुछ दिन तो गुजारों गुजरात में आम लोगों का तकिया कलाम बन गया था। परन्तु अब कच्छ के इस सफेद रेगिस्तान में पर्यटकों की संख्या में आती जा रही है। गत एक वर्ष के रणोत्सव में देश के पर्यटकों में 15 प्रतिशत तथा विदेश के पर्यटकों में 50 प्रतिशत तक की कमी आयी है। गुजरात सरकार ने एक प्रश्न के उत्तर में यह जानकारी दी है।
गुजरात विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूछे गये सवाल के उत्तर में पर्यटन मंत्री ने कहा कि पहली जानकारी 2018 से 31 दिसम्बर 2018 के दौरान 5,16,544 तथा पहली जनवरी 2019 से 31 दिसम्बर 2019 के दौरान 4,38,125 पर्यटक रणोत्सव में आये। इस प्रकार 2018 की तुलना में 2019 में पर्यटकों की संख्या में की आयी है। पहली जनवरी से 31 दिसम्बर 2019 के एक वर्ष में 2.90 करोड़ की आवक हुई। वहीं 2019 में इसी समय के दौरान 2.10 करोड़ रुपये की आय हुई। पर्यटन विशेषज्ञों की माने तो पर्यटकों की संख्या और आवक में कमी के कई कारण हैं। इसमें टेंट सिटी सहित विविध सुविधाओं के लिए लिया जाने वाला शुल्क कच्छ तक सीधी उड़ान की सुविधा में कमी भी शामिल है। हवाई सेवा कम होने के कारण विदेशी पर्यटक बहुत कम हो गये हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि फ्लाइट की सुविधा और नये आकर्षणों के जरिए देशी तथा विदेशी पर्यटकों की संख्या में इजाफा किया जा सकता है।