बेंगलुरु15 मिनट पहले
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माइनिंग कारोबारी जी. जनार्दन रेड्डी को कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने भाजपा की सदस्यता दिलाई।
कर्नाटक के गंगावती सीट से विधायक और माइनिंग कारोबारी जनार्दन रेड्डी ने लोकसभा चुनाव से पहले अपनी पार्टी कल्याण राज्य प्रगति पक्ष (KRPP) का सोमवार (25 मार्च) को भाजपा में विलय कराया। 1999 से 2022 तक भाजपा में रहे रेड्डी ने 2023 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले ही अपनी पार्टी बनाई थी।
बेंगलुरु में कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने उन्हें सदस्यता दिलाई। इस दौरान रेड्डी ने कहा- यहां आकर ऐसा लग रहा है जैसे मैं अपनी मां की गोद में वापस आ गया हूं। गृह मंत्री अमित शाह ने मुझे दिल्ली बुलाकर कहा था कि बाहर से समर्थन देने के बजाय आपको भाजपा में शामिल होना चाहिए। आपने राजनीतिक जन्म भी भाजपा में ही लिया था। आपको वापस आकर पार्टी को मजबूत करना चाहिए।
रेड्डी ने कहा कि गृहमंत्री शाह के कहने और नरेंद्र मोदी को तीसरी बार भारत का प्रधानमंत्री बनाने के लिए मैं KRPP का भाजपा में विलय करा रहा हूं। मुझे खुशी है कि मुझे कर्नाटक के भाजपा नेताओं के साथ एकबार फिर काम करने का मौका मिलेगा।
रेड्डी दिवंगत भाजपा नेता सुषमा स्वराज के करीबी नेता माने जाते हैं। 2011 में अवैध खनन मामले में वे गिरफ्तार हुए थे, जिसके बाद सुषमा स्वराज ने उनसे दूरी बना ली थी। 2018 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव के समय से रेड्डी ने भी भाजपा से दूरी बना ली थी। करीब दो दशक भाजपा में रहने के बाद उन्होंने 2022 में इस्तीफा दिया था और अपनी पार्टी बनाई थी।
रेड्डी बोले- मैं बिना किसी शर्त के पार्टी में आया हूं
रेड्डी ने कहा- मुझे खुशी है कि अनुभवी नेता येदियुरप्पा के बेटे विजयेंद्र के साथ पार्टी में काम करने का मौका मिला है। मैं विजयेंद्र के नेतृत्व में अन्य नेताओं के साथ एक आम पार्टी कार्यकर्ता के रूप में काम करूंगा। मैं कोई शर्त लेकर इस पार्टी में नहीं आया हूं। पार्टी मुझे जो भी जिम्मेदारी देगी, मैं ईमानदारी से काम करूंगा।
भाजपा हमेशा मेरे खून में थी, लेकिन कुछ कारणों से पिछले साल मैं बाहर चला गया था। अपने भाइयों को यहां देखकर मुझे नहीं लगता कि मैं 13 साल बाद भाजपा कार्यालय लौटा हूं। उधर, येदियुरप्पा के बेटे और कर्नाटक भाजपा के अध्यक्ष विजयेंद्र ने कहा- रेड्डी के शामिल होने से कल्याण कर्नाटक क्षेत्र में भाजपा मजबूत होगी।
पिता कॉन्स्टेबल थे, परिवार आंध्रप्रदेश से कर्नाटक आया
मिडिल क्लास फैमिली में पैदा हुए जनार्दन रेड्डी के पिता पुलिस में कॉन्स्टेबल थे। वे आजादी के बाद आंध्रप्रदेश से बेल्लारी आए थे। जनार्दन के दोनों भाई ग्रेजुएट हैं, लेकिन वो हाईस्कूल तक ही पढ़े हैं। 1990 में ही वे फाइनेंस बिजनेस में एक्टिव हो गए थे और उन्होंने इन्वेस्टमेंट कंपनी बना ली थी।
इसी वक्त उनकी मुलाकात भाजपा नेता श्रीरामुलु से हुई, जो 2018 से 2023 तक कर्नाटक सरकार में ट्रांसपोर्ट और ट्राइबल वेलफेयर मिनिस्टर थे। शुरूआत में रेड्डी बदर्स कांग्रेस में थे, लेकिन 1999 के चुनाव में श्रीरामुलु को कांग्रेस ने टिकट देने से इनकार कर दिया। इसके बाद श्रीरामुलु रेड्डी भाइयों के साथ BJP में शामिल हो गए थे।
सुषमा स्वराज को मां मानते थे जनार्दन रेड्डी
1999 के लोकसभा चुनाव में रेड्डी बंधुओं ने सुषमा स्वराज के लिए प्रचार किया था। कहा जाता है कि सुषमा स्वराज के कहने पर ही वे BJP में आए थे। पार्टी को इसका फायदा भी मिला।
1999 के लोकसभा चुनाव में BJP नेता सुषमा स्वराज ने कर्नाटक के बेल्लारी से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ने का फैसला किया था। सुषमा इस चुनाव में हार गई थीं, लेकिन यहां उन्हें पार्टी के लिए काम करने वाले गली करुणाकर रेड्डी, गली जनार्दन रेड्डी और गली सोमशेखर रेड्डी मिले। इसके बाद से लगातार 10 साल तक हर साल सुषमा बेल्लारी में वारा महालक्ष्मी की पूजा में जाती थीं। रेड्डी ब्रदर्स सुषमा को थाई यानी मां कहते थे।
जेल से लौटकर आए जनार्दन रेड्डी BJP से नाराज थे
कर्नाटक में लोकायुक्त रहे जस्टिस संतोष हेगड़े ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि रेड्डी भाइयों ने अवैध खनन के जरिए देश के 10 बंदरगाहों से चीन को तकरीबन 16,500 करोड़ रुपए का लौह अयस्क गैरकानूनी तरीके से निर्यात किया था। इन आरोपों के बाद सुषमा ने साल 2011 में रेड्डी भाइयों को एक संदेश भेजकर साफ कर दिया कि अब वे उनकी ‘मां’ नहीं हैं।
अवैध माइनिंग केस में जेल काटकर आ चुके जनार्दन रेड्डी से 2018 में ही BJP ने दूरी बना ली थी। तब अमित शाह उनसे नाराज थे। रेड्डी बंधुओं को कर्नाटक में खनन कारोबार का बादशाह कहा जाता है। आंध्रप्रदेश से सटी कर्नाटक बॉर्डर वाले एरिया में अब भी इनका अच्छा खासा प्रभाव बताया जाता है।
ऑपरेशन लोटस से BJP को पहली बार सरकार में लाए थे रेड्डी
जनार्दन रेड्डी ने BJP को कर्नाटक में पहली बार सत्ता दिलाई थी। 2008 में BJP ने 224 में से 110 सीटें जीती थीं। बहुमत के लिए पार्टी को सिर्फ 3 सीटें चाहिए थीं। रेड्डी बंधुओं की मदद से BJP ने कांग्रेस के तीन और JDS के चार विधायकों का इस्तीफा करवा दिया। ये विधायक BJP में शामिल हो गए थे।
उपचुनाव में BJP के 7 में से 5 उम्मीदवार जीत गए और पार्टी का आंकड़ा 115 पर पहुंच गया था। विधायकों को तोड़ने का आरोप रेड्डी ब्रदर्स पर लगा था। 2008 से 2013 तक BJP सत्ता में रही। इस दौरान उसे तीन मुख्यमंत्री बदलने पड़े। इसी दौरान 2011 में उन्हें 16 हजार करोड़ के माइनिंग स्कैम में गिरफ्तार किया गया था। उस वक्त केंद्र में UPA की सरकार थी।
जनार्दन रेड्डी पर अवैध माइनिंग के अलावा करीब 600 करोड़ के पॉन्जी इन्वेस्टमेंट घोटाले का भी आरोप लगा। क्राइम ब्रांच ने उन्हें अरेस्ट किया और तीन साल तक वे जेल में रहे।
आंध्रप्रदेश में भी रेड्डी ब्रदर्स की पकड़
रेड्डी भाइयों की सिर्फ कर्नाटक नहीं, बल्कि आंध्रप्रदेश में भी मजबूत पकड़ रही है। आंध्रप्रेदश के मुख्यमंत्री रहे YSR रेड्डी से उनके काफी अच्छे संबंध थे। 2001 में उन्होंने 10 लाख रुपए लगाकर ओबुलापुरम माइनिंग कंपनी शुरू की थी। इसके बाद से ही वे कर्नाटक-आंध्रप्रदेश में माइनिंग के बिजनेस में एक्टिव थे। 5 साल में उनकी कंपनी का टर्नओवर 3 हजार करोड़ रुपए हो गया था।
2006 में जनार्दन रेड्डी ने पॉलिटिक्स में सीधे तौर पर एंट्री ली थी। तब BJP ने उन्हें कर्नाटक लेजिस्लेटिव काउंसिल में चुना गया था। 2008 में येदियुरप्पा सरकार में जनार्दन अपने दोनों भाइयों और दोस्त श्रीरामुलु के साथ मंत्री बने। मंत्री बनने के एक साल के अंदर ही उन्होंने बेल्लारी में चल रहे माइनिंग के बिजनेस पर पूरी तरह कंट्रोल कर लिया था।