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Friday, August 23, 2024

सचिन तेंदुलकर ने जब स्‍वीकार किया बड़े भाई अजीत का 'बड़ा' चैलेंज, करियर में फिर कभी नहीं कर सके ऐसा

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नई दिल्‍ली. मास्‍टर ब्‍लास्‍टर सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) के टेलैंट को दुनिया के सामने लाने में बड़े भाई अजीत का योगदान किसी से छुपा नहीं है. यह अजीत तेंदुलकर (Ajit Tendulkar) ही थे जिन्‍होंने सबसे पहले सचिन की प्रतिभा को पहचाना था और उन्‍हें कोचिंग के लिए रमाकांत अचरेकर के पास लेकर गए थे. सचिन कई मौकों पर कह चुके हैं कि क्रिकेट जगत वे आज जिस मुकाम पर हैं, अजीत की वजह से हैं. उम्र में सचिन से करीब 10 साल बड़े अजीत भी क्रिकेटर थे और इस खेल में करियर बनाना चाहते थे लेकिन पारिवारिक स्थिति को देखते हुए उन्‍होंने टीचिंग करियर चुना और इंटरनेशनल क्रिकेटर बनने के सपने को पूरा करने में सचिन को भरपूर सहयोग दिया.

सचिन जब छोटी उम्र में बांद्रा की साहित्‍य सहवास कॉलोनी में बैटिंग कर रहे थे तो उनकी बैक लिफ्ट, बैट के स्विंग और जल्‍द बॉल की लेंथ को ‘पढ़’ लेने की क्षमता से अजीत प्रभावित हुए थे. वे सचिन को मशहूर कोच अचरेकर के पास लेकर आए थे. हालांकि पहली बार में सचिन, कोच को प्रभावित नहीं कर सके थे, ऐसे में अजीत ने गुहार करके कोच से सचिन के लिए एक और चांस मांगा था. इसके बाद जो हुआ, वह इतिहास है. अचरेकर के मार्गदर्शन में अपने बैटिंग टेलैंट का निखारते हुए सचिन ने स्‍कूली क्रिकेट और फिर घरेलू क्रिकेट में रनों का अंबार लगाया और टीम इंडिया (Team India) में स्‍थान बनाने में सफल हुए. टीम इंडिया की बैटिंग के आधारस्‍तंभ रहे सचिन के नाम पर आज बल्‍लेबाजी का लगभग हर रिकॉर्ड  है और उन्‍हें भारत ही नहीं, दुनिया के सर्वकालीन महान बैटरों में शुमार किया जाता है. सचिन एक मौके पर कह चुके हैं, ‘मेरे इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने का सपना मैंने और अजीत तेंदुलकर ने मिलकर देखा था. दूसरे शब्‍दों में कहें तो सचिन के लिए अजीत ने भाई के साथ गाइड और दोस्‍त का रोल भी निभाया.’ ऐसे ही एक मौके पर जब सचिन बल्‍ले से नाकामी का सामना कर रहे थे तो अ‍जीत ने सचिन को एक चुनौती देकर उन्‍हें क्षमता का अहसास कराया था.

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मैच जिसमें एक-दूसरे के खिलाफ खेले सचिन और अजीत
अजीत मुंबई के हैरिस शील्ड टूर्नामेंट में भी खेल चुके हैं. एक मौका ऐसा भी आया था जब सचिन और अजीत, दोनों क्रिकेट मैच में एक-दूसरे के खिलाफ खेल रहे थे. इस मैच का जिक्र करते हुए सचिन ने एक इंटरव्‍यू में बताया था कि यह मैच ऐसा था जिसे हम दोनों में से कोई जीतना नहीं चाहता था. एमआईजी क्लब से जुड़ी यादों को ताजा करते हुए मास्‍टर ब्‍लास्‍टर ने बताया था, ‘कई साल पहले की बात है. क्रिकेट में मेरा ग्राफ धीरे-धीरे ऊपर जा रहा था. उस समय एमआईजी में सिंगल विकेट टूर्नामेंट हुआ करता था. उस टूर्नामेंट में मैं खेल रहा था और मेरे साथ अजीत भी खेल रहे थे

.हम दोनों अलग-अलग पूल में थे और दोनों अपने-अपने पूल में आगे बढ़ रहे थे. शायद यही एकमात्र मैच था,जब मैं अजीत के खिलाफ खेला था. हम दोनों ही इसे जीतना नहीं चाहते थे. आखिरकार सेमीफाइनल में हम एक-दूसरे से मिले. मुझे लगता है कि यही एकमात्र मौका है जब हम एक-दूसरे के खिलाफ खेले हैं. अजीत यह मैच हार गए थे.’

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सचिन को सिडनी टेस्‍ट में नॉट आउट रहने की दी थी चुनौती
अजीत क्रिकेट की गहरी समझ रखते हैं. सचिन के इंटरनेशनल क्रिकेटर बनने के बाद भी वे मुश्किल वक्‍त पर सचिन को सलाह देते थे. 2004 में भारतीय टीम के ऑस्‍ट्रेलिया दौरे के शुरुआत टेस्‍ट में सचिन बैट से संघर्ष कर रहे थे. शुरुआती तीन टेस्‍ट की पांच पारियों में मास्‍टर ब्‍लास्‍टर के बल्‍ले से 0, 1, 37, 0 और 44 रन निकले थे और वे आलोचकों के निशाने पर थे. सचिन ऑफ स्‍टंप के बाहर की गेंदों पर संघर्ष करते हुए विकेट गंवा रहे थे. इस मुश्किल वक्‍त पर अजीत ने सचिन के समक्ष सिडनी टेस्‍ट (Sydney Test) में नॉट आउट रहने की चुनौती रखी थी. सचिन ने एक इंटरव्‍यू में बताया था, ‘मुझे अच्‍छी तरह याद हैं, मेरे भाई (अजीत) ने मुझे चेलैंज किया था. उन्‍होंने मुझसे कहा कि चूंकि तुम्‍हें कोई आउट नहीं कर सकता, ऐसे में क्‍या तुम यह चुनौती लेने को तैयार हो कि इस मैच में आउट नहीं होंगे. मैंने कहा-ठीक हैं, मैं यह चुनौती स्‍वीकार कर रहा हूं, कोई बॉलर मुझे आउट नहीं कर पाएगा.’

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पारी में एक भी कवर ड्राइव नहीं लगाया था
‘सचिन ने बताया था, ‘जब मैं इस टेस्‍ट की पहली पारी में बैटिंग के लिए गया तो महसूस किया कि विपक्षी गेंदबाज गेंदों को मुझसे दूर रख रहे थे ताकि मैं ऑफ स्‍टंप के बाहर शॉट खेलूं.’ ऐसे में भाई की चुनौती पर खरा उतरने के लिए सचिन ने ऑफ स्‍टंप के बाहर शॉट लगाने से परहेज किया. उन्‍होंने फैसला किया कि वे अपनी पारी में कवर ड्राइव नहीं लगाएंगे ताकि स्लिप में कैच आउट होने से बच सकें. जनवरी 2004 में सिडनी में हुए इस टेस्‍ट की पहली पारी में सचिन ने नाबाद 241 रन (613 गेंद, 33 चौके) बनाए. मजे की बात है कि इस पारी के दौरान उन्‍होंने एक भी कवर ड्राइव नहीं लगाया था. इस पारी ने सचिन के आत्‍मविश्‍वास को लौटाया और दूसरी पारी में भी उन्‍होंने नाबाद 60 रन (89 गेंद, पांच चौके) का योगदान दिया था. कप्‍तान स्‍टीव वॉ के करियर का यह आखिरी टेस्‍ट मैच था और इसे ऑस्‍ट्रेलिया की खुशकिस्‍मती ही कहा जाएगा कि वह हार से बचते हुए मैच ड्रॉ कराने में सफल रहा.

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एकमात्र टेस्‍ट जिसकी दोनों पारियों में नाट आउट रहे
सिडनी टेस्‍ट, सचिन के करियर के लिहाज से ‘मील का पत्‍थर’ रहा. अपने टेस्‍ट सफर में 2004  के सिडनी टेस्‍ट में ही वे दोनों पारियों में नाबाद रहकर पवेलियन लौटे. इस टेस्‍ट के पहले और इसके बाद, कभी भी वे टेस्‍ट की दोनों पारियों में नाबाद नहीं रहे. 200 टेस्‍ट के अपने लंबे करियर ने सचिन ने 53.78 के औसत से 15 हजार 921 रन (51 शतक) बनाने के अलावा 46 विकेट भी लिए. 463 वनडे में 18 हजार 426 रन व 154 विकेट और एक टी20I में 10 रन व एक विकेट उनके नाम पर दर्ज हैं.

Tags: India vs Australia, On This Day, Sachin tendulkar, Team india



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