बहराइच: उत्तर प्रदेश में कई किसान एक ही खेत में दो फसलें उगाकर अच्छी आमदनी कमा रहे हैं. लेकिन बहराइच के एक अनुभवी किसान ने सहफसली खेती में नई ऊंचाई छू ली है. यह किसान एक ही खेत में दो नहीं, बल्कि तीन फसलें उगाकर डबल से ज्यादा मुनाफा कमा रहा है. पिछले कई वर्षों से यह किसान सहफसली खेती का प्रयोग कर न केवल अपनी आय बढ़ा रहा है, बल्कि दूसरे किसानों को भी प्रेरित कर रहा है.
सहफसली खेती का मतलब है एक ही खेत में एक साथ दो या अधिक फसलें उगाना. इसमें मुख्य फसल की पंक्तियों के बीच जल्दी बढ़ने और पकने वाली सहफसलें बोई जाती हैं. रबी या खरीफ के मौसम में मुख्य फसलों के साथ सहफसलें लगाने से न केवल कुल उत्पादन में वृद्धि होती है, बल्कि विपरीत परिस्थितियों में नुकसान की संभावना भी कम हो जाती है. यह तकनीक किसानों के लिए लागत कम करने और अधिक लाभ कमाने का जरिया बन गई है.
सहफसली खेती करने का सही तरीका
सहफसली खेती में मुख्य फसल और सहफसल का सही चयन करना जरूरी है. दोनों फसलें एक ही जाति की न हों और उनकी पोषक तत्वों की मांग अलग-अलग हो. यह ध्यान रखें कि एक फसल की छाया दूसरी फसल पर न पड़े. सहफसली खेती में से एक फसल दलहनी हो, जैसे मूंग, उड़द, या चना.
किन फसलों की करें सहफसली खेती?
गेहूं के साथ: आलू, मटर, या धनिया.
गन्ना के साथ: तोरिया, राई, मसूर, चना, या अलसी.
रबी मक्का के साथ: धनिया, पत्ता गोभी, या सब्जी मटर.
तीन फसलें, तीन गुना फायदा
बहराइच के इस किसान ने गेहूं, मटर, और धनिया की सहफसली खेती कर दिखाया कि एक ही खेत से कैसे अधिकतम लाभ कमाया जा सकता है. मुख्य फसल गेहूं के साथ मटर और धनिया जैसी सहफसलों को उगाने से खेत का हर हिस्सा उपयोग हो रहा है. इससे न केवल उत्पादन बढ़ा, बल्कि एक ही बार में तीन अलग-अलग फसलों का फायदा मिला.
किसानों के लिए प्रेरणा
सहफसली खेती की इस तकनीक ने बहराइच के इस किसान को नई पहचान दी है. यह तरीका छोटे और सीमांत किसानों के लिए बेहद फायदेमंद है, जो सीमित संसाधनों में अधिक उत्पादन चाहते हैं. अगर सही तरीके से अपनाया जाए, तो सहफसली खेती किसानों की आमदनी को कई गुना बढ़ा सकती है.
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FIRST PUBLISHED : November 19, 2024, 10:23 IST