सदस्यता अभियान राजनीतिक दलों के लिए सामान्य बात है। लेकिन जो बात बीजेपी के ‘सक्रिय सदस्यता’ अभियान को संदिग्ध बना देती है, वह है दादागीरी और छल-कपट। जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह बीजेपी के ‘सक्रिय सदस्य’ बन रहे हों, तो किसी को भी आश्चर्य होगा कि आखिर हो क्या रहा है? क्या ये लोग अब तक बीजेपी के सदस्य नहीं थे? उनके मामले में सदस्यता के ‘नवीनीकरण’ का क्या मतलब है? और फिर इस सब के लिए फोटो सेशन से क्या समझा जाए?
बीजेपी के इस सदस्यता अभियान की अफरातफरी ने लोगों को संदेह का अवसर दे दिया है। बाहरी एजेंसियों, वाणिज्यिक फर्मों, सरकारी कर्मचारियों का इस्तेमाल, रिकॉर्ड संख्या में सदस्य बनाने पर जोर और ऐसी रिपोर्ट कि सदस्य बनने के लिए अच्छा खासा भुगतान हो रहा था, प्रथम दृष्टया सबकुछ संदिग्ध बना देता है। बताया गया कि भावनगर में एक बीजेपी नेता ने कार्यकर्ताओं से प्रत्येक नामांकन, यानी प्रति सदस्य 500 रुपये के इनाम के साथ 100 नए सदस्य लाने के लिए कहा था।