नई दिल्ली. टी20 वर्ल्डकप 2024 (T20 World Cup 2024) के ग्रुप मैचों का दौर खत्म होने के बाद बैटरों ने राहत की सांस ली है. इसकी वाजिब वजह भी है. इन मैचों में बॉलरों का बैटरों पर पूरी तरह दबदबा रहा. करीब 80 फीसदी मैच लो-स्कोरिंग रहे और दिग्गज बैटर भी रनों के लिए संघर्ष करते नजर आए. अमेरिका में हुए मैचों में अनईवन बाउंस वाले विकटों पर कई बैटर चोटिल भी हुए. बहरहाल, यह दौर अब खत्म हो चुका है. टूर्नामेंट के सुपर 8 राउंड (Super 8 matches) से एक बार फिर बैटरों का ‘राज’ कायम होने और बॉलरों के ‘बैकफुट’ पर आने की संभावना है.
इसका कारण यह है कि सुपर 8 राउंड से सारे मुकाबले वेस्टइंडीज के मैदानों पर होंगे जहां के विकेट, अमेरिका की तुलना में अधिक बैटिंग फ्रेंडली हैं. वैसे कैरेबियन द्वीप के धीमे विकेट पर स्पिनर भी अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं. सुपर 8 के सभी 12 मुकाबले तीन ग्राउंड पर आयोजित होंगे, इसमें से दो ग्राउंड-ग्रास आइसलेट और ब्रिजटाउन की पिच बैटरों के लिए मददगार हैं.मौजूदा टूर्नामेंट में अब तक तीन बार 200+ का स्कोर बना हैं और दो बार ग्रास आइसलेट व एक बार ब्रिजटाउन इसका गवाह बना है. इन दोनों मैदानों के अलावा नॉर्थ साउंड पर भी सुपर 8 मैच आयोजित होने हैं. सुपर 8 का आगाज आज दक्षिण अफ्रीका-अमेरिका मैच (ग्रुप 2) से होगा. भारतीय टीम को इस राउंड में अपना पहला मैच गुरुवार को अफगानिस्तान के खिलाफ ब्रिजटाउन में खेलना है.
टी20 वर्ल्डकप में इस बार सबसे कम रहा रन रेट
टी20 वर्ल्डकप 2024 के ग्रुप दौर की बात करें तो बॉलरों के ‘डॉमिनेशन’ के बीच यह राउंड क्रिकेटप्रेमियों को मजा नहीं दे सका. टी20 मैचों में चौकों-छक्के देखने के आदी हो चुके फैंस को इस टूर्नामेंट ने अब तक निराश ही किया है. ग्रुप दौर में 37 मैच हो सके, तीन बारिश की भेंट चढ़ गए. इन 37 मैचों में रन रेट 6.71 का रहा जो कि अब तक का न्यूनतम है. इससे पहले कोरोना के के साये तले हुए 2021 के एडिशन में 7.43 के औसत से रन बने थे. मौजूदा वर्ल्डकप में गेंद के बैट पर दबदबे को इसी बात से समझा जा सकता है कि किसी मैच में बॉलर के खिलाफ 50 से अधिक रन नहीं बने. सबसे महंगा बॉलिंग विश्लेषण नीदरलैंड्स के लोगान वान बीक का रहा जिन्होंने श्रीलंका के खिलाफ चार ओवर के स्पैल में 45 रन दिए. रनों के इस ‘ सूखे’ के बीच कोई भी बैटर अब तक शतक नहीं बना सका है. यहीं नहीं, अब तक केवल 16 अर्धशतक लगे हैं जो औसतन हर दो मैच में एक से कुछ अधिक है.
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पावर प्ले में नहीं दिखा ‘पावर’, टॉप 3 बैटर करते रहे संघर्ष
टी20 और वनडे फॉर्मेट में पावरप्ले यानी रन ‘कूटने’ के ओवर लेकिन इस दौरान भी चंद मैचों को छोड़ ज्यादातर समय बैटर रनों के लिए संघर्ष करते रहे. टॉप 3 बैटर किसी भी टीम के आधारस्तंभ होते हैं और उन पर पारी की बुनियाद रखने और ज्यादातर रन जुटाने का दारोमदार होता है लेकिन यह धारणा भी इस वर्ल्डकप में टूटती दिखी. इस टूर्नामेंट में टॉप 3 बैटरों का औसत 18.19 और स्ट्राइक रेट 110.44 का रहा जो अब तक का सबसे कम है. इससे पहले 2010 के टी20 वर्ल्डकप में टॉप 3 बैटरों का औसत 23.73 और स्ट्राइक रेट 119.66 का था. संयोग की बात यह है कि इस वर्ल्डकप का मेजबान भी वेस्टइंडीज था.
ग्रुप मैचों तक ही 38 मेडन ओवर
गेंदबाजों के वर्चस्व वाले इस वर्ल्डकप में ग्रुप राउंड तक ही 38 मेडन ओवर फेंके जा चुके हैं जो इससे पहले किसी एक वर्ल्डकप में फेंके गए मेडन ओवर की संख्या के दोगुनी से कुछ कम है. इससे पहले 2012 के वर्ल्डकप के 27 मैचों में 21 मेडन ओवर फेंके गए थे. सबसे कम मेडन ओवर (5) इंग्लैंड में 2009 वर्ल्डकप के 27 मैचों में फेंके गए थे. टी20 वर्ल्डकप के इस एडिशन में सर्वाधिक 20 टीमें हिस्सा ले रही हैं, ऐसे में स्वाभाविक रूप से मैचों की संख्या बढ़ी है.
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टूर्नामेंट के टॉप 10 स्कोर में से 8 कैरेबियन मैदानों पर बने
ग्रुप राउंड में अमेरिका के तीन मैदानों (न्यूयॉर्क, डलास और फ्लोरिडा) पर हुए 13 मैचों में तेज गेंदबाजों का दबदबा रहा. उन्होंने कुल गिरे विकेटों में से 125 अपने नाम किए जबकि स्पिनर्स के खाते में 34 विकेट आए. इस दौरान तेज गेंदबाजों का औसत 17.50 और इकोनॉमी 5.94 की रही जबकि स्पिन गेंदबाजों का औसत 24.79 और इकोनॉमी 6.86 की. वेस्टइंडीज में हुए मैदानों पर स्पिनरों के लिए स्थिति कुछ अधिक अनूकूल मानी जा सकती हैं. बेशक कैरेबियन द्वीप पर हुए मैचों में तेज गेंदबाजों ने स्पिनरों से ज्यादा विकेट लिए हैं लेकिन यह फर्क अमेरिकी मैदानों जैसा नहीं है. तेज गेंदबाजों ने यहां ग्रुप मैचों में 181 और स्पिनरों ने 116 विकेट लिए. इस दौरान इकोनॉमी में स्पिनर ने तेज गेंदबाजों से बेहतर परफॉर्म किया. तेज गेंदबाजों का औसत 17.52 और इकोनॉमी 6.87 की रही जबकि स्पिनर्स का औसत 19.46 और इकोनॉमी 6.61 की. सुपर 8 राउंड से मुकाबलों में बैटरों का दबदबा बढ़ने की संभावना इसलिए भी बढ़ी है क्योंकि टूर्नामेंट में अब तक बने टॉप 10 स्कोर्स में से 8 कैरेबियन द्वीप के मैदानों पर बने हैं.
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बैटरों के लिए आया ‘बाजू खोलने’ का समय
बहरहाल, सुपर 8 मैचों के साथ ही बैटरों के लिए ‘बाजू खोलने’ का समय आ गया है. इस बात की पूरी उम्मीद है कि वेस्टइंडीज में होने वाले आगे के मैचों में ‘स्पोटिंग’ विकेट पर फैंस को बराबरी का मुकाबला देखने को मिलेगा. बैट और बल्ले की इस ‘जंग’ में खेलकौशल के धनी बैटर डॉमिनेट कर सकते हैं. एक समय वेस्टइंडीज के ज्यादातर विकेट तेज गेंदबाजों के लिए मददगार थे लेकिन अब ये धीमे होकर स्पिन गेंदबाजों को मददगार हैं. ऐसे में रिस्ट स्पिनर का रोल महत्वपूर्ण हो सकता है.संभावना यही है कि आने वाले मैचों में बैटर ‘डिसाइडिंग रोल’ में होगें और चौके-छक्के देखने को बेताब फैंस को ‘रन वर्षा’ देखने को मिलेगी.
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FIRST PUBLISHED : June 19, 2024, 15:15 IST