7.5 C
Munich
Friday, September 13, 2024

नीतीश चाहते हैं बिहार को मिले 30 हजार करोड़, नायडू भी अड़े; बजट पर दबाव में मोदी सरकार

Must read


ऐप पर पढ़ें

केंद्र सरकार आगामी 23 जुलाई को संसद में वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए बजट पेश करेगी। इस बजट को जारी करने से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सामने सरकारी कर्ज पर अंकुश लगाते हुए सभी राज्यों की सरकार की मांगों को संतुलित करना होगा। जानकारों के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ केंद्र में सरकार में शामिल नीतीश कुमार बिहार में परियोजनाओं के लिए मदद के लिए केंद्रीय बजट से 30,000 करोड़ रुपये की मांग कर रही है। यह गठबंधन सरकार के लिए एक परीक्षा साबित हो सकती है। मामले से जुड़े लोगों ने बताया कि जनता दल (यूनाइटेड) के नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार ने पिछले महीने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बजट-पूर्व बैठक के दौरान यह मुद्दा उठाया था।

इकॉनामिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार को बिहार से इस संबंध में अनुरोध प्राप्त हुआ है, लेकिन अभी तक यह तय नहीं किया गया है कि इस साल राज्य को कितना बजट आवंटित किया जाएगा। ब्लूमबर्ग न्यूज़ ने पिछले सप्ताह के रिपोर्ट की माने तो केंद्र की गठबंधन सरकार में मोदी के सबसे बड़े साथी- तेलुगु देशम पार्टी के एन चंद्रबाबू नायडू ने भी भारी रकम की मांग की है। टीडीपी ने आंध्र प्रदेश के लिए अगले कुछ सालों में 12 बिलियन डॉलर से अधिक की सहायता के लिए अनुरोध किया है। दोनों गठबंधन दलों की मांगों को मिला दे तो यह सरकार के वार्षिक खाद्य सब्सिडी बजट 2.2 ट्रिलियन रुपये के आधे से भी ज्यादा के बराबर हैं। इससे यह साफ पता चलता है कि मोदी पर राजकोषीय दबाव बढ़ गया है।

पीएम पर अपने साथियों की मांगों के साथ साथ सरकारी लोन में कमी ला कर संतुलन बनाने का भी दबाव है। हालांकि रिजर्व बैंक द्वारा सरकार को इस बार रिकॉर्ड मुनाफा देने और टैक्स कलेक्शन में वृद्धि के बाद इस साल के बजट में सरकार के पास कुछ छूट है। हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में बीजेपी पूर्ण बहुमत का आंकड़ा नहीं छू सकी और सरकार बनाने के लिए जदयू और टीडीपी के समर्थन पर निर्भर है। बीजेपी के दोनों सहयोगी चाहते हैं कि केंद्र सरकार उन्हें अपने राज्यों में अधिक उधार लेने की इजाजत दे। वित्तीय नियमों के अनुसार राज्यों को अपने उधार को क्षेत्र के सकल घरेलू उत्पाद के 3% तक सीमित रखना चाहिए। जैसा कि परिचित लोगों ने बताया बिहार ने इस सीमा में बिना किसी शर्त के अतिरिक्त 1% की छूट मांगी है, जबकि आंध्र प्रदेश ने 0.5% की छूट मांगी है।

क्या हैं बिहार की मुख्य मांगे

नीतीश कुमार की मांगों में नौ हवाई अड्डों, चार नई मेट्रो लाइनों और सात मेडिकल कॉलेजों के निर्माण के लिए मौजूदा बजट में प्रावधान शामिल है। इसके अलावा 200 बिलियन रुपये के थर्मल पावर प्लांट की स्थापना के लिए राशि और 20,000 किलोमीटर से अधिक सड़कों की मरम्मत के काम के लिए भी केंद्र से मदद मांगी गई है। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बिहार ने विशेष श्रेणी का दर्जा भी मांगा है। इससे राज्य को केंद्र सरकार से राशि जुटाने और टैक्स में छूट भी मिलेगी। हालांकि इस मामले पर वित्त मंत्रालय का कोई बयान नहीं आया है।

आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं बिहार और आंध्र प्रदेश

बिहार और आंध्र प्रदेश दोनों राज्य फिलहाल आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं, जिससे विकास परियोजनाओं पर खर्च करने की उनकी क्षमता कम हो रही है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वेतन, पेंशन और ब्याज भुगतान पर बिहार का खर्च राज्य की राजस्व आय का 40% से अधिक है। पूर्वोत्तर राज्य देश के सबसे गरीब राज्यों में से एक है, जहां प्रति व्यक्ति आय 2023 वित्तीय वर्ष में लगभग 59,000 रुपये होने का अनुमान है, जो राष्ट्रीय औसत के आधे से भी कम है।



Source link

- Advertisement -spot_img

More articles

- Advertisement -spot_img

Latest article