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Lok Sabha Chunav News: लोकसभा चुनाव में बीजेपी को लगे झटके की जन सुराज के प्रमुख प्रशांत किशोर (पीके) ने वजह बताई है। साथ ही, यह भी बताया है कि बीजेपी का ग्राफ गिरने के पीछे कौन जिम्मेदार है। प्रशांत किशोर ने कहा कि वह (बीजेपी) मानते रहे कि हम तो जीतेंगे ही जीतेंगे। बीजेपी के 208 पुराने सांसद जीतकर आए हैं, लेकिन हारे वे हैं जहां पर बिना उम्मीदवार देखे किसी को भी टिकट दे दिया गया। पश्चिम बंगाल, बिहार आदि में जिस तरह के कैंडिडेट दिए गए, उसकी वजह से उनकी हार हो गई। बीजेपी को पता था और उनके इंटरनल सर्वे में भी सामने आया था कि कौन से कैंडिडेट हार रहे हैं, लेकिन बिना चिंता करते हुए कहा कि पीएम मोदी की रैली होगी तो जीत हो जाएगी। कई ऐसी सीटें हैं, जहां पर बीजेपी ने सर्वे के खिलाफ जाकर टिकट दिया।
आम चुनाव के नतीजों के बाद इंडिया टुडे से बात करते हुए पूर्व चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने उस वजह के बारे में भी बताया, जिसकी वजह से बीजेपी को नुकसान हुआ। प्रशांत किशोर ने कहा, ”पहला जिसने भी नारा लिखा- 400 पार। इसमें कुछ गलत नहीं था, लेकिन यह आधा नारा था। 400 पार तो है, लेकिन किस लिए? उन्होंने वजह नहीं बताई। 2014 में नारा लिखा गया था कि बहुत हुई महंगाई की मार, अबकी मोदी सरकार। उस समय इसकी वजह थी कि क्यों मोदी सरकार, क्योंकि महंगाई को कम करना है। इस बार आपने कहा कि 400 पार। इससे कुछ लोगों को लगा कि यह एरोगेंस है। वहीं कुछ को लगा कि यह कॉन्सपिरेंसी है, जिसको विपक्ष ने भुनाया कि ये संविधान बदल देंगे।”
प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि जिसने भी बीजेपी का 400 पार वाला नारा लिखा, सबसे बड़ी गलती वहीं हुई। जब यह 400 पार का नारा आया तो बीजेपी के कुछ नेताओं ने कह दिया कि संविधान बदलने के लिए 400 पार चाहिए। इसने हर जगह बीजेपी केा नुकसान पहुंचाया। वहीं, बीजेपी की कमजोर कड़ी क्या है, इस सवाल पर पीके ने जवाब दिया कि मोदी पर अत्यधिक निर्भरता है। इसमें ऐसा हुआ कि जो बीजेपी का कार्यकर्ता था, उसने कहा कि 400 सीटें तो आ ही रही हैं, मुझे अपने कैंडिडेट को सबक सिखाना है। बिहार में जैसे आरके सिंह के बारे में जब आप किसी से भी बात करेंगे तो वे कहेंगे कि इन्होंने बहुत अच्छा काम किया है, लेकिन कार्यकर्ता नाराज थे कि उन्हें भाव नहीं देते। बीजेपी समर्थकों को लगता था कि 400 पार तो हो ही रहा है, तो क्या करना है।
जन सुराज के प्रमुख प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि इसके विपरीत जो बीजेपी और पीएम मोदी का विरोध कर रहे थे, उनके पास एक उद्देश्य था कि हमें इन्हें (बीजेपी) रोकना है, चाहे किसी भी तरह से। उदाहरण के तौर पर वाराणसी सीट पर पीएम मोदी का वोट शेयर साल 2014 के मुकाबले सिर्फ दो फीसदी ही कम हुआ, लेकिन जीत का मार्जिन काफी नीचे आ गया, क्योंकि विपक्ष का वोट फीसदी 20 फीसदी से 41 फीसदी पर पहुंच गया। लोगों को पता था कि जो हरा रहा है, उन्हें ही वोट देना है। बता दें कि वाराणसी से पीएम मोदी ने कांग्रेस और सपा वाले इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार अजय राय को डेढ़ लाख वोटों से हराया है, जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी ने लगभग चार लाख 80 हजार वोटों से जीत दर्ज की थी।