कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर उनकी भाषा को लेकर हमला बोला है और कहा है कि वह सिर्फ हिन्दू-मुसलमान करते हैं और देश में विभाजनकारी ताकतों को बल देते हैं। रमेश ने कहा कि मौजूदा चुनावों में मोदी नाम की कोई लहर नहीं है बल्कि उनकी भाषा में सिर्फ जगह है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मोदी जी कन्फ्यूज हैं। वह अपने भाषणों में कभी हिन्दू-मुस्लिम, तो कभी मुस्लिम लीग और मंगल सूत्र की बात करते हैं, जबकि कांग्रेस किसानों, युवाओं, मजदूरों, महिलाओं और पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए पंच न्याय की बात करती है।
रमेश ने कहा कि उनकी पार्टी और उनके गठबंधन के सहयोगी दल मौजूदा चुनाव देश में संविधान को बचाने के लिए लड़ रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा भाजपा सरकार के खिलाफ किसानों, युवाओं, मजदूरों, महिलाओं और पिछड़े वर्गों में व्यापक असंतोष है। उन्होंने कहा, ”उन्हें एहसास हो गया है कि किसान, युवा, मजदूर, महिलाएं और पिछड़े वर्ग उनसे नाराज हैं।”
इससे पहले जयराम रमेश ने वाराणसी में पीएम मोदी के नामांकन दाखिल करने से पहले सोशल मीडिया एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर उनसे कई सवाल पूछे। रमेश ने लिखा, “निवर्तमान प्रधानमंत्री को वाराणसी में अपनी विफलताओं पर जवाब देना चाहिए। 20,000 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद गंगा और भी अधिक मैली क्यों हो गई ? प्रधानमंत्री ने वाराणसी के उन गांवों को उनके हाल पर क्यों छोड़ दिया, जिन्हें उन्होंने “गोद लिया” था? प्रधानमंत्री वाराणसी में महात्मा गांधी की विरासत को नष्ट करने पर क्यों तुले हुए हैं?”
उन्होंने कहा, “2014 में जब नरेन्द्र मोदी वाराणसी आए थे तब उन्होंने कहा था कि ” मुझे मां गंगा ने बुलाया है।” उन्होंने पवित्र गंगा को साफ करने का वादा किया। सत्ता में आने के तुरंत बाद, उन्होंने पहले से चल रहे मिशन गंगा को नमामि गंगे नाम दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने गंगा के प्राकृतिक प्रवाह को बहाल करने के उद्देश्य को पूरी तरह से त्याग दिया है।”
रमेश ने कहा, “मनमोहन सिंह सरकार ने गंगा पर राज्य और केंद्र सरकार की पहल के समन्वय के लिए 2009 में राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण की स्थापना की थी। इस महत्वपूर्ण संस्थान को भी प्रधानमंत्री ने पहले राष्ट्रीय गंगा नदी परिषद का नाम दिया और फ़िर 10 वर्षों के लिए इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। “
कांग्रेस महासचिव ने कहा, “अंत में सात आईआईटी का एक संघ साथ आया और गंगा नदी बेसिन की सुरक्षा और कायाकल्प के लिए एक गंगा नदी बेसिन कार्य योजना की सिफ़ारिश की।” उन्होंने दावा किया कि कई खंडों की अंतिम रिपोर्ट मोदी सरकार को सौंपी गई लेकिन इस रिपोर्ट पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि पिछली सरकारों के काम को आगे बढ़ाने और विशेषज्ञों की राय को सुनने के बजाय, प्रधानमंत्री ने अपने प्रयासों को नए सिरे से शुरू करने में करोड़ों रुपए ख़र्च किए। रमेश ने आरोप लगाया, “पिछले दस वर्षों में इस पर 20,000 करोड़ रुपए ख़र्च किए गए हैं, जिसमें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन सामने आया है।” (भाषा इनपुट्स के साथ)