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Thursday, December 26, 2024

हम ना लाचार, ना निर्भर: बंगाल गवर्नर को स्पीकर ने किया दरकिनार; बुलाया विधानसभा का विशेष सत्र

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West Bengal Politics: तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नवनिर्वाचित दो विधायकों के शपथ ग्रहण को लेकर चल रहे गतिरोध के बीच विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने बृहस्पतिवार को पश्चिम बंगाल विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया। उन्होंने कहा कि सदन का कामकाज पूरी तरह से राज्यपाल पर निर्भर नहीं है। पत्रकारों से बातचीत में बनर्जी ने कहा कि शुक्रवार दोपहर को कार्य मंत्रणा समिति की बैठक होगी, जिसमें सत्र की अवधि पर फैसला किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘विशेष सत्र शुक्रवार अपराह्न दो बजे से शुरू होगा।’’

बनर्जी ने कहा, ‘‘अगर कोई सोचता है कि हम असहाय हैं, तो वह (पुरुष/महिला) गलत है। विधानसभा असहाय नहीं है और सब कुछ राज्यपाल के हाथ में नहीं है। आप हम पर अपनी बात थोप नहीं सकते। नियम, कानून और संवैधानिक मानदंड है। हम सभी को उनका पालन करना होगा।’’

तृणमूल कांग्रेस के दो नवनिर्वाचित विधायकों ने बृहस्पतिवार को छठे दिन भी पश्चिम बंगाल विधानसभा परिसर में धरना दिया। उन्होंने मांग की है कि उन्हें राजभवन के बजाय सदन में शपथ दिलाई जाए। राज्यपाल सी. वी. आनंद बोस ने उन्हें राजभवन में शपथ के लिए आमंत्रित किया था।

बारानगर विधायक सायंतिका बंद्योपाध्याय और भागबंगोला विधायक रयात हुसैन सरकार ने 27 जून को धरना शुरू किया जो चार जुलाई को भी जारी रहा। विधानसभा उपचुनाव जीतने के बावजूद शपथ ग्रहण प्रक्रिया लंबित होने के कारण उन्होंने अभी तक निर्वाचित प्रतिनिधियों के रूप में अपनी भूमिका नहीं निभाई है।

पूर्व में इस मामले में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से हस्तक्षेप की मांग करने वाले विधानसभा अध्यक्ष ने शुक्रवार को राज्यपाल पर इसे दंभ की लड़ाई बनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘‘राज्यपाल जानबूझकर गतिरोध पैदा कर रहे हैं। उन्होंने इसे अहंकार की लड़ाई में बदल दिया है। इस मामले को सुलझाया जाना चाहिए ताकि विधायक शपथ ले सकें।’’

बंद्योपाध्याय और विधायक सरकार ने विधानसभा परिसर में बी. आर. अंबेडकर की प्रतिमा के पास ‘‘हम राज्यपाल का इंतजार कर रहे हैं।’’ लिखी तख्तियां लिए फिर से धरना शुरू किया। लोकसभा चुनाव के साथ हुए विधानसभा उप चुनाव में दोनों विधायक निर्वाचित हुए थे, लेकिन उन्होंने राजभवन में शपथ लेने से इनकार कर दिया है। राज्यपाल ने उन्हें पिछले बुधवार को राजभवन में शपथ लेने के लिए आमंत्रित किया था, जिसे उन्होंने मानदंडों का हवाला देते हुए अस्वीकार कर दिया था।



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