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Monday, October 7, 2024

एससी एसटी आरक्षण में ‘क्रीमी लेयर’ का भारी विरोध, NDA के सहयोगी ही कर रहे मना; अठावले की दो टूक

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केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने शुक्रवार को अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के लिए आरक्षण में “क्रीमी लेयर” मानदंड लागू करने के किसी भी कदम का विरोध किया। क्रीमी लेयर का तात्पर्य आरक्षित श्रेणियों के व्यक्तियों के एक वर्ग से है जो सामाजिक और आर्थिक रूप से बेहतर हैं। वर्तमान में क्रीमी लेयर की अवधारणा केवल ओबीसी के आरक्षण पर लागू है।

अठावले की पार्टी भाजपा नीत केंद्र के सत्ताधारी एनडीए गठबंधन का हिस्सा है। उन्होंने कहा, “एससी/एसटी के लिए आरक्षण जाति पर आधारित है। रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) एससी और एसटी के लिए आरक्षण में क्रीमी लेयर के मानदंड लागू करने के किसी भी कदम का कड़ा विरोध करेगी।”

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बता दें कि प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने एक के मुकाबले छह मतों के बहुमत से फैसला दिया कि राज्यों को अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) का उप-वर्गीकरण करने की अनुमति दी जा सकती है ताकि इन समूहों के भीतर अधिक पिछड़ी जातियों को कोटा प्रदान करना सुनिश्चित किया जा सके। इस फैसले का समर्थन करने वाले छह न्यायाधीशों में से चार ने अलग-अलग फैसले लिखे, जिसमें क्रीमी लेयर को आरक्षण लाभ से बाहर रखने का सुझाव दिया गया।

हालांकि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री अठावले ने स्वीकार किया कि राज्यों को एससी/एसटी को उप-वर्गीकृत करने की अनुमति देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से इन समूहों में अधिक पिछड़ी जातियों के लिए न्याय सुनिश्चित होगा। उन्होंने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और सामान्य वर्ग के सदस्यों के लिए भी इसी तरह के उप-वर्गीकरण की मांग की।

अठावले ने कहा कि देश में 1,200 अनुसूचित जातियां हैं, जिनमें से 59 महाराष्ट्र में हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, महाराष्ट्र सरकार को अनुसूचित जातियों का अध्ययन करने और उन्हें ए, बी, सी और डी श्रेणियों में उप-वर्गीकृत करने के लिए एक आयोग की स्थापना करनी चाहिए। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस कदम से एससी श्रेणी के भीतर सभी जातियों के लिए न्याय सुनिश्चित होगा।



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