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लोकसभा चुनाव से कुछ हफ्ते भर पहले कच्चाथीवु मुद्दे पर देश में सियासत गर्मा गई है। रविवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस को जमकर निशाने पर लिया। जवाब में कांग्रेस ने भी तमिलनाडु में बड़ी हार से बचने के लिए इसे भाजपा का हथकंडा बताया। अब विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने इस मुद्दे पर कांग्रेस और डीएमके को लपेटे में लिया है। जयशंकर ने जोर देकर कहा कि यह मुद्दा अचानक से नहीं आया, बल्कि इस पर सरकार का लगातार ध्यान है। जयशंकर ने कहा कि हम यह जानते हैं कि ऐसा किसने किया, लेकिन इस बात को इतने वर्षों तक किसने छिपाकर रखा। जनता को जानने का हक है कि आखिर ऐसी स्थिति कैसे उत्पन्न हुई?
रामेश्वरम के पास स्थित वीरान द्वीप कच्चाथीवू को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच राजनीति गर्म है। रविवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर देश की अखंडता को खतरे में डालने का आरोप लगाया। कांग्रेस की तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार पर आरोप है कि 1974 में भारत और श्रीलंका के बीच ऐसा समझौता हुआ जिसमें कांग्रेस सरकार ने कच्चाथीवू द्वीप श्रीलंका के हवाले कर दिया। जयशंकर का आरोप है कि यह सिर्फ एक वीरान और समुद्री जल से घिरे द्वीप का मुद्दा नहीं है। जबसे इस द्वीप को श्रीलंका के हवाले किया गया, तभी से मछुआरों की एंट्री बैन हुई।
दिल्ली स्थित भाजपा कार्यालय में जयशंकर ने प्रेस कांफ्रेंस में कांग्रेस और डीएमके सरकार पर तमिलनाडु राज्य के लोगों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया है। जयशंकर ने आगे कहा, “हम यह जानते हैं कि यह सब किसने किया है लेकिन, हम यह नहीं जानते कि ऐसा किसने छिपाया। हमारा यह मानना है कि जनता को यह अधिकार है कि ऐसी स्थिति कैसे उत्पन्न हुई।”
जीवंत मुद्दा है कच्चाथीवू
जयशंकर ने कांग्रेस के उन आरोपों को खारिज किया कि यह मुद्दा जानबूझकर लोकसभा चुनाव से पहले उठाया गया है। विदेश मंत्री ने कहा कि कच्चाथीवू का मुद्दा एक जीवंत मुद्दा है और संसद के अलावा तमिलनाडु विधानसभा में भी इस मुद्दे को उठाया जा चुका है।