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डोकलाम विवाद के बाद लगातार भारत और चीन के संबंध काफी खराब रहे हैं। हालांकि, राहुल गांधी इस मुद्दे पर नरेंद्र मोदी सरकार को घेरते रहे हैं। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी तीखा पलटवार किया है। उन्होंने चीनी दूतों के साथ बैठकें करने का आरोप लगाते हुए राहुल गांधी पर कटाक्ष किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता को पड़ोसी देश के बारे में अतिरिक्त समझ रखनी चाहिए। जयशंकर ने कहा, “राहुल चीन को इतना महत्व देते हैं कि वह चीनी दूत के साथ गुप्त बैठकें करते हैं। इन बैठकों से उन्हें कुछ अतिरिक्त समझ होनी चाहिए।”
इससे पहले राहुल ने कहा था कि जयशंकर को चीन के साथ द्विपक्षीय मुद्दों की कोई समझ नहीं है। आपको बता दें कि शुरू में कांग्रेस ने बैठक की पुष्टि नहीं की थी, लेकिन चीनी दूतावास ने अपने दूत के साथ राहुल की एक तस्वीर जारी की थी।
पीएम ने यूक्रेन में रुकवाई थी गोलीबारी
टाइम्स नाउ को दिए एक इंटरव्यू में जयशंकर ने इस चर्चा की पुष्टि की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वास्तव में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से युद्ध ग्रस्त यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों की सुरक्षित वापसी के लिए रूसी सेना से गोलाबारी रोकने के लिए कहा था। जयशंकर ने कहा, “सबसे पहले 5 मार्च को खार्किव में ऐसा किया गया था। हमारे छात्र सुरक्षित क्षेत्र की ओर जा रहे थे। भारी गोलाबारी हो रही थी। हमारे प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति पुतिन को फोन किया और उनसे हमारे छात्रों के लिए रास्ता बनाने के लिए गोलाबारी रोकने के लिए कहा। पीएम के अनुरोध पर रूसी सेना ने गोलाबारी रोक दी और हमारे छात्र 8 मार्च को सुरक्षित क्षेत्र में पहुंच सके।”
जयशंकर ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में, जहां तक दुनिया में भारत की छवि और प्रतिष्ठा का सवाल है, देश ने नई ऊंचाइयों को छुआ है। उन्होंने कहा, “सिर्फ एक नहीं बल्कि इसके कई कारण हैं। एक कारण यह है कि हर देश अपने नेता की छवि से जाना जाता है। हम भाग्यशाली हैं कि मोदी दुनिया भर में भारत की कहानी के बारे में बोलने में बहुत सक्रिय रहे हैं और इससे हमें फायदा हुआ है।”
जयशंकर ने कहा कि चीनसे निपटने में कांग्रेस सरकार की गलतियों के परिणामस्वरूप 1962 में चीन ने भारतीय क्षेत्र पर हमला किया और कब्जा कर लिया। जयशंकर ने ककहा, ”नेहरू जब चीन को लेकर अपनी नीति बना रहे थे, तो सरदार पटेल ने उनका विरोध किया था। नेहरू कैबिनेट के कई मंत्रियों ने उनका विरोध किया था। बाद में जब अक्साई चिन रोड बनाई गई, संसद में चर्चाएं हुईं। नेहरू की विदेश नीति पर कई चर्चाएं हुईं।”