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गुजरात से चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां एक होम्यापैथ ने ना तो कोई क्लास ली और ना ही कोई एग्जाम दिया, फिर उसे एमबीबीएस की डिग्री मिल गई वो भी एक महीने के अंदर। बताया जा रहा है कि इसके लिए डॉक्टर ने उत्तर प्रदेश की एक यूनिवर्सिटी को 16 लाख रुपए दिए। पैसे देने के एक महीने के अंदर शख्स को एमबीबीएस की डिग्री समेत सभी सर्टिफिकेट मिल गए। बाद में इन डिग्री की जब जांच की गई तो यह फर्जी निकली।
होम्यापैथ की पहचान मेहसाणा के रहने वाले सुरेश पटेल के तौर पर हुई है। साल 2019 में जांच में उनकी डिग्री फर्जी निकली तो उन्होंने पुलिस में शिकायत की लेकिन इसकी एफआईआर लगभग पांच साल बाद यानी 14 जून को दर्ज हुई। जानकारी के मुताबिक जुलाई 2018 में, सुरेश पटेल मेडिकल में उच्च शिक्षा के बारे में इंटरनेट पर सर्फिंग कर रहे थे, तभी उनकी नज़र ऑल इंडिया अल्टरनेटिव मेडिकल काउंसिल नाम से एमबीबीएस की डिग्री की पेशकश करने वाली एक वेबसाइट पर पड़ी और उन्होंने संपर्क व्यक्ति डॉ. प्रेम कुमार राजपूत को फोन किया। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक सुरेश पटेल ने बताया कि राजपूत ने उसे कहा कि उसे कक्षा 12वी के मार्क्स के आधार पर ही एमबीबीएस कि डिग्री मिल जाएगी। मुझे उन पर कुछ शक हुआ लेकिन उन्होंने मुझे आश्वासन दिया कि सब कुछ कानूनी होगा।
8 महीनों में 16 लाख का भुगतान
राजपूत ने पटेल से कहा कि वह इंटर्नशिप करेंगे, परीक्षा देंगे और पांच साल में डिग्री हासिल करेंगे। इसके बाद पटेल ने उनकी बात पर विश्वास करते हुए 50 हजार रुपए दे दिए। पैसे देने के बाद उन्हें झांसी की बुंदेलखंड यूनिर्सिटी से एडमिशन लेटर मिला। उन्होंने बताया कि राजपूत ने उनसे लगभग 25 बार बात की और आश्वासन दिया कि 3 और डॉक्टर उनका एमबीबीएस का कोर्स पूरा कराने में उनकी मदद करेंगे। इसके बाद राजपूत के कहने पर पटेल ने 10 जुलाई 2018 से लेकर 23 फरवरी 2019 तक 16.32 लाख रुपए दिए क्लास शुरू होने का इंतजार करने लगे। लेकिन क्सास कभी शुरू ही नहीं हुई।
मार्च 2019 में उन्हें एक पैकेज मिला जिसमें उनके नाम पर एमबीबीएस की मार्कशीट, एक डिग्री सर्टिफिकेट, इंटर्नशिप ट्रेनिंग सर्टिफिकेट और एक रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट था। सभी पर मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया का स्टैंप था। पटेल ने एमसीआई से संपर्क किया तो पता चला कि उनके साथ धोखाधड़ी हुई है। इसके बाद उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। बाद में यह मामला अहमदाबाद क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर कर दिया गया। पटेल ने कहा, 2019 में, मैं मेहसाणा पुलिस टीम के साथ दिल्ली गया, जहां डॉ. आनंद कुमार रहते थे और संगठन चलाते थे, लेकिन उनके पते पर कोई नहीं था। बाद में हम दिल्ली के एक प्राइवेट बैंक की ब्रांच में गए तो पता चला कि आरोपी ने कई और लोगों को धोखा दिया था। इसके बाद जांच ठंडी पड़ गई और आरोपियों का कभी पता नहीं चल सका। इस बीच, पटेल ने और सबूत जुटाए और दिसंबर 2023 में मेहसाणा एसपी के कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई।