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गुजरात हाई कोर्ट ने राजकोट के टीआरपी गेम जोन में हुए भीषण अग्निकांड को लेकर एक बार फिर राज्य सरकार को फटकार लगाई है। हाई कोर्ट ने आग की घटना से निपटने के तरीके को लेकर सरकार की आलोचना की। 25 मई को इस हादसे में 27 लोगों की जान चली गई थी। एक महीने के भीतर यह दूसरी बार है जब कोर्ट ने इस मुद्दे पर सरकार को आड़े हाथों लिया।
न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल की अध्यक्षता वाली दो-न्यायाधीशों की पीठ ने ठेकेदारों को सरकार द्वारा बचाने और नगर निगम आयुक्तों की लापरवाही पर निराशा व्यक्त की। कोर्ट ने कहा कि सरकार इन मामलों में ठेकेदार को क्यों बचाती है? नगर निगम आयुक्त अपने कर्तव्यों की उपेक्षा कर रहे हैं, जिसके कारण ये दुर्घटनाएं हो रही हैं। पीठ ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि अब से किसी भी नगर निगम आयुक्त को दूसरा मौका नहीं दिया जाएगा। यह घटना आपको छोटी लग सकती है, लेकिन अब आप अधिकारियों की रक्षा नहीं कर पाएंगे।
कोर्ट ने इस घटना को विनाशकारी बताते हुए कहा कि ऐसी लापरवाही अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी और अधिकारियों को जवाबदेह ठहराया जाएगा। कोर्ट ने मोरबी और हरनी की घटनाओं का जिक्र करते हुए इसी तरह की त्रासदियों के एक पैटर्न पर प्रकाश डाला। साथ ही सरकार द्वारा ठेकेदारों को दी जाने वाली सुरक्षा की निंदा की। कोर्ट ने सरकार को जिला और शहरी प्रभागों में व्यापक अग्नि सुरक्षा मूल्यांकन सहित शैक्षिक क्षेत्र में राज्य भर में लागू अग्नि सुरक्षा उपायों का खुलासा करने का भी निर्देश दिया है।
पिछली सुनवाई में यह खुलासा होने के बाद कि टीआरपी गेम जोन फायर लाइसेंस के बिना संचालित होने वाला एकमात्र आर्केड नहीं था, कोर्ट ने नागरिक निकाय को कड़ी फटकार लगाई थी। जांच से पता चला है कि राजकोट में दो अन्य गेमिंग जोन अग्नि सुरक्षा प्रमाणपत्र सहित बिना परमिट के दो साल से अधिक समय से चल रहे थे। कोर्ट में सुनवाई हो रही याचिका में दावा किया गया कि राज्य में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार अग्नि सुरक्षा अधिनियम का पालन नहीं किया जा रहा है और जांच में ढिलाई बरती जा रही है।
उधर, मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में इस घटना का जिक्र करते हुए जवाबदेही की आवश्यकता पर जोर दिया। कहा कि यह सोचना होगा कि हमने कहां गलती की। जब मानव जीवन की बात आती है, तो कोई समझौता नहीं होना चाहिए। उन्होंने विभिन्न नगर निकायों के विकास के लिए 2,111 करोड़ रुपये के आवंटन की भी घोषणा की।